‘डीआरडीओ’ ने बनाई ‘एंटिबॉडी डिटेक्शन किट’

नई दिल्ली – कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। फिर भी कोरोना के विषाणुओं के विरोध में खोजकर्ता और वैज्ञानिकों की कोशिशें अभी बंद नहीं हुई हैं। ‘भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने अब ‘एंटिबॉडी डिटेक्शन किट’ विकसित की है। इस किट को ‘डीपकोवैन’ नाम दिया गया है और इसके ज़रिये शरीर में मौजूद एंटिबॉडीस का परीक्षण करना संभव होगा।

डीआरडीओ’ ने वेन्गार्ड डायग्नोसिस कंपनी की सहायता से ‘डीपकोवैन’ का निर्माण किया है और इसे बनाने में पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ‘डीपकोवैन’ किट के माध्यम से किसी के शरीर में एंटिबॉडीस तैयार हुई हैं या नहीं, इसका पता लगाना मुमकिन होगा। ‘एंटिबॉडिस’ का निर्माण शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली द्वारा किया जाता है। जब कोई विषाणुओं से बाधित होता है, तब उसके शरीर में इस तरह की ‘एंटिबॉडिस’ तैयार होती हैं और वह विषाणुओं से लड़ती है। ‘डीपकोवैन’ किट के माध्यम से होनेवाले परीक्षण में विषाणुओं के ‘स्पाईक’ और ‘न्यूक्लिओकैप्सिड’ (एस ऐण्ड एम) प्रोटिन का पता लगाना संभव है।

इस किट के माध्यम से मात्र ७५ मिनटों में शरीर के ‘एंटिबॉडिस’ पता लगाया जा सकता है। कई बार कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद आसार नहीं दिखाई देते। इस वजह से ऐसे व्यक्ति को परीक्षण के लिए जाना मुमकिन नहीं होता। संक्रमण के आसार दिखाई ना देनेवाले मरीज़ों की ‘एंटिबॉडिस’ परीक्षण करने पर वह संक्रमित है या नहीं, यह स्पष्ट हो सकेगा। साथ ही वह पहले कोरोना संक्रमित हुआ था या नहीं, इसकी जानकारी भी इस परीक्षण से प्राप्त हो सकेगी।

‘डीपकोवैन’ के एक किट से १०० परीक्षण हो सकते हैं। ‘इंडियन कौन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (आयसीएमआर) ने बीते महीने में ही ‘एंटिबॉडिस डिटेक्शन किट’ को मंजूरी प्रदान की थी। हाल ही में ‘द ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (डीसीजीआय) और ‘सेंट्रल ड्रग्ज्‌ स्टैण्डर्ड कंट्रोल ऑर्गनायज़ेशन’ (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञों की समिती ने ‘डीपकोवैन’ का उत्पादन और बिक्री के लिए अनुमति प्रदान की। लेकिन, इसका अधिकृत ऐलान शुक्रवार के दिन किया गया। जून के पहले हफ्ते से इसका उत्पादन शुरू होगा और अलग अलग अस्पतालों को यह किट उपलब्ध कराई जाएगी।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ‘डीआरडीओ’ ने तैयार किए इस किट की एवं कोरोना के विरोध में जारी जंग में ‘डीआरडीओ’ के योगदान की सराहना की है। ‘डीआरडीओ’ के अध्यक्ष डॉ.जी.सतीश रेड्डी ने भी यह किट तैयार करने पर वैज्ञानिकों की प्रशंसा की है।

‘डीआरडीओ’ ने हाल ही में कोरोना के इलाज में उपयुक्त साबित हुई ‘२-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ (२-डीजी) नामक दवा तैयार की थी। चार दिन पहले ही यह दवा बाज़ार में उपलब्ध कराई गई है। इसी बीच कोरोना संक्रमण के दौरान ‘डीआरडीओ’ ने स्वदेशी वेंटिलेटर की तकनीक, ऑक्सिजन निर्माण के प्रकल्प तैयार किए हैं। साथ ही ‘डीआरडीओ’ ने कई ठिकानों पर अस्थायि अस्पतालों का निर्माण करने में भी योगदान दिया है।

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