टाईम ट्रॅव्हल

Nikola_Tesla_featured

डॉ.टेसला ने युद्ध रोकने की क्षमता रखने वाले जबरदस्त शस्त्र विकसित किये थे। यदि उन शस्त्रों का उपयोग किया गया होता तब महायुद्ध में होनेवाले अनगिनत नरसंहार को टाला जा सकता था, इसके प्रति दी गई जानकारी का अध्ययन हम पिछले लेख में कर चुके हैं। उसी प्रकार डॉ.टेसला ने पूर्णत: सुरक्षित एवं प्रतिकूल मौसम को मात देकर प्रवास करनेवाले अद्भुत विमान की संकल्पना प्रस्तुत की। इस तरह स्वप्न जैसी लगनेवाली अनेक बातों की जानकारी प्राप्त करने के पश्‍चात् यह सत्य था अथवा ऐसे ही कोई कल्पना है, ऐसा विचार हमारे मन में उठता है मात्र डॉ.टेसला के बारे में सचमुच कुछ आकस्मिक घटनाएँ घटी थीं। मानवी बुद्धी के बस के बाहर की बात को भी डॉ.टेसला ने अपने विभिन्न प्रयोगों द्वारा निश्‍चित समय में लेख लिखकर सबके समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश की। मात्र कुछ बातें ऐसी थीं कि जिनके बारे में डॉ.टेसला ने भी उसे पूर्ण रूप में गुप्त रखा। कारण ये बातें इनकी अधिक संवेदनशील एवं काल से परे की थी कि उनके बारे में कुछ भी यदि गलत लोगों के हाथ लग जाती तो संपूर्ण मानवजाति के लिए वह खतरा उत्पन्न कर सकती थीं। ऐसा डॉ.टेसला का मानना था।

शायद इन्हीं कारणों से डॉ.टेसला ने १९२८ के पश्‍चात् अपने पूरे जीवनकाल में अंतिम १६  वर्षों तक एक भी पेटंट नहीं लिया। मात्र डॉ.टेसला ने अपना संशोधन कार्य अंतिम श्‍वास तक चालू रखा। ‘स्पेस टाईम बेंडिंग’ (spacetime bending), ‘टाईमट्रॅव्हल’ (Time Travel), और ‘टेलीपोर्टेशन’ (Teleportation) ये सभी इसी प्रकार के कुछ संशोधनों के उदाहरण हो सकते हैं। डॉ.टेसला ने कहा था कि, यदि विश्‍व के रहस्यों को उजागर करना है तो, उर्जा, लहरें एवं स्पंदनों के माध्यम से उनके प्रति विचार करना होगा। डॉ.टेसला के अधिकतर संशोधन एवं शोध इन तीन घटकों पर ही आधारित हैं। ‘इलेक्ट्रिसिटी’ यह मानवी शरीर, पृथ्वी एवं संपूर्ण विश्‍व में अस्तित्त्व रखने वाली प्रमुख उर्जा है यह उनका पक्का विश्‍वास था और यही उनकी अपनी राय भी थी।

ऐसा माना जाता है कि एक  बार डॉ.टेसला एक विशिष्ठ फ्रीक्वेंसी  के इलेक्ट्रिकल एनर्जी पर अपने ट्रांसफार्मर की सहायता से प्रयोग कर रहे थे। उस समय उन्हें एक अत्यन्त अद्भुत सा अनुभव हुआ। सहसा प्रयोग शुरु करने से पहले डॉ.टेसला योग्य प्रकार से ध्यान रखते थे परन्तु इस बार प्रयोग शुरु रहते भर में अत्यन्त उच्च क्षमता का इलेक्ट्रोमेग्नेटीक क्षेत्र निर्माण हो गया और उन्हें अतिशय तीव्र क्षमता के बिजली का झटका लगा। यह झटका इतनी तीव्र क्षमता का था कि इसके कारण कुछ पल के लिए डॉ.टेसला का शरीर पूर्णत: बधीर हो गया था। मात्र जिस समय यह झटका लगा, उस समय डॉ.टेसला को  ऐसा प्रतीत हुआ कि, वे काल की मर्यादा से परे हैं। डॉ.टेसलाने अपने बारे में विवरण देते हुए लिखा है कि उन्हें उसी क्षण झटका लगने से पूर्व का काल, झटका लगने का समय और उसके पश्‍चात का क्षण इस तरह काल के तीनों स्तर एक साथ ही सामने दिखाई दे गए। और भी अधिक आसान शब्दों में कहें तो उन्हें कुछ मिनटों पहले का भूतकाल, वर्तमानकाल और कुछ मिनिटों में आने भविष्यकाल एक साथ ही दिखाई दे गया। (मान लो कि हमारे सामने तीन खिड़कियाँ खुली हैं और उनमें से एक ही समय पर तीन विभिन्न प्रकार के दृश्य दिखाई दे रहे हैं।)

डॉ.टेसला ने समय एवं अवकाश को भी झुकाया जा सकता है, साथ ही भिन्न-भिन्न समय की चौखट में ले जाने वाला मार्ग तैयार किया जा सकता है, इस प्रकार का अद्भूतपूर्व शोध किया था। इससे स्पेस अर्थात अवकाश और टाईम अर्थात काल/समय इनसे संबंधित डॉ.टेसला का संशोधन किस स्तर तक पहुँच चुका था, इस बात का अंदाजा हम लगा सकते हैं। डॉ.टेसला के इस संशोधन की जानकारी हासिल करना अर्थात यूँ ही किसी ‘सायन्स फिक्शन ’ पर आधारित चित्रपट की अपेक्षा कई अधिक गुणा अद्भुत बात है।

इस समय होने वाले अपघात से अपने आप को बचाने का श्रेय डॉ.टेसला ने अपने सहकारियों को दिया। एक पत्रकार को इस घटना के प्रति बताते हुए, डॉ.टेसला ने कहा कि यदि मेरे सहकारियों ने बिजली के प्रवाह को बंद नहीं किया होता, तब शायद वहीं मेरा अंत निश्‍चित था।

डॉ.टेसला ने सचमुच कालप्रवास का अनुभव लिया था क्या? इस दावे की पुष्टी करनेवाला कोई ठोस सबूत अथवा संदर्भ हमें नहीं मिला। परन्तु उसी के साथ ऐसी संभावनाएँ भी हैं कि, डॉ.टेसला के काल से परे होनेवाली इस प्रगत, संवेदनशील एवं उसी समय धोखादायक रहनेवाली संशोधन की जानकारी को प्रसारमाध्यमों से दूर रखा गया होगा।

मात्र डॉ.टेसला ने केवल काल प्रवास ही नहीं किया बल्कि ‘स्पेस टाईम बेंडिग’ एवं टेलीपोर्टेशन में भी अच्छी खासी सफलता प्राप्त की होगी यह अ‍ॅड्रयू बासिएगो (Andrew Basiago) के समान कॉन्स्पिरसी थिअरी प्रस्तुत करने वाले अभ्यसकों का पूरा विशास है। डॉ.टेसला ने ‘स्पेसटाईम बेंडिंग’ बनाने में यश प्राप्त करने से ही उन्हें कालप्रवास एवं टेलीपोर्टेशन संभव हो सका ऐसा माना जाता है।

डॉ.टेसला ने नायगारा उर्जा प्रकल्प के उद्घाटन के प्रसंग पर दिए गए भाषण को सभी लोगों को ध्यान देना चाहिए, उन्होंने बिलकुल ही स्पष्ट शब्दों में कहा था कि, ‘यह प्रकल्प अब पूरा होने के पश्‍चात् स्वयं ही अपने आपको शाबाशी देने के बजाय, वह काम इससे पहले क्यों पूरा नहीं किया जा सका, इसके प्रति हमें खेद होना चाहिए। विशेष काम तो अभी बाकी है। अपनी संवेदनाओं को अहसात करवाने वाले वातावरण में होने वाली सभी प्रकार की खाइयों को हमें दूर करना चाहिए। दूर तक कही बात की जानकारी यदि हमें हासिल करनी हैं तो हमें उस दूर दराज में घटित होने वाला दृश्य किस तरह हमारे सामने आयेगा, इस बात की क्षमता हमें निर्माण करनी चाहिए। केवल चित्र अथवा उर्जा ही नहीं, बल्कि वस्तु भी इसी तरह से प्रक्षेपित करते आना चाहिए। इसके लिए हमें अपने विचारों को मुक्त करना चाहिए। हमारे मन पर काल एवं अवकाश ने जो कुछ बंधन डाल रखा है, उन मर्यादाओं से मनुष्य को बाहर निकलना चाहिए और उसी समय उसके मूलतत्त्व को कायम रखना चाहिए। केवल आज के लिए ही नहीं बल्कि आने वाले अनेक शतकों के लिए और अज्ञात के हजारों प्रकाशवर्षों के लिए……….’

इतना महत्त्वपूर्ण शोध करने के पश्‍चात् शांत एवं स्वस्थ बैठना डॉ.टेसला के स्वभाव में ही नहीं था। उन्होंने काल एवं अवकाश एकत्रित रूप में ‘बेंड’ करने के अर्थात झुकानेवाली प्रक्रिया पर प्रयोग करके ज़रूर ही नयी-नयी बातों का शोध किया होगा। इस संशोधन से हीं उन्हें आगे चलकर एक और भी अनोखी चीज़ का पता चला और वह यंत्र था ‘टेलीपोर्टेशन’।

टेलीपोर्टेशन अर्थात हम जिस तरह का चित्र अथवा विडियो एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजते हैं, उसी तरह ‘मेटर’ अथवा ऐसी कोई चीज़ एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रक्षेपित करना।

डॉ.टेसला ने २१  अप्रैल, १९०८ में न्यूयॉर्क टाईम्स में प्रकाशित होने वाले लेख में, मानवजाति यदि कुछ सिद्धातों का स्वीकार करती है तब वह संपूर्ण विश्‍व पर अपना प्रभुत्त्व जमा सकेगी ऐसा कहा था। स्वयं डॉ.टेसला ने भी इस दिशा में अपने प्रयोग भी शुरु किया था, उन्होंने कहा कि, ‘‘यदि हम संतुलित उर्जा एवं आवश्यक यंत्रणा की सहायता से पदार्थों में से अणू-रेणुओं की गति पर नियंत्रण पा सके, तब मनुष्य को ऐसी ही कोई वस्तु (matter) निर्माण करना उसी तरह गायब करना  भी संभव हो सकता है।’’

यहाँ पर हम सहज ही जान सकते हैं कि डॉ.टेसला टेलीपोर्टिंग अथवा ऐसी ही कोई चीज़ अदृश्य करके उसे पुन: दृश्यमान करने के संदर्भ में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं।

डॉ.टेसला के इस शोध से केवल वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि दुनिया भर के उच्चस्तर वाले लोगों को जोरदार धक्का पहुँचाया था।

डॉ.टेसला अपने स्वयं के थिअरी पर भी शुरु होनेवाले प्रकल्प में स्वयं भी सहभागी हुए थे। यह प्रकल्प था, आकार में अत्यन्त बड़ी दिखाई देने वाली चीज़ों को भी खुले आम अथवा लश्कर के रडार तक भी न पहुँच सके, इस तरह अदृश्य कर देना।

परन्तु इस प्रकल्प का हकीकत में आगे चलकर क्या हुआ, क्या उसे सफलता मिली? डॉ. टेसला की थियरियों पर आधारित केवल यही एक प्रकल्प था? अथवा यह कार्य भी उस काल की मानवजाति के लिए बहुत अधिक प्रगत एवं समय से परे रहनेवाला साबित हुआ था? इन सभी बातों का उत्तर हम अगले भाग में देखेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.