‘डीआर कॉंगो’ में बढती हिंसा की पृष्ठभूमि पर एबोला की महामारी में १ हजार लोगों ने जान गंवाई

Third World Warकिंशासा: एबोला की महामारी के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी महामारी के तौर पर पहचाने जानेवाली डीआर कॉंगो में फैली एबोला की महामारी में अबतक १००० से अधिक लोगों की मौत हुई है| इन में २८ आरोग्य सेवकों का भी समावेश है और यह स्थिति अधिक बिगड़ती जा रही है, ऐसा डर जागतिक आरोग्य संगठन ने व्यक्त किया है| नए महामारी के फैलाव के पीछे डीआर कॉंगो में शुरू हिंसाचार एवं स्थानीय समाज में अविश्वास यह घटक जिम्मेदार होने का दावा विशेषज्ञों से किया जा रहा है|

पिछले वर्ष अगस्त महीने में डीआर कॉंगो में एबोला के महामारी की बात उजागर हुई थी| उसके बाद सरकार के साथ जागतिक आरोग्य संगठन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं ने व्यापक मुहिम हाथ ली थी| पर प्राथमिक स्तर पर सफलता प्राप्त होने के बाद नए वर्ष में इस मुहिम को लगातार झटके लगने की बात सामने आ रही है| इस असफलता के लिए एबोला की महामारी फैले हुए भागों में शुरू संघर्ष प्रमुख घटक साबित हुआ है|

डीआर कॉंगो, बढती, हिंसा, पृष्ठभूमि पर, एबोला, महामारी, १ हजार लोगों, जान गंवाईस्थानीय टोलियों में शुरू संघर्ष नए वर्ष में अधिक तीव्र हुआ है और इन टोलियों ने अब एबोला के उपचार के लिए निर्माण किए आरोग्य केंद्र पर तथा काम करनेवाले डॉक्टर एवं कर्मचारियों पर भी हमलें शुरू किए हैं| कुछ दिनों पहले ऐसे ही एक हमले में विदेशी डॉक्टर की जान गई थी| नए वर्ष में इन हमलों की तीव्रता बढ़ी है और अब तक आरोग्य केंद्र में काम करनेवाले ८५ डॉक्टर तथा कर्मचारियों पर हमले हुए हैं|

इन हमलों की वजह से एबोला के विरोध में मुहिम के लिए नए कर्मचारी एवं स्वयंसेवक मिलना कठिन हुआ है और पिछले वर्ष भर में कार्यरत होनेवाले कई कर्मचारियों ने वापसी भी की है| कर्मचारी वापसी करते समय स्थानीय समाज में भी एबोला के संदर्भ में आवश्यक जागृति ना होने के दावे आगे आ रहे हैं| मलेरिया एवं अन्य बिमारी पर उपचार करने के बजाए एबोला जैसे रोग के विरोध में मुहिम को दिया जा रहा अतिरिक्त महत्व स्थानीय लोगों में नाराजगी का कारण साबित हुआ है|

इसकी वजह से स्थानीय लोगों से एबोला के लिए शुरू इस मुहिम को सहयोग करने से इनकार किया जा रहा है| स्थानीय लोगों ने इस मुहिम में शामिल होने के बजाए गांव छोड़कर जाने पर जोर दिया गया है और सैकड़ों नागरिक युगांडा जैसे देश में स्थानांतरित होने की जानकारी सामने आ रही है| स्थानांतरण की वजह से एबोला का खतरा अधिक बढ़ा है और युगांडा में भी नई महामारी फैल सकती है, ऐसा डर आरोग्य विशेषज्ञों से व्यक्त किया जा रहा है|

हिंसाचार एवं स्थानीय समाज के असहयोग की वजह से केवल ८ महीनों में एबोला से बलि गए लोगों की संख्या १००८ पर पहुंची है और बाधित लोगों के आंकड़े डेढ़ हजार पर जा पहुंचे हैं| पिछले हफ्ते में केवल २४ घंटों में २७ लोगों की एबोला की महामारी में मृत्यु होने की झटका देनेवाली घटना सामने आई थी| एक दिन में इतने बड़े तादाद में लोगों का एबोला का शिकार होने की पहली घटना साबित हुई है|

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