चीन के खतरे की पृष्ठभूमि पर सामरिक नजरिए से अहम भीम बेस से डोकलाम रास्ते का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर पूरा हुआ – अब सेना को मात्र ४० मिनिटों में डोकलाम पहुंचना मुमकिन होगा

नई दिल्ली – भारत, तिब्बत और चीन की सीमा एक दुसरे से जहां मिलती है, उस ‘डोकलाम’ में अवैध तरिके से रास्ते का निर्माण करने की चीन की कोशिश दो वर्ष पहले भारत ने सफल होने नही दी थी| उस समय भारत और चीन के सैनिक ‘डोकलाम’ में ७३ दिनों तक एक दुसरे के सामने खडे रहे थे| इस दौरान दोनों देशों में युद्ध शुरू होने की स्थिति भी बनी थी| रणनिती के नजरिए से ऐसे अहम क्षेत्र में सैनिकों की यातायात और सामान तेजी से पहुंचाना अब ‘बॉर्डर रोड ऑर्गनायझेशन’ (बीआरओ) की वजह से मुमकिन होगा| समय की जरूरत ध्यान में रखकर ‘बीआरओ’ ने डोकलाम तक पहुंचने के लिए भीम बेस से डोकलाम के ‘ऑल वेदर’ रास्ते का निर्माण काय युद्धस्तर पर पूरा किया है| इस रास्ते से अब ७ घंटों के बजाए मात्र ४० मिनिटों में डोकलाम पहुंचना भारतीय सेना को मुमकिन होगा|

डोकलाम तक तेजी से पहुंचने के लिए फिलहाल भीम बेस तक ही रास्ता मौजूद था और वहां से ७ घंटे पर्वतीय क्षेत्र पैदल जाकर सैनिकों को डोकलाम पहुंचना पड रहा था| लेकिन, भीम बेस से डोकलाम तक बनाए गए रास्ते अब डोकलाम आने-जानेवाले सैनिकों के समय में ६.२० घंटों की बचत होगी| ऐसे में मात्र ४० मिनिटों में भारतीय सैनिक भीम बेस से डोकलाम की घाटी तक पहुंच सकेंगे|

‘बीआरओ’ ने ३,६०१ से ४,००० फिट उंचाई पर इस रास्ते का अहम निर्माण कार्य पूरा किया है| इस रास्ते से रणनिती के नजरिए से दो लष्करी चौकियां भी एक-दुसरे से जुड गई है| लेकिन, अभी इस से जुडी जानकारी घोषित नही की गई है|

साथ ही इसी परियोजना के अन्य और एक अहम निर्माण कार्य का स्तर वर्ष २०२१ तक पूरा होगा, यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी|

‘बीआरओ’ ने पिछले कुछ वर्षों में चीन की सीमा के निकट रणनिती के नजरिए से अहम ६१ रास्तों का निर्माण कार्य पूरा किया है और इस वर्ष में अन्य ११ रास्तों का काम पूरा होगा| चीन की सीमा के निकट लष्करी नजरिए से अहम ७२ प्रतिशत रास्तों का काम पूरा हुआ है|

इस वजह से चीन की सीमा पर संघर्ष शुरू होने पर भारतीय सेना को तेजीसे वहां पर सैनिक और लष्करी सामान पहुंचाने में आसानी होगी| यह सभी रास्ते किसी भी मौसम में कार्यरत रह सकेंगे, इस तरह से बनाए गए है|

चीन ने अपनी सीमा में बडी मात्रा में रास्ते, रेल्वे और हवाई अड्डों का जाल बनाया है| चीन ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सीमा के निकट करीबन ५४ हजार किलोमीटर दूरी के रास्ते, रेल और १४ हवाई अड्डों का निर्माण किया है| लेकिन, भारतीय सीमा में रास्तों का निर्माण करने के काम की ओर ज्यादा ध्यान नही दिया गया था|

चीन की सीमा के निकट अहम रास्तों के ७३ कामों के लिए पहली बार दो दशक पहले मंजुरी दी गई थी| लेकिन, इसके बाद कोई भी गतिविधियां नही हो सकी थी| वर्ष २०१० में रेल और रास्ते परियोजनाओं के निर्माण कार्य का दुबारा ऐलान किया गया| लेकिन, वर्ष २०१५ में ही भारतीय सीमा में इस निर्माण कार्य की शुरूआत हो सकी थी| तभी वर्ष २०१७ में डोकलाम पर बने तनाव के बाद इन कामों को और गति दी गई|

भीम बेस से डोकलाम तक के रास्ते का काम भी वर्ष २०१५ में ही मंजूर हुआ| लेकिन, वास्तव में काम की शुरूआत डोकलाम संबंधी बने तनाव की की पृष्ठभूमि पर ही शुरू हुआ था, यह जानकारी संबंधित अधिकारी ने दी| डोकलाम तक तेजी से पहुंचने के लिए रास्तों का निर्माण करके भारत ने अब चीन इस क्षेत्र में कर रहे लष्करी गतिविधियों को जवाब दिया है, यही विश्‍लेषकों का कहना है|

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