कोरोना के टीके की सप्लाई करने के मोरचे पर विषमता ना रखें

– संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत का आवाहन

संयुक्त राष्ट्रसंघ – भारत ने अपनी जनता से भी अधिक संख्या में कोरोना प्रतिबंधक टिकों की सप्लाई दुनिया को की है। लेकिन कोरोना के इन टीकों की सप्लाई यदि गरीब देशों को नहीं हुई और इस मोरचे पर विषमता दिखाई गई, तो कोरोना के विरोध में जारी जंग की एकजुट पर उसका विपरीत परिणाम होगा, ऐसी चेतावनी भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ को दी है। संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त भारत के प्रतिनिधी के. नागराज नायडू ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में, कोरोना के टीके की सप्लाई अविकसित तथा गरीब देशों को करने से इन्कार करनेवाले अमीर देशों को वास्तविकता का अहसास करा दिया।

कोरोना के टीके की सप्लाई करने के मोरचे पर विषमता ना रखेंकोरोनाप्रतिबंधक टीकों की सप्लाई करने के मुद्दे पर विकसित देशों में ही बहस शुरू हुई है। अमरीका और युरोप के विकसित देश, अधिक से अधिक मात्रा में कोरोना के टीकों का संग्रहण करके, उन्हें अपनी खुद की ही जनता में वितरित करने के लिए जानतोड़ कोशिश कर रहे हैं। इससे गरीब और और विकसित देशों की हालत खराब हुई है। ऐसी स्थिति कायम रही, तो इन गरीब देशों में कोरोना का संकट उग्र रूप धारण करेगा, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दी जा रही है। लेकिन उसका कुछ खास असर अमरीका और युरोपीय देशों पर नहीं हुआ है। इस संदर्भ में पेटेंट खुला करें, यह माँग भी इन देशों द्वारा ठुकराई जा रही है।

ऐसी स्थिति में भारत ने, अपने देश में विकसित हुए टिकों की सप्लाई गरीब और अविकसित देशों को की। संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य होने वाले १८० से भी अधिक देशों को, किसी भी प्रकार की विषमता न दिखाते हुए इन टीकों की सप्लाई की जाए, ऐसी भारत की माँग है। इसके लिए पहल करके भारत ने अब तक ७० से भी अधिक देशों को कोरोना प्रतिबंधक टीकों की सप्लाई की। इस बारे में जानकारी देकर, संयुक्त राष्ट्र संघ में नियुक्त भारत के प्रतिनिधि के. नागराज नायडू ने विकसित देशों को खरी-खरी सुनाई।कोरोना के टीके की सप्लाई करने के मोरचे पर विषमता ना रखें

कोरोना को रोकने के लिए मेहनत करनेवाले अपने लगभग ३० करोड़ से भी अधिक लोगों को भारत अगले ६ महीनों में कोरोना का टीका लगानेवाला है। लेकिन जितनी अपनी जनता को आपूर्ति की है, उससे भी अधिक मात्रा में भारत ने दुनिया के अन्य देशों को कोरोना के टीके की सप्लाई की है, ऐसा नायडू ने स्पष्ट किया। कोरोना के टीके की सप्लाई करने के मोरचे पर विषमता होकर नहीं चलेगा। उसका कोरोनाविरोधी लड़ाई पर विपरीत असर होगा, ऐसा नायडू ने डटकर कहा है।

फिलहाल इस मोरचे पर दिखाई जानेवाली विषमता कोरोनाविरोधी लड़ाई की एकजुट के लिए घातक साबित हो रही है, ऐसा भी नायडू ने जताया। कोरोना के टीके की सप्लाई करनेवाले भारत के ‘वॅक्सिन मित्रता’ उपक्रम का दुनियाभर में स्वागत हो रहा है। यह टीका प्राप्त हुए देशों के नागरिक तहे दिल से भारत का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। इससे भारत का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव अधिक ही बढ़ा दिखाई दे रहा है। आज के दौर में ‘कोरोना प्रतिबंधक टीका’ यह नई राजनीतिक मुद्रा बनी है और भारत उसका बहुत ही प्रभावी रूप में इस्तेमाल कर रहा है, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं। इसका सर्वाधिक झटका चीन को लगा होने की भी ज़ोरदार चर्चा शुरू हुई है।

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