तालिबान से पाकिस्तान का संबंध ना जोड़ें – पाकिस्तान के विदेश मंत्री का दावा

पाकिस्तान का संबंधइस्लामाबाद – ‘पाकिस्तान का तालिबान के साथ कोई संबंध नहीं है। तालिबान पाकिस्तान का फेवरेट नहीं है’, ऐसी घोषणा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने की। अफगानिस्तान विषयक चर्चा में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने किए ये बयान बड़े बदलाव के संकेत देते हैं। अब तक तालिबान का पृष्ठपोषण करनेवाले पाकिस्तान की भूमिका में और नीति में हो रहा बदलाव गौरतलब साबित होता है। उसी समय, इसके बाद अफगानिस्तान में जो कुछ होगा, उसके लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार नहीं होगा, ऐसा कहकर शाह महमूद कुरेशी ने अपने देश का, जितना हो सके उतना बचाव करने की कोशिश की है।

‘पाकिस्तान तालिबान का समर्थन करता है, यह धारणा रूढ़ हुई है। इस देश में हमें तालिबानीकरण नहीं करना है। तालिबानी अफगानिस्तान से हैं और हमारा देश पाकिस्तान है। पाकिस्तान का तालिबान के साथ संबंध ना जोड़ें’, ऐसा अनुरोधपूर्वक आवाहन शाह महमूद कुरेशी ने किया। इससे कुछ दिन पहले कुरेशी ने यह चेतावनी दी थी कि इसके बाद अफगानिस्तान में जो कुछ होगा, उसकी ज़िम्मेदारी पाकिस्तान की नहीं हो सकती। पाकिस्तान तालिबान से दूर जा रहा होने के संकेत देनेवाले पाकिस्तान की नीति में हुआ बदलाव, इस देश के कट्टरपंथियों को भी झटका देनेवाला है।

तालिबान पर पाकिस्तान का नियंत्रण नहीं रहा है। तालिबान अब उत्तम राजनीति कर रहा होकर, अन्य देशों से खुद ही चर्चा करने लगा है। इसमें भारत का भी समावेश है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कुवैत का दौरा किया था और उससे पहले हुए वह कतार में कुछ समय के लिए रुके थे। कतार में ही तालिबान का राजनीतिक कार्यालय है, इस पर भारतीय विश्लेषक गौर फरमा रहे हैं। भारत और तालिबान के बीच हुई यह कथित चर्चा पाकिस्तान को बेचैन करनेवाली साबित होती है। इसके बाद पाकिस्तान ने तालिबान के विरोध में भूमिका अपनाई होकर, इससे यही संकेत मिल रहे हैं कि अफगानिस्तान की राजनीति अलग दिशा में प्रवास कर रही है।

भारत से चर्चा करने के लिए तालिबान उत्सुक होने के संकेत तालिबान ने इससे पहले ही दिए थे। आनेवाले समय में अगर अपने हाथ में अफगानिस्तान की सत्ता आई, तो यहाँ भारत के निवेश और परियोजनाओं का स्वागत होगा, ऐसा संदेश तालिबान द्वारा दिया जा रहा है। उसी समय, अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत विरोधी कारनामों के लिए नहीं किया जाएगा, ऐसा यकीन तालिबान ने दिलाया है। इसी कारण तालिबान पाकिस्तान से दूर गया दिख रहा है।

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