भारत और वियतनाम के प्रधानमंत्रियों की चर्चा – हिंद महासागर क्षेत्र में नियमों के आधार पर व्यवस्था करने पर सहमति

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वियतनाम के नए प्रधानमंत्री फाम मिन चिन्ह से फोन के ज़रिये चर्चा की है। हिंद महासागर क्षेत्र में नियमों के आधार पर होनेवाली व्यवस्था से भारत और वियतनाम के हित एक समान हैं, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा। इस पर वियतनाम के प्रधानमंत्री ने समर्थन किया। अगले वर्ष दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। विभिन्न उपक्रमों के ज़रिये यह वर्ष मनाने पर भी दोनों नेताओं की सहमति हुई। प्रधानमंत्री फाम मिन चिन्ह अगले वर्ष भारत का दौरा करेंगे, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

भारत के खिलाफ व्यूहरचना अधिक मज़बूत करने की मंशा रखनेवाले चीन को जवाब देना भारत के लिए आवश्‍यक हुआ है। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर चीन ने अधिक से अधिक सैनिकों की तैनाती करके भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की थी। श्रीलंका के बंदरगाहों का बतौर लष्करी अड्डा इस्तेमाल करके हिंद महासागर क्षेत्र में भारत पर सामरिक नज़रिये से हावी होने की कोशिश चीन कर रहा है। तभी आग्नेय एशियाई देशों के साथ सहयोग बढ़ाकर भारत चीन की साज़िशों का जवाब दे रहा है। इस वजह से वियतनाम के साथ हो रहे भारत के सहयोग को बड़ी सामरिक अहमियत प्राप्त हुई है। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री मोदी का शनिवार के दिन वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन चिन्ह से बातचीत करना ध्यान आकर्षित करता है। 

क्षेत्रिय स्थिरता के लिए भारत और वियतनाम का सहयोग सहायक साबित होगा, यह विश्‍वास प्रधानमंत्री मोदी ने इस चर्चा के दौरान व्यक्त किया। ‘मुक्त, खुला, स्थिर और सर्वसमावेश एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर बनी व्यवस्था पर निर्भर हिंद महासागर क्षेत्र को लेकर भारत और वियतनाम का नज़रिया एक समान है, इस ओर भी प्रधानमंत्री मोदी ने ध्यान आकर्षित किया। इसके ज़रिये भारत के प्रधानमंत्री ने फिर एक बार चीन को अप्रत्यक्ष लक्ष्य करने की बात दिख रही है। हिंद महासागर और पैसिफिक महासागर क्षेत्रों की स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय नियमों पर आधारित व्यवस्था को चीन की आक्रामकता से खतरा हो सकता है, ऐसी भारत की भूमिका है।

सीधे आरोप लगाया ना गया हो, फिर भी समुद्री क्षेत्र के नियमों पर आधारित व्यवस्था को कोई भी चुनौती ना दे, इसके लिए भारत अन्य देशों से सहयोग कर रहा है, ऐसे दावे भारतीय नेता कर रहे हैं। चीन की आक्रामकता के मद्देनजर ही इन बयानों की रचना हो रही है, इसका अहसास अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबको हुआ है।

इसी बीच, प्रधानमंत्री फाम मिन चिन्ह को वियतनाम के चुनाव में प्रचंड़ बहुमत से जीत हासिल हुई थी। इस जीत के बाद वियतनाम और चीन का समुद्री विवाद ही प्रधानमंत्री फाम मिन चिन्ह के सामने प्रमुख मुद्दा होगा, ऐसे दावे माध्यमों ने किए थे। वियतनाम, सांस्कृतिक और धार्मिक नज़रिये से भारत से हज़ारों वर्षों से जुड़ा हुआ है और मौजूदा दौर में भी वियतनाम भारत का करीबी मित्रदेश है। चीन की आक्रामकता की वजह से वियतनाम के सामने खड़ी हुई समस्या दूर करने के लिए भारत इस देश से सहयोग कर रहा है। इस पर चीन ने कई बार आपत्ति भी जताई है।

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