भारत एवं रशिया के विदेश मंत्रियों की चर्चा

मॉस्को – विदेश मंत्री सुषमा स्वराज रशिया के दौरे पर होकर उन्होंने रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह से मुलाकात की है। आनेवाले महीने में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आने वाले हैं। इस पृष्ठभूमि पर विदेश मंत्री स्वराज का यह रशिया दौरान महत्वपूर्ण माना जा सकता है। अमरिका के साथ टू प्लस टू चर्चा होने के बाद भारत के विदेश मंत्री का यह रशिया दौरा एवं रशियन राष्ट्राध्यक्ष का नियोजित दौरा, भारत के विदेश धारणा में संतुलन कायम होने की बात दिखा रहा है।

विदेश मंत्री, चर्चा, व्लादिमीर पुतिन, सुषमा स्वराज, सहयोग, रशिया, अमरिका

रशिया के साथ संबंधों को भारत सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है, ऐसी गवाही प्रधानमंत्री विदेशमंत्री स्वराज ने रशियन विदेश मंत्री के साथ हुई चर्चा में दी है। तथा भारत एवं रशिया के सहयोग की व्याप्ति बड़े तादाद में होने की बात कहकर आनेवाले समय में यह सहयोग अधिक बढ़ते जाएंगे, ऐसा विश्वास भी विदेश मंत्री स्वराज ने व्यक्त किया है। टू प्लस टू चर्चा के बाद भारत के अमरिका के साथ सहयोग बढ़ने से रशिया के साथ भारत के संबंधों पर परिणाम होगा, ऐसा दावा कई विश्लेषक कर रहे थे। चीन एवं पाकिस्तान में विश्लेषकों ने भारत ने अपने विदेश धारणा का संतुलन गवांया है, ऐसी आलोचना कर रहे थे। रशिया के साथ भारत की दूरी का लाभ पाकिस्तान ले सकता है एवं रशिया के साथ सहयोग कर सकता है, ऐसी सलाह पाकिस्तान के सामरिक विश्लेषक अपनी सरकार को दे रहे थे।

इस पृष्ठभूमि पर विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की रशिया भेंट अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस भेंट में दोनों देशों ने सभी क्षेत्रीय सहयोग बढाने का निर्णय लिया गया है। २०१७ तक दोनों देशों में १०.१७ अरब डॉलर पर होने वाले द्विपक्षीय व्यापार २०२५ वर्ष तक ५० अरब डॉलर तक ले जाने की घोषणा भारत और रशिया के विदेश मंत्री ने की है। विदेश मंत्री स्वराज की रशिया के उपपंतप्रधान प्रधानमंत्री युरी बोरिसोव्ह इनसे भी चर्चा हुई है। आनेवाले महीने में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष भारत के दौरे पर आने वाले हैं। दोनों देशों में होनेवाले वार्षिक परिषद में राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे और वर्तमान की अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के इस दौरे को बहुत बड़ा राजनैतिक एवं सामरिक महत्व प्राप्त हो रहा है।

अमरिका के दबाव के बावजूद भारत ने रशिया से एस-४०० यह हवाई सुरक्षा यंत्रणा खरीदने का निर्णय लिया है। इस के साथ ही रशिया के साथ अन्य स्तर पर बने सहयोग भी भारत ने अबाधित रखे हैं। इसके सुपरिणाम रशिया के साथ भारत के संबंधों पर होते दिखाई दे रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.