लद्दाख के ‘एलएसी’ पर हुई गतिविधियों से भारत की आँख खुली – अमरीका के ‘इंडो-पैसिफिक कमांड’ के प्रमुख का दावा

वॉशिंग्टन – ‘क्वाड’ की वर्चुअल बैठक १२ मार्च के दिन होगी। इस बैठक के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन, जापान के प्रधानमंत्री योशेहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन शामिल होंगे। वाईट हाउस के माध्यम सचिव जेन साकी ने यह ऐलान किया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता की वजह से निर्माण गुए खतरे पर गौर करें तो ‘क्वाड’ की इस बैठक को बड़ी सामरिक अहमियत प्राप्त हुई है। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर हुई गतिविधियों ने भारत की आँखें खोली हैं और इसके आगे भारत अपनी सुरक्षा के लिए ‘क्वाड’ से अधिक सहयोग करेगा, यह दावा अमरीका के ‘इंडो-पैसिफिक कमांड’ के प्रमुख एडमिरल फिलिप्स डेविडसन ने किया है।

‘क्वाड’ की बैठक से पहले एडमिरल डेविडसन ने अमरिकी संसद की ‘फॉरिन रिलेशन्स कमिटी’ के सामने बोलते समय यह जानकारी दी। बीते कई वर्षों से भारत ने तटस्थता की नीति अपनाकर अपनी विदेश नीति की संप्रभुता बरकरार रखने की कोशिश की थी। लेकिन, अब भारत को सुरक्षा के लिए अन्य देशों से सहयोग करने की अहमियत समझ में आयी होगी। खास तौर पर चीन से जुड़ी ‘एलएसी’ पर हुई गतिविधियों ने भारत की आँखें खोल दी हैं। अगले दिनों में भारत अपनी सुरक्षा के लिए ‘क्वाड’ के साथ अधिक सहयोग करेगा, यह विश्‍वास एडमिरल डेविडसन ने व्यक्त किया। इसके साथ ही लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारत और चीन की सेनाएं एक-दूसरे के सामने खड़े होते हुए अमरीका ने भारत को आवश्‍यक सहायता प्रदान की थी, इसकी अहम जानकारी एडमिरल डेविडसन ने ‘एफआरसी’ को प्रदान की।

लद्दाख की कड़ी ठंड़ में आवश्‍यक गरम कपड़े, टेंट एवं अन्य सामान के साथ ही अमरीका ने भारत को काफी संवेदनशील जानकारी भी प्रदान की थी, यह बात एडमिरल डेविडसन ने स्पष्ट की। साथ ही अमरीका अब भारत के साथ समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर सहयोग स्थापित कर रही है। अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत का यह सहयोग यानी सामरिक अवसर होने का दावा एडमिरल डेविडसन ने किया। ‘क्वाड’ के नेताओं की बैठक होने से पहले अमरीका के वरिष्ठ अफ़सर का यह दावा बड़ा अहम है।

लद्दाख की ‘एलएसी’ पर चीन के साथ तनाव होते हुए भारत ने उस समय के अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने मध्यस्था करने का प्रस्ताव ठुकराया था। लेकिन, अब भारत को अमरीका के सहयोग की अहमियत समझ में आयी होगी, ऐसी फटकार लगाकर एडमिरल डेविडसन ने भारत की सुरक्षा के लिए होनेवाली अमरीका की अहमियत रेखांकित करने की कोशिश की है।

इसी बीच ‘क्वाड’ के लिए भारत अब अधिक ज़िम्मेदारी की भूमिका निभाएगा, ऐसा कहकर इससे पहले भारत इस भूमिका के लिए अनुत्सुक था, ऐसे संकेत एडमिरल डेविडसन ने दिए हैं। लेकिन, असल में अमरीक ही ‘क्वाड’ में विशेष रूचि नहीं ले रही है, यह आरोप भारतीय कुटनितीज्ञ ने किया है।

बराक ओबामा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष थे तभी चीन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी नौसेना की आक्रामक कार्रवाईयां बढ़ाई थीं। इस ओर उस समय अमरीका ने नजरअंदाज किया था। इसके बाद के दौर में भी चीन की आक्रामक हरकतों पर लगाम कसने के लिए अमरीका रूचि नहीं दिखा रही थी। लेकिन, डोनाल्ड ट्रम्प अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष होने के बाद उन्होंने चीन को रोकने के लिए गतिविधियाँ शुरू की और भारत के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाथा था। उनके कार्यकाल में ही भारत और अमरीका के बीच सहयोग बढ़ाने के एिल ‘लिमोआ’, ‘कॉमकासा’, ‘बेका’ जैसे समझौते हुए थे। मौजूदा राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन भारत के साथ जारी सहयोग बढ़ाने के दावे कर रहे हैं, लेकिन असल में क्या वे चीन के खिलाफ निर्णय करेंगे? ऐसी आशंका विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में एडमिरल डेविडसन ने भारत पर किया बयान इन सभी बातों को नजरअंदाज करनेवाला होने की बात दिख रही है।

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