९२. डेव्हलपमेंट टाऊन्स्

एरिएह शेरॉन इस इस्रायली आर्किटेक्ट ने उसकी टीम के, नगररचना-गृहनिर्माण-स्थापत्यशास्त्र-अर्थ ऐसे विभिन्न क्षेत्रों के लगभग १८० विशेषज्ञों की सहायता से ‘नॅशनल डेव्हलपमेंट प्लॅन’ तैयार किया। वह इस्रायल के बुनियादी सुविधाओं के विकास का मानो मूलमंत्र – ‘मास्टर प्लॅन’ ही साबित हुआ।

इस मास्टर प्लॅन का मुख्य उद्देश्य था – इस्रायल की स्वतन्त्रता के बाद दुनियाभर से भारी संख्या में आ रहे ज्यू स्थलांतरितों का पुनर्वास करने की प्रक्रिया में तेल अव्हीव, जेरुसलेम एवं हैफा इन तीन महानगरों के ईर्दगिर्द माआबारोत के रूप में (माआबारोत=ज्यू स्थलांतरितों के लिए शीघ्रतापूर्वक बनवाये गये तंबुओं की या पत्रे के घरों की बस्तियाँ) अनिर्बंधित रूप में बढ़ी हुई बस्तियों को संपूर्ण इस्रायल में समान रूप से फैलाना।

इस्रायल का भौगोलिक ऩक्शा

इसलिए जगह जगह की भौगोलिक एवं अन्य विशेषताओं को मद्देनज़र करते हुए पूरे देश को नियोजन-विभागों में बाँटा गया। इन विभागों के आधार पर ही मध्यम आकार के शहर (‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स्’) का निर्माण किया जानेवाला था। बेतहाशा भीड़ हो चुके महानगर और लगभग वीरान ही पड़ चुके ग्रामीण विभाग इनमें संतुलन बनाये रखने का, साथ ही, उनके बीच संपर्क रखने का काम ‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स्’ करनेवाले थे।

इस ‘मास्टर प्लॅन’ के तहत पूरे इस्रायल में ऐसे ३० ‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स्’ का निर्माण किया जानेवाला था। लेकिन कम से कम जगह में अधिक से अधिक लोगों को घर उपलब्ध करा देने की दृष्टि से, शेरॉन ने तेल अवीव्ह में पहले से ही सफल कर दिखा दिये आन्तर्राष्ट्रीय पद्धति के, काँक्रीट ब्लॉक्स की बहुमंज़िला ईमारतों के डिझाईन का इस्तेमाल किया जानेवाला था। मग़र ये ‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स्’ यानी महज़ निवास की सुविधा न होकर, उनमें स्थित निवासियों के चरितार्थ का भी प्रबन्ध किया जानेवाला था। इतना ही नहीं, बल्कि बाजारहाट की, मनोरंजन की, बच्चों की पढ़ाई की भी सुविधा हो सकें, ऐसे स्वयंपूर्ण शहरों का निर्माण करने के प्रयास किये जानेवाले थे।

इस्रायल यह पहले से ही भौगोलिक दृष्टि से अत्यधिक विसंगति होनेवाला देश है। महज़ २०-२१ ह जार स्क्वेअर किलोमीटर क्षेत्रफल होनेवाले इस देश में पहाड़ियाँ हैं, समुद्रकिनारा है, जलप्रवण विभाग हैं, वैसे ही रेगिस्तान भी है। उत्तरी भाग के पर्वतीय इला़के में पर्जन्यमान अच्छाख़ासा है, कुछ पर्वतशिखर तो बर्फाच्छादित भी होते हैं; वहीं दक्षिणी इला़के में शुष्क रेगिस्तान है।

ऐसीं आत्यंतिक भौगोलिक विविधताओं का भी विचार इन ‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स्’ का निर्माण करते समय किया जानेवाला था। जहाँ भारी बरसात होती है या फिर जल की आपूर्ति प्रचुर मात्रा में है, ऐसी जगहों में खेती यह प्रमुख व्यवसाय रहनेवाला था; वहीं अन्य जगहों में कारखानदारी पर, वैसे ही सेवाक्षेत्र में रोज़गार विकसित करने पर ज़ोर दिया जानेवाला था। लेकिन लोगों को प्रायः स्थानीय स्तर पर ही रोज़गार उपलब्ध हों, इसलिए हर एक डेव्हलपमेंट टाऊन के पास ही एक-एक बड़े औद्योगिक संकुल (‘इंडस्ट्रियल इस्टेट’) का निर्माण किया जानेवाला था।

इन ‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स्’ में जिनका पुनर्वास किया जानेवाला था, वे ज्यू स्थलांतरित दुनिया के विभिन्न भागों से आये थे। आते समय वे केवल अपने अपने विभिन्न क्षेत्रों में होनेवाले हुनर अपने साथ लाये थे। इस कारण, किसी स्थान से आये ज्यू स्थलांतरितों के समूह के पास यदि कोई विशेष व्यवसायविषयक हुनर होंगे, तो उनका भी विचार उनका पुनर्वास करते समय किया जानेवाला था। उदाहरण के तौर पर – किसी समूह के पास यदि किसी उद्योग के लिए आवश्यक हुनर होंगे, तो उनका पुनर्वास किये डेव्हलपमेंट टाऊन के पास उस उद्योग का और उससे संलग्न उद्योगों का निर्माण किया जानेवाला था।

इस प्रकार निर्माण किये गये डेव्हलपमेंट टाऊन्स की निवासी क्षमता ३० हज़ार से लेकर १ लाख तक होनेवाली थी। किसी बस्ती की जनसंख्या २० हज़ार से अधिक हो जाने के बाद उस शहर को नगरपालिका (‘म्युनिसिपालिटी’) का दर्जा दिया जानेवाला था। इन टाऊन्स में, उस समय इस्रायल में भारी संख्या में आ रहे ज्यू स्थलांतरितों का पुनर्वास तो किया गया ही; साथ ही आगे चलकर सन १९९० के दशक में सोव्हिएत युनियन का विघटन हो जाने के बाद उसमें से टूटकर बाहर निकले राष्ट्रों में से पुनः जो ज्यू स्थलांतरित इस्रायल में आये, उनका भी पुनर्वास किया गया।

इनमें से कुछ टाऊन्स् का निर्माण माआबारोत में से किया गया था, कुछ टाऊन्स इस्रायल के स्वतंत्रतायुद्ध के दौरान इस्रायल में से भाग गये अरबों के गाँवों में उनके घरों के स्थान पर बनाये गये; वहीं, नेगेव्ह के रेगिस्तानी इला़के के कुछ टाऊन्स् शून्य से बनाये गये थे।

इन टाऊन्स् का निर्माण हो जाने के बाद, कुछ स्थानों पर ही एकत्रित हुई जनसंख्या देशभर में बिखरी गयी। ये टाऊन्स् यानी जनसंख्या के, रोज़गार के, सेवाक्षेत्र के, व्यापार के, प्रशासन के, सैनिकी गतिविधियों के नये स्थानीय केंद्र बने।

इनमें से तटवर्ती इला़के से सटे टाऊन्स का विकास शीघ्रगति से हुए। ‘गॅलिली’ और आसपास के इलाकों में स्थित टाऊन्स का विकास मध्यमगति से हुआ; वहीं, ‘नेगेव्ह’ के रेगिस्तानस्थित टाऊन्स का विकास धीमी गति से हुआ। जिनका आर्थिक विकास अच्छा हुआ और जो उनमें स्थित जनसंख्या के लिए आर्थिक दृष्टि से, शैक्षणिक दृष्टि से, सांस्कृतिक दृष्टि से, सामाजिक दृष्टि से स्वयंपूर्ण बन गये; ऐसे टाऊन्स की गणना धीरे धीरे ‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स’ में न की जाकर, उन्हें स्वतंत्र शहरों के रूप में पहचाना जाने लगा।

इस्रायल के दक्षिणी भाग के रेगिस्तानी इला़के में स्थित एइलात में होनेवाला डेव्हलपमेंट टाऊन

उत्तरी भाग के ‘गॅलिली’ और आसपास के प्रदेश के ‘अपर नाझरेथ’, ‘कार्मिएल’ जैसे डेव्हलपमेंट टाऊन्स का भी अच्छा विकास हुआ। धीरे धीरे ये टाऊन्स भी स्वयंपूर्ण शहरों के रूप में जाने जाने लगे और इन शहरों में आकर बसने के लिए लोग आकर्षित होने लगे। पहाड़ी इला़के की प्राकृतिक सुन्दरता की प्रचुरता होनेवाले इस भाग में धीरे धीरे टुरिझम उद्योग का विकास होने लगा, जिससे होटलव्यवसाय भी बढ़ा। टुरिझम के साथ साथ इस इला़के में अत्याधुनिक उद्योगधंधे, उच्चतंत्रज्ञान (हाईटेक) कंपनियाँ, शैक्षणिक संस्थाओं ने भी मज़बूती से जड़ें फैला दीं। यहाँ के उद्योगों को आवश्यक होनेवाले मनुष्यबल की आपूर्ति करने की प्रक्रिया में इन टाऊन्स के आसपास के इलाक़ों में भी कई छोटे-बड़े गाँव बस गये, जिनमें इसीके साथ खेती की भी शुरुआत हुई।

दक्षिणी भाग में यानी नेगेव्ह के रेगिस्तान में निर्माण हुए डेव्हलपमेंट टाऊन्स का विकास उसकी तुलना में धीमी गति से हुआ। ‘नेगेव्ह पहाड़ी’ में तथा ‘डेड सी’ में प्राप्त होनेवाले खनिज पदार्थ, साथ ही अन्य कच्चा माल (रॉ मटेरियल) का उत्खनन, रसायनिक उद्योग ये यहाँ के निवासियों के चरितार्थ का पहले से ही प्रमुख साधन रहा है। पुरातत्त्वसंशोधकों को आकर्षित करनेवाले कई स्थान यहाँ होने के कारण, इन उद्योगों के साथ ही ‘डेझर्ट टुरिझम’ इस उद्योग का भी यहाँ विकास हुआ है। उसीके साथ, इस भाग के कई डेव्हलपमेंट टाऊन्स ये महत्त्वपूर्ण परिवहन केंद्र और सैनिकी सेवा आपूर्तिकेंद्र बने हैं। नेगेव्ह प्रान्त का मुख्य शहर बीरशेवा यह यहाँ के टाऊन्स को आवश्यक सेवा प्रदान करनेवाला और अन्य सुविधाएँ प्रदान करनेवाला मुख्य शहर होकर, यहाँ इस इला़के के प्रशासनिक केंद्र, शैक्षणिक केंद्र, वैद्यकीय केंद्र, सरकारी सेवाएँ हैं।

पहले से ही भौगोलिक दृष्टि से अत्यधिक विसंगति होनेवाले इस्रायल में जिस प्रकार बर्फाच्छादित पर्वतशिखर हैं; उसी प्रकार दक्षिणी भाग में रेगिस्तान भी है।

इस्रायल के मध्य भाग के डेव्हलपमेंट टाऊन्स् ये इस्रायल को प्राप्त हुए तटवर्ती इला़के में बिखरे हुए हैं। उत्तरी ओर का गॅलिली और आसपास का भाग और दक्षिणस्थित नेगेव्ह रेगिस्तान का भाग, इन दोनों इलाक़ों के मध्य में यह भाग है। इस कारण, इन दोनों इलाक़ों में स्थित उच्चतंत्रज्ञान (हाईटेक) उद्योगों को, आर्थिक केंद्रों को, प्रशासकीय सेवा-संस्थाओं को और जनसंख्या को आवश्यक विभिन्न सेवासुविधाओं की आपूर्ति करना यह इस बीचवाले भाग के डेव्हलपमेंट टाऊन्स के लोगों के चरितार्थ का मुख्य साधन बन चुका है। उत्तर की ओर और दक्षिण की ओर जानेवाले परिवहन मार्ग इसी भाग में से होकर जा रहे होने के कारण इस मध्यभाग का भौगोलिक महत्त्व बढ़कर यहाँ के टाऊन्स का तेज़ी से विकास होने में मदद हुई।

तटवर्तीय प्रदेश का समावेश मध्य इस्रायल में होता है। उत्तर तथा दक्षिण की ओर जानेवाले परिवहन मार्ग इसी भाग से होकर जा रहे होने के कारण इस मध्यभाग का महत्त्व बढ़कर यहाँ के डेव्हलपमेंट टाऊन्स का विकास तेज़ी से हुआ।

इस प्रकार ‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स्’ यह आधुनिक इस्रायल के विकास में महत्त्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ। उसमें शायद कुछ ख़ामियाँ भी हो सकती हैं। लेकिन जब दुनियाभर से हज़ारों की तादाद में ज्यू स्थलांतरित इस्रायल में आ रहे थे, उस समय एक भी ज्यू स्थलांतरित को वापस न भेजते हुए, तत्कालीन इस्रायली सरकार ने उस कसौटी के दौर में जितना उनसे हो पाया, वह सबकुछ किया। सबसे अहम बात यानी देश के विशिष्ट भागों में एकत्रित होती हुई इतनी बड़ी जनसंख्या को पूरे देश में फैलाया गया और पूरे देश में ही उद्योगव्यवसायों को समान रूप में बढ़ावा मिला, वह इसी प्रोजेक्ट के बलबूते पर। इस कारण, आज के ‘विकसित’ इस्रायल के विकास की नींव इस ‘डेव्हलपमेंट टाऊन्स्’ प्रोजेक्ट में रखी गयी, यह भूलना नहीं चाहिए।(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.