भारत-नेपाल की बैठक में विकास परियोजनाओं का ब्यौरा किया गया

नई दिल्ली – भारत और नेपाल के बीच बने सीमा विवाद की पृष्ठभूमि पर सोमवार के दिन दोनों देशों की वर्च्युअल बैठक हुई। इस दौरान भारत और नेपाल की विकास परियोजनाओं का जायज़ा लेकर इन योजनाओं के काम को गति देने पर दोनों देशों की सहमति हुई। इस बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर चर्चा ना होने की बात कही गई है। दो दिन पहले नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली ने भारत के प्रधानमंत्री को फोन किया और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दी थीं। बीते कुछ सप्ताहों से नेपालने निर्माण किए सीमा विवाद के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री ने चर्चा की दिशा में उठाया यह पहले कदम बनता है।

india-nepalसोमवार के दिन हुई इस वर्च्युअल बैठक में भारत का नेतृत्व नेपाल में नियुक्त भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वारता ने किया। तभी नेपाल की ओर से विदेश सचिव शंकर पास बैरागी इस दौरान मौजूद थे। इस बैठक में दोनों देशों की विकास परियोजनाओं का जायज़ा लिया गया। साथ ही इन परियोजनाओं को गति देने पर भी दोनों देशों की सहमति हुई। वर्ष 2015 में नेपाल को भूकंप का बड़ा झटका लगा था। इस झटके में काफ़ी ज्यादा मात्रा में जान और माल का नुकसान हुआ था। कई घरों का भारी नुकसान हुआ था। इन घरों का पुननिर्माण करने के लिए भारत ही नेपाल को सहायता प्रदान कर रहा है।

नेपाल के गोरखा और नुवाकोत में 46 हज़ार घरों के पुननिर्माण का काम होगा। इस काम का जायज़ा लेने के लिए यह बैठक की गई। साथ ही रामायण सर्किट, इंधन पाईपलाईन, इंटिग्रेटेड चेकपोस्ट, कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स जल्द से जल्द कार्यान्वित करने पर दोनों देशों ने जोर दिया। तभी तेराई रोड, क्रॉस बॉर्डर रेल, तीन हायड्रो प्रोजेक्ट, पंचेश्‍वर मल्टिपर्पज़ प्रोजेक्ट, इरिगेशन पॉवर और ट्रान्समिशन लाईन, नेपाल पुलिस अकादमी और महाकाली नदी के पुल की परियोजनाओं पर इस बैठक में दोनों देशों की चर्चा हुई।

वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल का दौरा किया था। इस दौरान भारत और नेपाल के बीच एक यंत्रणा का निर्माण किया गया था। इस यंत्रणा की सहायता से द्विपक्षीय परियोजनाओं का जायज़ा लिया जाता है और यह परियोजना तय किए गए समय में पूरी होती है या नहीं, इस पर भी ध्यान रखती है। सोमवार की बैठक में भी दोनों देशों ने यह परियोजना जल्द ही पूरी करने की आवश्‍यकता होने की बात स्वीकार की। साथ ही इससे संबंधित कुछ समस्या निर्माण होने पर उस पर समय पर हल निकालने के लिए भारत और नेपाल ने जोर दिया। साथ ही इस बैठक में भारत ने कोरोना वायरस के संकट के दिनों में प्रदान की हुई मेडिकल सहायता को लेकर भी नेपाल ने भारत के प्रति आभार व्यक्त किया।

इसी बीच, वर्णित बैठक में सीमा विवाद पर चर्चा नहीं होगी, यह पहले ही तय किया गया था। उत्तराखंड के लिपुलेख में भारत ने रास्ते का निर्माण करने के बाद भारत और नेपाल में विवाद शुरू हुआ। इसके बाद नेपाल ने नया नक्शा जारी करके भारत को उकसाया था। लेकिन भारत ने इस पर कड़े शब्दों में फटकार लगाई थी। अपनी सरकार ने भारत के विरोध में अपनाई भूमिका पर नेपाली जनता ने ही आलोचना की थी। ऐसे में ही नेपाल की इन भारत विरोधी हरकतों के पीछे चीन का बहकावा होने की बात सामने आयी थी। इसके बाद चीन समर्थक नेपाल की ओली सरकार पर दबाव बढ़ा था। बीते कुछ दिनों से नेपाल की सरकार की भूमिका में दुबारा बदलाव होने की बात दिखाई दे रही है। विकास परियोजनाओं में सीमा विवाद को छेडे बिना आगे बढ़ने की नेपाल ने स्वीकारी हुई नीति यही बात स्पष्ट कर रही है।

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