तैवान में अमरिका की तैनाती मतलब चीन पर आक्रमण होगा; चीन के सरकारी दैनिक की चेतावनी

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ताइपेई / बीजिंग – अमरिका ने कुछ महीनों पहले तैवान में अमरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ तैवान का उद्घाटन किया था। यह संस्था अमरिका का सांस्कृतिक केंद्र होने का दावा अमरिका से किया जा रहा था। पर यह केंद्र अमरिका का तैवान में दूतावास के तौर पर कार्यरत रहेगा, ऐसे संकेत अमरिकी प्रशासन के अधिकारी तथा सूत्रों ने दिए थे। अमरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ तैवान के उद्घाटन के लिए तैवान की राष्ट्राध्यक्षा त्साई इंग वेन इनकी उपस्थिति से इस बात का समर्थन कर रही है।

अमरिका के इस कार्य पर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया उमड़ रही थी। अमरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ तैवान के उद्घाटन के बाद चीन ने तैवान के विरोध में लष्करी तैयारी को गति दी थी। पिछले महीने में चीन ने तैवान के विरोध में युद्ध का भाग होने वाले भव्य लष्करी युद्धाभ्यास का आयोजन किया था। इसकी वजह से चीन की सत्ताधारी सल्तनत से तैवान एवं अमरिका को लगातार चेतावनी दी जा रही थी।

पर चीन के इन चुनोतियों की तरफ नजरअंदाज करते हुए अमरिका ने तैवान के अमरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ तैवान में यूएस मरींस की टुकड़ी तैनात करने की गतिविधियां शुरू की है। अमरिका के विदेश विभाग के सूत्रों से इस संदर्भ में दावा किया जा रहा है। इस दावे के अनुसार अमरिका की लगभग १० से ३० जवानों का समावेश होने वाली यूएस मरींस की टुकड़ी अमरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ तैवान में तैनात की जा सकती है।

अमरिका की इस संभावित तैनाती पर चीनी प्रसार माध्यमों से तीव्र प्रतिक्रिया आ रही है। सरकारी दैनिक एवं सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्य पत्र होने वाले ग्लोबल टाइम्स ने अमरिका कि यह तैनाती युद्ध का कारण हो सकती है, ऐसा सूचित किया है। अमरिका की तैनाती यह चीन के वन चाइना धारणा का उल्लंघन होगी अथवा अमरिका का चीन के भूमि पर आक्रमण समझा जाएगा, ऐसी धमकी ग्लोबल टाइम्स ने दी है।

अमरिका के तैनाती को मंजूरी मिलनेपर तैवान के राष्ट्राध्यक्ष को राष्ट्रद्रोही माना जाएगा और यह घटना संभाव्य संघर्ष के लिए विस्फोटक हो सकती है, ऐसा भी ग्लोबल टाइम्स के लेख में सूचित किया गया है।

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