पंद्रह दिनों में मज़दूरों को घर पहुँचाएँ – सर्वोच्च न्यायालय के आदेश

नई दिल्ली – लॉकडाउन की वज़ह से अलग अलग राज्यों में फँसे मज़दूरों की पहचान करके, उन्हें अगले पंद्रह दिनों में उनके घर पहुँचाएँ, यह अहम आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने जारी किया है। साथ ही, लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के मामले में मज़दूरों पर दर्ज़ किए अपराधिक मामले राज्य सरकारें हटाएँ, ऐसे निदेश भी सर्वोच्च न्यायालय ने दिए हैं।

Supreme Court of Indiaमार्च महीने में केंद्र सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन घोषित किया है। इस लॉकडाउन के दौर में लाखों मज़दूर अलग अलग राज्यों में फँसे पड़े थे। इनमें से कुछ मज़दूर घर पहुँचने के लिए पैदल ही निकल पड़े। इस वज़ह से, १ मई से केंद्र सरकार ने इन स्थानांतरित मज़दूरों के लिए श्रमिक ट्रेन्स चलाना शुरू किया। इन गाड़ियों से अबतक लाखों मज़दूर अपने घर लौट चुके हैं।

फिलहाल १ जून से लॉकडाउन का पाँचवाँ चरण शुरू हुआ है और ३० जून तक लॉकडाउन जारी रहेगा। इस दौरान कुछ हिस्सों में अभी भी मज़दूरों का स्थानांतरण शुरू है। इस पृष्ठभूमि पर, न्यायाधीश अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एम.आर.शाह के खंडपीठ ने ये आदेश जारी किए हैं। इससे पहले खंडपीठ ने राज्यों को, मज़दूरों से बस या ट्रेन की सफर करने के टिकटों के पैसें ना लेने के एवं उन्हें खाना देने की व्यवस्था करने के आदेश दिए थे।

दूसरें राज्यों से पहुँचे मज़दूरों की सूचि बनाकर, ये मज़दूर उस राज्य में क्या काम कर रहे थे, इसका पंजीकरण करें। साथ ही, लॉकडाउन ख़त्म होने पर मज़दूरों को उनकी कुशलता देखकर उसके अनुसार रोज़गार उपलब्ध कराएँ, यह सूचना भी सर्वोच्च अदालत ने की है। राज्य सरकार मज़दूरों के लिए रेल गाड़ियों की माँग करती है, तो इन रेल गाड़ियों की व्यवस्था करने को भी अदालत ने केंद्र सरकार को कहा है। इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने, मज़दूरों के लिए काउन्सिलिंग सेंटर और कैम्प लगाने को भी कहा है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई जुलाई महीने में होगी।

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