‘डीआरडीओ’ ने बनाई कोरोना की दवा को ‘डीसीजीआय’ की मंजूरी – ‘२-डीजी’ दवा देने पर ऑक्सिजन की निर्भरता कम होने का अनुमान

drdo-corona-medicineनई दिल्ली – कोरोना के विरोध में जारी जंग में ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने बनाई ‘२-डीजी’ दवा बड़ा काम करने के आसार हैं। देश में फिलहाल चार हज़ार कोरोना संक्रमित रोज़ाना मृत हो रहे हैं और कई संक्रमितों को ऑक्सिजन लगाने की आवश्‍यकता निर्माण हो रही है। ऐसे में ‘डीआरडीओ’ ने बनाई दवा के किए गए परीक्षण की रपटें उम्मीद जगानेवाली साबित हुई हैं। शनिवार के दिन ‘द ड्रग्ज्‌ कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (डीसीजीआय) ने ‘डीआरडीओ’ ने बनाई दवा को आपात स्थिति में इस्तेमाल करने की मंजूरी प्रदान की है। यह दवा जल्द ही बाज़ार में उतारी जाएगी। डॉ.रेड्डीज कंपनी को इस दवा के उत्पादन का ज़िम्मा दिया गया है।

देश में कोरोना के एक्टिव संक्रमितों की संख्या बढ़कर ३५ लाख हुई है और ऐसे में स्वास्थ्य यंत्रणाओं पर काफी भार है। कई संक्रमितों के शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा कम होने पर उन्हें बाहर से ऑक्सिजन लगाने की ज़रूरत निर्माण होने से वैद्यकीय ऑक्सिजन की माँग बढ़ी है। इस वजह से ऑक्सिजन की किल्लत भी बन रही है। भारत के मित्र देश बड़ी मात्रा में भारत को ऑक्सिजन के संयंत्र, ऑक्सिजन जनरेटर, ऑक्सिजन कॉन्सन्ट्रेटर्स जैसे उपकरणों की आपूर्ति कर रहे हैं। साथ ही भारत भी बाहरी देशों से यह उपकरण आयात कर रहा है एवं ऑक्सिजन का उत्पादन करनेवाले प्रकल्प स्थापित करने पर जोर दे रहा है। इसके बावजूद कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या देखे तो देश में ऑक्सिजन की आवश्‍यकता बरकरार रहेगी।

ऐसे में ‘डीआरडीओ’ ने कोरोना का इलाज़ के लिए अपनी ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ न्युक्लिअर मेडिसिन ऐण्ड अलाइड सायन्सस’ (आयएनएमएएस) नामक अपनी लैब में ‘२-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ (२-डीजी) नामक दवा बनाई है। ‘डीआरडीओ’ के हैदराबाद स्थित ‘सेंटर फॉर सेल्युलर ऐण्ड मॉलेक्युलर बायोलॉजी’ (सीसीएमबी) ने यह दवा बनाने में अहम योगदान दिया है।

‘२-डीजी’ दवा से कोरोना संक्रमित जल्द स्वस्थ होता है। जिन्हें बाहरी ऑक्सिजन की आवश्‍यकता होती है उनकी ऑक्सिजन की निर्भरता भी इस दवा से जल्द ही खत्म हो जाती है, यह बात इस दवा के परीक्षण से सामने आयी है। बीते वर्ष कोरोना की पहली लहर के दौरान ही ‘डीआरडीओ’ ने इस दवा का निर्माण शुरू किया था। बीते वर्ष अप्रैल में इस दवा की लैब टेस्ट के बाद अगले परीक्षणों के लिए अनुमति माँगी गई और मई से इस दवा के अगले चरण के परीक्षण शुरू हुए थे। देश के ११ अस्पतालों में यह परीक्षण किए गए। इस दौरान इस दवा से कोरोना संक्रमित ढ़ाई से तीन दिन पहले ही स्वस्थ होने की बात सामने आयी थी।

drdo-corona-medicineइसके बाद नवंबर में इस दवा के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए अनुमति दी गई। दिसंबर से मार्च २०२१ के दौरान इस दवा के तीसरे चरण का परीक्षण किया गया। महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बंगाल, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगना, कर्नाटक और तमिलनाडु में कुल २७ अस्पतालों में यह परीक्षण किए गए। इस दौरान ऑक्सिजन की मात्रा कम होने से बाहरी ऑक्सिजन दिए जा रहे संक्रमितों को यह दवा दी गई और इनमें से ४२ फीसदी संक्रमितों की बाहरी ऑक्सिजन की निर्भरता तीसरे दिन ही खत्म होने की बात स्पष्ट हुई। इस वजह से कोरोना के विरोध में जंग में संक्रमितों का इलाज़ करने में यह दवा प्रभावी साबित होगी, ऐसी उम्मीद बढ़ी है।

कैन्सर के इलाज़ के लिए विकसित हो रही दवा का इस्तेमाल करके कोरोना की यह दवा बनाई गई है। यह दवा पाऊड़र के स्वरूप में उपलब्ध है और पानी में घोलकर इसका सेवन करना होता है, यह जानकारी संबंधित अफसर ने साझा की। ‘डीआरडीओ’ के दावे के अनुसार यह दवा शरीर में कोरोना संक्रमित पेशियों की पहचान करके अपना काम शुरू करती है। किसी भी विषाणु को बढ़ने के लिए ग्लूकोज की ज़रूरत होती है। ग्लूकोज की उपलब्धता ना होने पर यह विषाणु नष्ट होता है। ग्लूकोज का ‘एनालॉग’ तैयार करके बनाई गई यह दवा इसी सूत्र से काम करती है और शरीर में कोरोना संक्रमण की बढ़ोतरी रोकती है, ऐसा इस दवा से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है।

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