सरपंच पिता की हत्या के बाद भी लड़की ने किया कश्‍मीर छोड़ने से इन्कार

Sheena-Panditaनई दिल्ली/श्रीनगर – जम्मू-कश्‍मीर में आतंकियों ने मंगलवार के दिन एक कश्‍मीरी पंडित सरपंच की हत्या की थी। इस पर पूरे देश में बड़ी तीव्रता से गुस्सा व्यक्त हो रहा है। कश्‍मीरी पंडितों को दोबारा कश्‍मीर घाटी में लौटने से रोकने के लिए आतंकियों ने इनकी हत्या की है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। हत्या किए गए सरपंच के परिवारजनों ने, हम आतंकियों से नही ड़रेंगे और कश्‍मीर छोड़कर कहीं भी नहीं जाएंगे, यह बात ड़टकर कही है।

अनंतनाग जिले के लाकरीपुरा क्षेत्र में लूकबवान गांव के सरपंच अजय पंडिता की उनके घर के बाहर ही हत्या की गई। पिछले कुछ दिनों से उन्हें आतंकी धमका रहे थे। इन धमकियों की परवाह किए बिना अजय पंडिता काम कर रहे थे। अजय पंडिता की हत्या की ज़िम्मेदारी ‘द रेजिस्टंस फ्रन्ट’ (टीआरएफ) नाम के आतंकी संगठन ने स्वीकारी है।

पंडिता की हत्या पर देशभर में तीव्र प्रतिक्रियाएँ उमड़ रही हैं। अजय पंडिता की बेटी शीना पंडिता ने, अपने पिता एक छोटे गांव के सरपंच थे। उन्हें मारने के लिए आतंकियों की क्या ज़रूरत थी, यह सवाल करके, वे कश्‍मीरी पंडित होने के कारण ही उनकी हत्या की गई, यह आरोप भी किया है। ‘हम आतंकियों से ड़रते नही हैं। कश्‍मीर हमारी मातृभूमि हैं और कश्‍मीर में लौटने से हमें कोई भी नहीं रोक सकता’ यह बात भी शीना पंडिता ने ड़टकर कही। उन्होंने दिखाए इस धैर्य की पूरे देशभर से सराहना हो रही है।

सन १९९० के दशक में जम्मू-कश्‍मीर में आतंकियों ने कश्‍मीरी पंडितों की बड़ी संख्या में हत्याएँ कीं थीं। उन पर काफ़ी अत्याचार भी किए। इस वज़ह से हज़ारों कश्‍मीरी पंडितों को कश्‍मीर छोड़कर स्थानांतरण करना पड़ा था। कश्‍मीरी पंडितों के हज़ारों परिवार आज भी शरणार्थियों की ज़िंदगी जी रहे हैं। कश्‍मीर से धारा ३७० हटाने के बाद, कश्‍मीरी पंडितों को दोबारा कश्‍मीर में बसाने की गतिविधियाँ तेज़ हुई हैं। उनके लिए स्वतंत्र रियासी इलाके बनाने का भी प्रस्ताव है।

Jammu kashmir Sarpanchअजय पंडिता और उनका परिवार सन १९९६ में ही दोबारा कश्‍मीर लौटे थे। खतरनाक माहौल में रहने के बजाय कश्‍मीर छोड़कर निकल जाएँगे, यह बात अजय पंडिता के परिवारजनों ने कई बार उनसे कही थी। लेकिन उन्होंने कश्‍मीर छोड़ने से लगातार इन्कार किया था। इतना ही नहीं ,बल्कि पिछले वर्ष सरपंच के चुनाव में भी वे उतरें थे। साथ ही, कश्‍मीरी पंडित कश्‍मीर घाटी में लौट आएँ, इसके लिए अजय पंडिता कोशिश कर रहे थे। इसी कारण उनकी हत्या की गई होगी, यह दावा किया जा रहा है। शरणार्थी कश्‍मीरी पंडितों को वापस लौटने से रोकने के लिए की गई साज़िश के तौर उनकी हत्या की ओर देखा जा रहा है। पंडिता की हत्या के बाद वहाँ के सरपंचों ने सरकार से सुरक्षा प्रदान करने की माँग की है।

जम्मू-कश्‍मीर में फ़िलहाल बड़ी संख्या में आतंकी मारे जा रहे हैं। इसकी वज़ह से कमज़ोर हुए आतंकी संगठन, सरपंच की हत्या करके अपनी ताकत का प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, स्थानीय लोगों की हत्या करने से, आतंकियों के विरोध में सुरक्षा बलों को प्राप्त हो रहे स्थानीय लोगों के सहयोग में भी बढ़ोतरी हो रही है।

ऐंसे में, फिलहाल कश्‍मीर में आतंकी संगठन और अलगाववादियों की स्थिति बड़ी ख़राब हुई है। आतंकी बड़ी संख्या में मारे जा रहे हैं। अलगाववादियों को प्राप्त होनेवाले समर्थन में भी गिरावट हुई है। इसी निराशा में से आतंकी अब इस तरह से हत्याएँ करके माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, यह दावा कुछ विश्‍लेषकों ने किया है।

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