दलाई लामा की तवांग यात्रा को लेकर चीन की भारत को नई चेतावनी

बीजिंग, दि. २४: ‘तवांग यह तिबेट का भूभाग है और तिबेट यह चीन का अविभाज्य भूभाग है| इसके कारण तवांग पर चीन का पूरा अधिकार है| इस मामले में किसी भी प्रकार का झगड़ा करना ठीक नहीं| ऐसा होते हुए भी भारत ने, अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दलाई लामा की भेंट आयोजित करके चीन को दुखाया है| इसका दोनों देशों के संबंधों पर विपरित असर होगा,’ ऐसी चेतावनी चीन के बीजिंग स्थित ‘तिबेटोलॉजी रिसर्च सेंटर’ के संचालक लियन शियांगमीन’ ने दी|

बौद्ध धर्मगुरू और तिबेटी नेता दलाई लामा अप्रैल महीने की ५ से ७ तारीख में अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करने वाले हैं| उनकी इस यात्रा का ऐलान होने के बाद चीन द्वारा भारत को चेतावनी और धमकियाँ दी जा रही हैं| ‘अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर चीन का अधिकार है| इस भूभाग में भारत के नेता और अधिकारी तथा अन्य देश के राजनैतिक अधिकारी यात्रा नहीं कर सकते’ ऐसी चीन की भूमिका है| इसमें ‘दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा से भारत हमें उक़सा रहा है’ ऐसा आरोप चीन द्वारा किया जा रहा है| ‘तिबेटोलॉजी रिसर्च सेंटर’ के संचालक लियान शियांगमीन ने किया हुआ दावा, इसी आरोपसत्र और धमकियों की श्रेणी का अगला हिस्सा साबित होता है|

‘तवांग पर चीन का अधिकार वादातीत है| ऐसा होकर भी भारत दलाई लामा की यात्रा का आयोजन कर रहा है| इससे पहले भी भारत ने दलाई लामा की इस प्रकार की यात्रा आयोजित करके चीन को दुखाया था’ ऐसी आलोचना शियांगमीन ने की| भारत की ये कार्रवाइयाँ दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए अनुकूल नहीं होंगी इसकी याद भारत ने रखनी चाहिए’ ऐसा शियांगमीन ने कहा| ‘दोनो देशों में सीमाविवाद है और यह सुलझाने के प्रयास भी चल रहे हैं| ऐसे हालात में संवेदनशील विषय छेड़कर भारत ने चीन को दुखाना नहीं चाहिए’ ऐसी चेतावनी शियांगमीन ने दी है|

आंतर्राष्ट्रीय मीडिया सें बात करते समय शियांगमीन ने किया दावा, चीन की अस्वस्थता दिखा रहा है| इससे पहले भी चीन ने दलाई लामा की यात्रा पर और विदेशी राजनैतिक अधिकारियों की तवांग यात्रा पर ऐतराज़ जताया था| लेकिन ‘दलाई लामा यह भारत के सन्माननीय अतिथि है| और भारत के किसी भी भूभाग की यात्रा कर सकते हैं’ ऐसी फ़टकार भारत ने चीन को लगायी थी| साथ ही, ‘दलाई लामा की यह यात्रा भारत सरकार ने आयोजित नहीं की और इनकी यात्रा पर भारत सरकार का नियंत्रण नहीं हो सकता’ ऐसा भी भारत के विदेशमंत्रालय ने चीन को फटकारा था| चीन ने इससे राजकीय अर्थ नहीं निकालना चाहिए, ऐसी खरी खरी भारत के विदेशमंत्रालय ने चीन को सुनायी थी|

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