‘चीन को धक्का देने के लिए भारत दलाई लामा का इस्तेमाल न करें’ : चीन की चेतावनी

बीजिंग, दि. १७ : बौद्ध धर्मगुरु और तिब्बत के लीडर दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा से भारत-चीन संबंधो पर नकारात्मक असर हुआ है| इसके आगे भारत लामा का इस्तेमाल चीन को धक्का देने के लिए मत करें, ऐसी चेतावनी चीन के विदेशमंत्रालय ने दी है| दलाई लामा ने ४-१३ अप्रैल इन दौरान अरुणाचल प्रदेश की भेंट की थी|

चेतावनी ‘इससे पहले, कुछ मुद्दों की वजह से भारत और चीन के संबंध जड़ से हिल गये थे| लेकिन दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश भेंट का दोनो देशों के संबंधों पर हुआ असर और भी नकारात्मक है’, इन बयानों में चीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्क्ता लू कँग ने भारत की आलोचना की| साथ ही, इस यात्रा का दोनो देशों की सीमासंबंधित बातचीत पर विपरित असर होगा, ऐसा दावा कँग ने किया है|

तिब्बत के बारे में इससे पहले भारत ने अपनायी भूमिका पर दृढ़ रहने का आवाहन चीन भारत को कर रहा है, ऐसे लू कँग ने कहा| सन २००३ में चीन के साथ हुए समझौते के अनुसार, तिब्बत पर के चीन के प्रभुत्व का भारत ने स्वीकार किया था| इसके बदले, सिक्कीम पर के भारत के दावे का चीन ने स्वीकार किया था| इसकी याद चीन द्वारा हर वक्त करायी जाती है| लेकिन उस समय चीन ने ‘अरुणाचल प्रदेश यह तिब्बत का भाग है’ ऐसा दावा नहीं किया था|

‘तिब्बत यह चीन का हिस्सा है और अरुणाचल प्रदेश यह दक्षिण तिब्बत होने के कारण वह तिब्बत का ही भूभाग है’ ऐसा दावा चीन द्वारा किया जाता है| इस प्रांत पर का भारत का दावा विवादास्पद है, ऐसा कहते हुए चीन ने दोनो देशों के बीच का सीमाविवाद और तीव्र किया था| इस संदर्भ में भारत ने अपनी भूमिका बदली नहीं होकर, ‘अरुणाचल प्रदेश यह भारत का अविभाज्य भूभाग है और इसके बारे में कोई भी समझौता संभव नही, ऐसे भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है| साथ ही, दलाई लामा ये भारत के लिए आदरणीय धर्मगुरू और सम्माननीय अतिथी हैं, यह भारत ने कई बार स्पष्ट किया था|

भारत की यही भूमिका आज भी बरक़रार है| ‘दलाई लामा भारत के किसी भी भूभाग की भेंट कर सकते हैं| उसपर भारत सरकार का कोई नियंत्रण नहीं हो सकता| इस यात्रा को चीन बिनावजह राजकीय रंग मत दें’ ऐसा आवाहन भारत के विदेशमंत्रालय ने किया था|

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