‘दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा का आयोजन करके चीन को झटका देनेवाले भारत को झटका देंगे’ : चीन के सरकारी मुखपत्र की चेतावनी

बीजिंग, दि. ६: दलाई लामा की यात्रा की वजह से काफी असुरक्षितता महसूस करनेवाले चीन ने भारत को धमकाना और चेतावनियाँ देना जारी रखा है| ‘यदि भारत चीन को झटका देनेवाला है, तो चीन भी भारत को झटका देकर उसका क़रारा जवाब देगा’, इन शब्दों में चीन के सरकारी दैनिक ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारत को धमकाया है| वहीं, चीन पर राज करनेवाली ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना’ (सीपीसी) की एक समिति के अध्यक्ष ‘झिहू वुईक्वान’ ने चेतावनी दी है कि भारत ने यदि चीन को उक़साया, तो चीन कश्मीर मसले में हस्तक्षेप कर सकता है|

दलाई लामा की यात्रा

बुधवार से दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा जारी हुई है| इससे कुछ हप्ते पहले से ही चीन भारत को चेतावनियाँ और धमकियाँ दे रहा है| भारत ने चीन की चेतावनियों को अनदेखा करते हुए चीन को, ‘इस संदर्भ में बिनावजह विवाद निर्माण न करें’ ऐसा कहा है| भारत के केंद्रीय गृहराज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने चीन को साफ शब्दों में फटकारा था| जिस तरह भारत चीन की ‘वन चायना’ नीति का सम्मान करता है, वैसे ही चीन को भी भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए| दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा यह भारत का अंदरूनी मामला है, इसपर चीन ऐतराज़ नहीं जता सकता, ऐसा रिजीजू ने कहा|

रिजिजू का यह बयान चीन को बहुत चुभा हुआ दिखाई दे रहा है| इसीलिए लामा की यात्रा पर चीन ने चीनस्थित भारतीय राजदूत को समन्स दिया है और इसके बाद भी चीन की ओर से इसके खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं| चीन की असली विदेश नीति पेश करने के लिए मशहूर सरकारी दैनिक ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, भारत को सबक सिखाने की तैयारी चीन की हुकूमत ने करनी चाहिए, ऐसी माँग की है| यदि भारत चीन के साथ ‘डर्टी गेम’ खेलेगा, तो चीन ने भी भारत को उसी की तरह जवाब देना चाहिए| भारत के झटके को झटके से जवाब मिलेगा, ऐसी चेतावनी इस दैनिक ने दी है|

यही नहीं, बल्कि चीन का सामर्थ्य भारत से कई गुना जादा है, इसकी याद इस दैनिक ने दिलाई| ‘चीन की अर्थव्यवस्था भारत से कई गुना बड़ी है| चीन की नौसेना के पास हिंद महासागर में तेज़ी से विचरण करने की क्षमता है| भारत के पड़ोसी देशों के साथ चीन के अच्छे संबंध हैं| भारत के ईशान्य के राज्यों के साथ चीन की सीमा सटी हुई है| ऐसे हालात में, यदि दोनों देशों के बीच संघर्ष भड़कता है, तो किसका नुकसान होगा’ ऐसा सवाल ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारत से पूछा है|

उसी समय इस दैनिक ने कहा कि भारत ने ‘वन चायना’ नीति का सम्मान किया या नहीं किया, तो भी हालात नहीं बदलेंगे| साथ ही, इसका अरुणाचल प्रदेश के साथ रिश्ता नहीं जोड़ा जा सकता; क्योंकि भारत जिस इलाके को ‘अरुणाचल प्रदेश’ कहता है, वह भूभाग दक्षिण तिब्बत है और इसपर चीन का अधिकार है| भारत पर राज करनेवाले साम्राज्यवादियों ने चीन से वह भूभाग छिन लिया था, ऐसी आलोचना इस दैनिक ने की है|

इससे पहले भी दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की थी| लेकिन इस वक्त दलाई लामा की यात्रा ख़ास है और गृहराज्यमंत्री रिजीजू भी लामा के साथ थे| इसी वजह से लामा के दौरे के पीछे भारत सरकार का कुटील हेतु है, ऐसा इल्ज़ाम ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने लगाया है| ‘सीपीसी’ की एक अहम समिति के सदस्य रहे वुईक्वान ने कहा कि भारत इस तरह चीन को उक़साने की कोशिश करेगा, तो चीन कश्मीर मसले में दखलअंदाज़ी कर सकता है| वहीं, चीन ने भारत के ‘एनएसजी’ प्रवेश के सिलसिले में अपनाई भूमिका और ‘मसूद अझहर’ को बचाने के लिए की कोशिशें, इन वजहों से भारत ने दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा का आयोजन किया है, ऐसा दावा ‘ग्लोबल टाईम्स’ द्वारा किया जा रहा है| इससे पहले भी भारत ने ‘दलाई लामा’ का चीन के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश की थी, ऐसा दोषारोपण इस दैनिक ने किया है|

‘दलाई लामा’ की इस यात्रा के बारे में चीन द्वारा दिखाई जा रही संवेदनशीलता, इस ताकतवर देश के लिए काफी विसंगत बात है, ऐसा सामने आ रहा है| भारत ने समय-समय पर अपनी भूमिका ज़ाहिर की है| इसके बावजूद चीन यह स्पष्टीकरण मानने के लिए तैयार नहीं है, ऐसा स्पष्ट हो रहा है| इसके अलावा चीन भारत को जो धमकी दे रहा है, उसे प्रत्यक्ष रूप में उतारने के लिए चीन ने पहले से ही कदम उठाने शुरू किए हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है| मसूद अझर जैसे, भारत में घातपात करनेवाले आतंकवादी का बचाव करके, चीन ने भारत के संयम की परीक्षा ली थी| साथ ही, ‘एनएसजी’ की भारतीय सदस्यता को चीन ने किया विरोध, यह इस देश की कड़ी भारतविरोधी भूमिका का एक और उदाहरण है| इसीके साथ, चीन की पणडुब्बियाँ हिंद महासागर में आवाजाही कर रहीं होकर, भारत पर दबाव बढ़ाने का एक भी अवसर चीन नहीं छोड़ता है, ऐसा इससे दिखाई दे रहा है|

ऐसे हालातों में, चीन द्वारा दी जा रहीं धमकियों का भारत की नीति पर कुछ ख़ास परिणाम अपेक्षित नहीं है| उल्टे यदि दो देशों के बीच के संबंध बिगड़ते हैं, तो भारत जैसे बड़े मार्केट को गँवाने की नौबत चीन के उत्पादकों पर आ सकती है|

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