अमरिका की आधारभूत सुविधाएँ, ऊर्जा और हवाई क्षेत्र की कम्पनियों पर सायबर हमले – ‘एफबीआय’ और अंतर्गत सुरक्षा विभाग का इशारा

वॉशिंगटन: अमरिका के परमाणु परियोजनाओं के साथ साथ ऊर्जा, हवाई, जलापूर्ति, औद्योगिक उत्पादन और सरकारी उपक्रमों पर तीव्र सायबर हमले शुरू हुए हैं, ऐसा इशारा अमरिकी सुरक्षा यंत्रणाओं ने दिया है। मई महीने से यह हमले शुरू हैं और कुछ ‘नेटवर्क’ में घुसपैठ करने में हैकर्स को सफलता मिलने की पुष्टि, अमरिका के सुरक्षा यंत्रणाओं की नई रिपोर्ट में की गई है। सायबर हमलों के पीछे निश्चित रूपसे किसका हाथ है, यह नहीं बताया है। इसके पहले अमरिका पर हुए सायबर हमलों में चीन, रशिया, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों का सहभाग होने की बात सामने आई थी।

सायबर हमलेअमरिका का अंतर्गत सुरक्षा विभाग (डीएचएस) और प्रमुख जाँच यंत्रणा ‘एफबीआय’ ने पिछले हफ्ते देश की विविध कंपनियों को ईमेल द्वारा नई रिपोर्ट भेजी है। इस रिपोर्ट में देश के महत्वपूर्ण और संवेदनशील उपक्रमों की कम्प्यूटर यंत्रणाओं पर बार बार सायबर हमले शुरू हैं, ऐसा इशारा दिया गया है। इसमें विशिष्ट कंपनी अथवा हमले के सन्दर्भ में उदाहरण नहीं दिए गए हैं, लेकिन सायबर हमलों का प्रमाण बढ़ रहा है, ऐसा उल्लेख किया गया है।

‘नई रिपोर्ट में देश के विविध क्षेत्रों में शुरू सायबर हमलों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक सिफारिश और योजनाओं की जानकारी दी गई है। अमरिकी सुरक्षा को संभावित नए खतरों का सामना करने के लिए सतर्क रहने के उद्द्येश्य से यह कदम उठाया गया है’, ऐसी जानकारी अमरिका के अंतर्गत सुरक्षा विभाग के प्रवक्ता स्कॉट मैक्वेनल ने दी है।

‘सिमॅंटेक’, ‘क्राऊडस्ट्राईक’, और ‘ड्रॅगोस’ जैसी सायबर सुरक्षा कंपनियों की रिपोर्ट में भी अमरिका और यूरोप पर सायबर हमले बढने का इशारा दिया गया है। ‘ड्रॅगोस’ के प्रमुख ने हमला करने वाले हैकर्स रशियन सरकार के लिए काम करते हैं, ऐसा आरोप लगाया है। इसके पहले जून महीने के अंत में भी अमरिका की सुरक्षा यंत्रणाओं ने परमाणु और ऊर्जा क्षेत्र को सायबर हमलों द्वारा लक्ष्य किया जा रहा है, ऐसा गंभीर इशारा दिया था। उसमें, अमरिकी कंपनियों में ‘फिशिंग इमेल्स’ के रूप में सायबर हमलों को शुरुआत हुई है, ऐसा कहा गया था।

पिछले साल भर में कुछ यूरोपीय देशों में ऊर्जा क्षेत्र पर बड़े सायबर हमले होने की बात सामने आई थी। युक्रेन और पूर्व यूरोपीय देशों में हुए इन हमलों में कुछ समय के लिए ऊर्जा आपूर्ति खंडित करने में हैकर्स को सफलता मिली थी। युक्रेन और अन्य देशों ने इसके पीछे रशिया का हाथ होने का खुलकर आरोप किया था।

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