कच्चे तेल के कींमत में नयी गिरावट रशियन अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित होगी, विशेषज्ञों की चेतावनी

Russia Oil

आंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम प्रति बैरल 40 से 45 डॉलर्स के बीच है। आनेवाले साल 2016 में कच्चे तेल के दाम में गिरावट आकर वह 30 डॉलर्स प्रति बैरल होने की संभावना है। अगर ऐसी गिरावट आयी तो रशियन अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुँचने की चेतावनी दी जा रही है। 1985 से 90 के दरमियान तत्कालिन ‘सोविएत रशिया’ को कच्चे तेल के कींमतो में आयी गिरावट का बडा झटका मिला था। इस गिरावट की वजह से ही ‘सोविएत रशिया’ का विघटन हुआ था। इसके चलते कच्चे तेल के दामों में होनेवाली गिरावट, तेल के निर्यात पर निर्भर रशियन अर्थव्यवस्था के साथ ही राजनीतिक स्तर पर भी हलचल मचाने के संकेत मिल रहे है।

‘ब्लूमबर्ग न्यूज एजन्सी’ द्वारा किये गए सर्वेक्षण में रशियन अर्थव्यवस्था और हुकूमत को आनेवाले संकट की जानकारी दे दी गयी है। ब्लूमबर्ग द्वारा दो विभिन्न सर्वेक्षणों में 50 से अधिक आर्थिक विशेषज्ञ तथा विश्‍लेषकों से संवाद साधा गया। यूरोपीय अर्थतज्ज्ञ अँड्रिआस श्‍वाब ने चेतावनी देत हुए कहा कि,‘रशिया द्वारा कच्चे तेल के दामों में आयी गिरावट के अनुसार अर्थव्यवस्था में कुछ बदलाव किये गये है। लेकिन अगर आगे चलते दाम कम रहे तथा उस में और भी गिरावट आयी तो ये बातें रशियन अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। रशियन मुद्रा रुबल का कमजोर पडना, मुद्रा स्फीति और आर्थिक समतोल बिगडना जैसे धोखे अर्थव्यवस्था को संकट में डाल सकते है।’

रशियन विश्‍लेषक सर्जेई नार्केव्हिच ने भी इस चेतावनी को दोहराया है। उन्हेंने चिंता जताते हुए बताया कि, तेल के दामों में आयी गिरावट और गिरे हुए दामों का कायम रहना रशिया को आर्थिक अस्थिरता की ओर ले जा सकता है। ‘एबी’ बैंक के विशेषज्ञ मॅस्युलिस ने रशियन अर्थव्यवस्था को कमजोर कहते हुए, दुबारा कच्चे तेल के दामों में गिरावट और देश की पूँजी विदेश में जाने की प्रक्रिया आर्थिक स्थिति में अधिक तनाव पैदा करने के धोखे की जानकारी दी। कुछ रशियन नेताओं द्वारा भी अर्थव्यवस्था के गिरावट पर चिंता जताई गयी है।
रशिया के अर्थ विभाग के उपमंत्री मॅक्झिम ओरेश्किन ने कहा कि, इस समय कच्चे तेल के दाम प्रति बैरल 40 डॉलर्स के आसपास है। रशियन अर्थव्यवस्था ने इससे तालमेल की कोशिश की है। अगर दाम 30 डॉलर्स से भी नीचे लुढकते है तो अर्थव्यवस्था की स्थिति और भी खराब हो सकती है।’ लेकिन उन्होंने दामों में इतनी अधिक गिरावट आने की संभावना से इन्कार भी किया। वहीं अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में हो रही वृद्धि और ‘ओपेक’ सदस्य देशों द्वारा तेल के उत्पाद में कमी लाने पर किए गए इन्कार की वजह से कच्चे तेल के दाम लुढ़कने के संकेत मिल रहे है।

आज के समय में अमेरिकी तेल के दाम 41 डॉलर्स प्रति बैरल ही तो अंतरराष्ट्रीय दाम 45 डॉलर्स के करीब है। यह दाम रशिया के साथ कई तेल उत्पाद तथा निर्यातक देशों के लिए चिंता का विषय माना जा रहा है। रशिया के साथ कई ‘ओपेक’ देश कच्चे तेल के दामों में वृद्धि चाहते है तथा उसके लिए प्रयास भी जारी है। लेकिन अमेरिका, सौदी अरेबिया तथा उनके मित्र देश इन प्रयासों के खिलाफ है। चीन जैसे प्रमुख अर्थव्यवस्था में मंदी की स्थिति की वजह से कच्चे तेल की माँग कम होने के आसार दिख रहे है। इन घटकों की वजह से कच्चे तेल के दाम घटने के संकेत दिये जा रहे है। ‘गोल्डमन सॅक्स’ जैसे अर्थसंस्था द्वारा कच्चे तेल के दाम 20 डॉलर्स प्रति बैरल तक लुढ़कने की चेतावनी दी गयी है।

इससे पहले 1985 से 90 साल के बीच में सौदी अरेबिया द्वारा कच्चे तेल के लिए अपनायी गयी नीति की वजह से तत्कालिन ‘सोविएत रशिया’ की अर्थव्यवस्था में बडी उलथपुलथ मची हुई थी। सौदी अरेबिया ने कच्चे तेल का उत्पाद कायम रखने की वजह से दाम कम रखकर ‘सोविएत रशिया’ की अर्थव्यवस्था को विपरित परिणामों का सामना करना पड़ा था। इन परिणामों की वजह से ‘सोविएत रशिया’ का विघटन हुआ था। इस इतिहास को देखते हुए इंधन क्षेत्र में चल रहीं गतिविधियाँ रशियन अर्थव्यवस्था के साथ ही देश की हुकूमत के लिए भी खतरे की घंटी साबित हो सकती है।

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