राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा से करीबी राष्ट्रीय राजमार्ग पर लड़ाकू विमानों के लिए हुआ देश के पहले ‘इमर्जन्सी लैंड़िंग रनवे’ का निर्माण

सी१३०जे, सुखोई३०एमकेआय, एएन३२ विमान के साथ एमआय१७ हेलिकॉप्टर को उतारकर पाकिस्तान को दिया संदेश

राष्ट्रीय राजमार्ग पर लड़ाकू विमानों के लिए पहली बार उपलब्ध हुईइमर्जन्सी लैंडिंगकी सुविधा

देशभर में १९ स्थानों के राजमार्ग परइमर्जन्सी लैंडिंगकी सुविधा का निर्माण होगा

१५ दिनों मेंरनवेका निर्माण करने का केंद्रीय राजमार्ग एवं परिवहनमंत्री का वायुसेना से वादा

 

rajastha-pak-border-1बारमेर – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय राजमार्गमंत्री नितिन गडकरी के साथ रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत, वायुसेनाप्रमुख आर.के.एस.भदौरिया को लेकर भारी सामान की यातायात करने के लिए उपयुक्त वायुसेना का ‘सी-१३० जे’ विमान बुधवार की सुबह राष्ट्रीय राजमार्ग-९२५ पर उतरा। इसके ज़रिये वायुसेना के विमानों के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माण की गई पहली ‘इमर्जन्सी लैंडिंग फैसिलिटी’ (ईएलएफ) का औपचारिक उद्घाटन हुआ। राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा से मात्र कुछ ही किलोमीटर दूरी पर स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग पर वायुसेना के ‘सी-१३०जे’ विमान के पीछे-पीछे ‘सुखोई-३०एमकेआय’, ‘एएन-३२’ विमान के साथ ‘एमआय-१७’ हेलिकॉप्टर ने लैंडिंग की। इस लैंडिंग से भारत द्वारा पाकिस्तान को संदेश दिए जाने की बात कही जा रही है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब उपलब्ध हुए इस रनवे ने देश की एकता और संप्रभुता की सुरक्षा के लिए अपनी तैयारी का संदेश पहुँचाया है, यह बात रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस दौरान रेखांकित की।

rajastha-pak-border-4राजस्थान के बारमेर जिले में ‘सट्टा-गंधव’ इलाके में राजमार्ग ‘एनएच-९२५’ पर वायुसेना के विमानों के लिए इस ‘ईएलएफ’ की सुविधा का निर्माण किया गया है। अन्य विकसित देशों के राजमार्ग पर लड़ाकू विमानों के लिए इस तरह के रनवे निर्माण किए जाते हैं। भारत में पहली बार किसी राजमार्ग पर इस तरह के रनवे का निर्माण हुआ है। इससे पहले वर्ष २०१७ में लखनऊ-आग्रा एक्सप्रेस-वे पर इस तरह के रनवे का निर्माण किया गया था। वहां पर वायुसेना के विमान ने लैंडिंग भी की थी। लेकिन, लखनऊ-आग्रा एक्सप्रेसओ-वे सीमा से काफी दूरी पर है। इस वजह से बारमेर के ‘सट्टा-गंधव’ में ‘एनएच-९२५’ पर बना यह रनवे देश के किसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना पहला रनवे साबित हुआ है। साथ ही यह रनवे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ ही दूरी पर होने से इसकी सामरिक अहमियत काफी ज्यादा है। युद्ध के समय और अन्य आपात स्थिति के दौरान भारतीय वायुसेना इस राजमार्ग के ‘ईएलएफ’ सुविधा का इस्तेमाल कर सकती है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में मुहिम नियंत्रित करने की वायुसेना की क्षमता में भी वृद्धि हुई है।

rajastha-pak-border-3बारमेर में ‘एनएच-९२५’ पर स्थित ‘सट्टा-गंधव’ में तीन किलोमीटर क्षेत्र में इस रनवे सुविधा का निर्माण किया गया है और वर्ष २०१९ के जुलाई महीने में इस राजमार्ग पर रनवे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। यह निर्माण कार्य पूरा होने के लिए १९ महीने लगे। लेकिन, इसके बाद के रनवे का निर्माण अधिक रफतार से करेंगे, यह आश्‍वासन केंद्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री ने वायुसेनाप्रमुख को दिया है। डेढ़ वर्ष के बजाय मात्र १५ महीनों में अच्छे दर्जे के रनवे का निर्माण करके देने का वादा हमने वायुसेनाप्रमुख से करने का बयान गड़करी ने इस दौरान किया। साथ ही आज का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक पल है और भारत अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रहा है, यह बात भी गड़करी ने रेखांकित की।

राष्ट्रीय राजमार्ग पर रनवे का निर्माण करने के लिए भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआय) और वायुसेना ने बारमेर के अलावा २७ राजमार्गों का 

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चयन किया है। इसके लिए फिलहाल आवश्‍यक अध्ययन हो रहा है, ऐसा केंद्रीय मंत्री गड़करी ने कहा। अगले दिनों में इनमें से कम से कम १९ राजमार्गों पर इस तरह के रनवे का निर्माण होगा। इन रनवे का निर्माण राजस्थान के फलोदी-जैसलमेर और बारमेर-जैसलमेर के साथ ही पश्‍चिम बंगाल के खड़गपुर-बालासोर, खड़गपुर-केंजार और पनागढ़-केकेड़ी राजमार्गों पर होगा।

तमिलनाडु में चेन्नई के करीबी पुड्डुचेरी राजमार्ग पर, आंध्र प्रदेश के नेल्लोर-ओंगोले और ओंगोले-चिलाकलुरिपेट राजमार्ग एवं हरियाणा के मंड़ी ड़बवाली-ओढ़न राजमार्ग के साथ पंजाब के संगरूर के करीबी राजमार्ग पर ऐसे रनवे निर्माण किए जाएंगे। इसके अलावा गुजरात के भुज-नालिया और सूरत-बड़ोदरा, जम्मू-कश्‍मीर के बनिहाल-श्रीनगर राजमार्ग समेत लद्दाख के लेह-न्योमा क्षेत्र और असम के जोरहाट-बाराघाट, शिवसागर के करीब एवं बागड़ोगरा-हाशिमारा, हाशिमारा-तेजपुर और हाशिमारा-गुवाहाटी राजमार्ग पर आपात स्थिति में लैंडिंग की सुविधा का निर्माण करने की योजना है।

इसी बीच, बारमेर में ‘एनएच-९२५’ पर निर्माण की गई ‘इमर्जन्सी लैंडिंग फैसिलिटी’ के अलावा जयपुर के करीबी कुंदनपुरा, भरतपुर जिले के सिंघानिया और बारमेर के बाखासर में वायुसेना और थलसेना के लिए हेलिपैड का निर्माण किया जा रहा है। इस वजह से राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा पर रक्षा तैयारी अधिक मज़बूत होगी।

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