देश में तैयार पहला ‘सुखोई-३० एमकेआय’ वायुसेना के बेड़े में

नाशिक: पूर्ण रूप से देश में तैयार हुआ पहला सुखोई-३० एमकेआय लड़ाकू विमान शुक्रवार को वायुसेना के बेड़े में दाखिल हुआ हैं। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने सुखोई-३० एमकेआय का निर्माण किया है। भारतीय वायुसेना के हवाई अड्डे पर एक भव्य कार्यक्रम में यह विमान साउथ वेस्टर्न एयर कमांड को सौंपा गया है। उस समय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

भारतीय वायुसेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों में सुखोई विमान का समावेश है। रशियन तंत्रज्ञान एवं बनावट के यह विमान आज तक भारत रशिया से खरीदारी करता आ रहा था। कुछ वर्षों पहले भारत ने रशिया से २७२ सुखोई-३० एमकेआय विमान की खरीदारी करने का करार किया था। उसके अनुसार २४० विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हुए है और शुक्रवार को वायुसेना के बेड़े में दाखिल हुआ यह विमान पूर्ण रूप से देश में तैयार हुआ हैं। इस विमान का निर्माण एचएएल के ओझर प्रकल्प में किया गया है। सन २००० वर्ष में भारत ने रशिया के साथ विशेष करार करके इन विमानों का निर्माण भारत में ही करने का लाइसेंस प्राप्त किया था।

देश, तैयार, पहला, सुखोई-३० एमकेआय, वायुसेना, बेड़े में, नाशिक, भव्य कार्यक्रमउसके अनुसार पहले सुखोई-३० एमकेआय का देश में ही निर्माण हुआ है और आने वाले समय में देश में तैयार हुए यह विमान भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ाने वाले हैं। इन विमानों पर ब्रह्मोस मिसाइल तैनात करने में सफलता मिलने से इन विमानों की भेदकता अधिक बढ़ने वाली है। शुरुआती समय में लगभग ४० सुखोई-३० एमकेआय पर ब्रह्मोस मिसाइल तैनात किए जाएंगे। दौरान इन लड़ाकू विमानों का देश मे हुआ निर्माण यह बहुत बड़ी घटना है, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

लड़ाकू विमानों की देखभाल एवं दुरुस्ती के लिए आज तक भारत को दूसरे देश पर निर्भर रहना पड़ा था। जिसकी वजह से देश के बेड़े में सुसज्जित होने वाले लड़ाकू विमानों की संख्या पर बहुत बड़ा परिणाम हुआ था और सुखोई विमान का देश के अंतर्गत निर्माण होने से यह समस्या खत्म होगी और अधिक बड़ी संख्या से सक्षम लड़ाकू विमान वायुसेना में उपलब्ध होंगे, ऐसा विश्वास विश्लेषकों से व्यक्त किया जा रहा है।

ओझर के प्रकल्प में तैयार हुए सुखोई-३० एमकेआय आधुनिक होकर उसकी तुलना रशियन वायुसेना द्वारा इस्तेमाल हो रहे सुखोई-३५ इस अतिप्रगत लड़ाकू विमान से की जा रही है। सीरिया में कार्रवाई के लिए रशियन वायुसेना सुखोई-३५ का उपयोग कर रही है और इस विमान की क्षमता सिद्ध हो रही है। इतने प्रगत विमान से सुखोई-३० एमकेआय की हो रही तुलना भारतीय वायुसेना के लिए विशेष बात है।

सुखोई-३० एमकेआय को फ्रांस एवं इस्राइली तंत्रज्ञान से जोड़ दिया गया है। भारतीय वायुसेना को ऐसे प्रकार के लड़ाकू विमान की आवश्यकता होने की बात मानी जा रही है। भारतीय वायुसेना को एक ही समय पर चीन एवं पाकिस्तान का सामना करने के लिए ४२ स्क्वाड्रन इतने बड़े तादाद में लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है। एक स्क्वाड्रन में लगभग १८ लड़ाकू विमान होते हैं और फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास ३१ स्क्वाड्रन लड़ाकू विमान होकर, जल्दगति से लड़ाकू विमानों की खरीदारी करके यह कमी भरने के लिए भारत ने प्रयत्न शुरू किये हैं।

ऐसी परिस्थिति में सुखोई-३० एमकेआय का देश अंतर्गत निर्माण भारत के रक्षा सिद्धता के लिए महत्वपूर्ण स्तर माना जा रहा है। फिलहाल भारतीय वायुसेना के बरेली, भटिंडा, चोबा, हलवारा, जोधपुर, लोहगांव भुज, तेजपुर, सुलुर और तंजावूर इन जगहों पर सुखोई-३० एमकेआय लड़ाकू विमान तैनात हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.