देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – देश में सरकारी अथवा निजी कंपनियों से जिनका उत्पादन संभव है, ऐसे हथियार और रक्षा सामग्री की खरीद दूसरे देशों से नहीं की जाएगी, ऐसा यकीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिलाया। हथियार और रक्षा सामग्री का सबसे बड़ा आयातक, इस पहचान को मिटाकर भारत इस मोरचे पर आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर रहा है। हाल ही में घोषित किए गए केंद्रीय बजट में इसकी नींव रखी गई है। निजी कंपनियों को सहभागी कर लिए बगैर २१वीं सदी की रक्षा व्यवस्था का निर्माण हो ही नहीं सकता, इसका एहसास सभी को हुआ है। इस कारण, आनेवाले समय में रक्षा क्षेत्र से जुड़े प्रोजेक्ट्स में शुरू से ही निजी कंपनियों को सहभागी कर लिया जाएगा, ऐसा प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया।

आत्मनिर्भर

रक्षा मंत्रालय ने आयोजित किए वेबिनार में प्रधानमंत्री मोदी बात कर रहे थे। रक्षा सामग्री की आयात करनेवाला सबसे बड़ा देश, इस अपनी पहचान को मिटा कर भारत रक्षा सामग्री के निर्यात करनेवाले देश के तौर पर उभर रहा है। भारत ने ४० देशों को रक्षा सामग्री की आपूर्ति शुरू की है। ऐसे समय में हथियार और रक्षा सामग्री के देशान्तर्गत निर्माण के लिए निजी क्षेत्र ने आगे आने की आवश्यकता है। ‘डीआरडीओ’ जैसी संस्था का अनुभव और कुशलता इनका निजी क्षेत्र लाभ उठायें। रक्षा विषयक नये प्रोजेक्ट्स में निजी क्षेत्र को भी सहभागी किया जाए, इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं । डीआरडीओ में इसके लिए सुधार कराए जा रहे हैं। इसका लाभ उठाकर निजी क्षेत्र हथियार और रक्षा सामग्री की संरचना, विकास और उत्पादन इसके लिए योगदान दे दें। देश में बन सकने वाले हथियार और रक्षा सामग्री की इससे आगे दूसरे देश से कभी भी खरीद नहीं की जाएगी, ऐसा यकीन इस समय प्रधानमंत्री ने दिलाया।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार कर रही कोशिशों को, रक्षाबलों के नेतृत्व से प्रतिसाद मिल रहा है। इस कारण इस प्रक्रिया को बढ़ावा मिला है। देश ने ‘तेजस’ इस लड़ाकू विमान का निर्माण किया और ४८ हज़ार करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट दिया। सरकार ने अपने संशोधक और इंजीनियर तथा तेजस विमान की क्षमता पर विश्वास दिखाकर यह फैसला किया है। इतना ही नहीं, बल्कि इसके आगे, देश में ही तैयार होनेवाले, रक्षा क्षेत्र से जुड़े लगभग १०० उत्पादों की सूची बनाई गई होकर, इन उत्पादों की खरीद देश से ही करने का फैसला किया गया है। इसके लिए कालमर्यादा भी निश्चित की गई है, इस पर प्रधानमंत्री ने गौर फरमाया। इस कारण देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगक्षेत्र का तेज़़ी सेे विकास होगा, ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया।

इस साल के बजट में रक्षा क्षेत्र से जुड़े कैपिटल एक्सपेंडिचर में लगभग १९ प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इसका भी लाभ रक्षाक्षेत्र से जुड़ी खरीद को मिलेगा। उसी समय, ‘रक्षाबलप्रमुख’ पद का निर्माण किया जाने के कारण, रक्षा सामग्री तथा हथियारों का परीक्षण और उनकी खरीद के व्यवहारों के संदर्भ में फैसले करने का काम अधिक तेजी से हो रहा है। इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया अधिक ही गतिमान हुई है, इस पर प्रधानमंत्री ने गौर फरमाया।

वर्तमान समय में दुनिया के छोटे देश भी अपनी सुरक्षा के लिए जागरूकता पूर्वक कोशिशें कर रहे हैं। पहले के जमाने ने इन देशों को अपनी सुरक्षा की ओर इतना ध्यान देना आवश्यक नहीं था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। ऐसी स्थिति में, इन छोटे देशों को सस्ती दरों में हथियार तथा रक्षा सामग्री की सप्लाई भारत द्वारा की जा सकती है। यह भारत की जिम्मेदारी है और इससे भारत के सामने बहुत बड़ा अवसर चलकर आया है। देश के रक्षा क्षेत्र में सक्रिय होनेवालीं कंपनियाँ इसका लाभ उठायें, ऐसा आवाहन प्रधानमंत्री ने किया।

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