चीन की ‘वैक्सीन डिप्लोमसी’ को झटके

‘वैक्सीन डिप्लोमसी’कोस्टारिका/बीजिंग – सेंट्रल अमरीका के छोटे देश के तौर पर जाने जा रहे कोस्टारिका ने चीन की कोरोना वैक्सीन लेने से इन्कार करने का निर्णय किया है। कोरोना संक्रमण के खिलाफ चीन की ‘सिनोवैक’ वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में प्रभावी ना होने का कारण आगे करके इस वैक्सीन की सप्लाई ना करें, यह संदेश दिया गया है, ऐसा बयान संबंधित अफसर ने किया है। चीन की वैक्सीन लेने से इन्कार करनेवाला कोस्टारिका पहला देश नहीं है। इससे पहले अन्य देशों ने भी चीन की वैक्सीन लेने से इन्कार करने की जानकारी सामने आने लगी है। इन इन्कारों की वजह से चीन की ‘वैक्सीन डिप्लोमसी’ को झटके लगने शुरू होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

वर्ष २०१९ के अन्त में चीन के वुहान से संक्रमित हुई कोरोना की महामारी को रोकने के लिए पहली वैक्सीन तैयार करने का दावा चीन ने ही किया था। विदेशी कंपनियाँ अपनी वैक्सीन का परीक्षण कर रही थीं, तभी चीन ने अपने नागरिकों को यह वैक्सीन देना शुरू भी किया था। वैक्सीन विकसित करने के बाद विश्‍व के अलग अलग देशों को वैक्सीन के ८० करोड़ डोस प्रदान करने का ऐलान चीनी हुकूमत ने किया था। अपने आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके चीन ने आग्नेय एशिया, खाड़ी एवं लैटिन अमरिकी और अफ्रीकी देशों को वैक्सीन की आपूर्ति करने के लिए समझौता करके सप्लाई भी शुरू की थी।

‘वैक्सीन डिप्लोमसी’लेकिन, चीन की वैक्सीन ज्यादा असरदार ना होने की रपटें एक के बाद एक सामने आने लगी हैं। अफ्रीका के सेशल्स एवं खाड़ी क्षेत्र के बहरीन और लैटीन अमरीका के चिली में चीन की वैक्सीन का टीका लगवाने के बाद कोरोना का संक्रमण फिर से तेज़ी से बढ़ने की घटनाएँ सामने आयी हैं। इस पृष्ठभूमि पर कोस्टारिका जैसे छोटे देश ने चीन को खुलेआम किया हुआ इन्कार ध्यान आकर्षित करता है। कोस्टारिका ने ६० प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित होनेवाली वैक्सीन का ही इस्तेमाल करने का प्रस्ताव भी पारित करने की बात सामने आयी है। लैटीन अमरीका के सबसे बड़े देश ब्राज़िल ने भी चीनी वैक्सीन की माँग रद करने की बात स्पष्ट हुई है।

दूसरी ओर चीन के पड़ोसी आग्नेय एशियाई देशों ने भी चीनी वैक्सीन से इन्कार करके अन्य विकल्प अपनाना शुरू किया है। चीन के प्रभाव वाले कंबोडिया ने संयुक्त राष्ट्रसंगठन की ‘कोवैक्स’ योजना के माध्यम से १० लाख वैक्सीन प्राप्त करने का निर्णय किया है।

चीनी वैक्सीन का परीक्षण एवं उत्पादन करने में अहम योगदान देनेवाले इंड़ोनेशिया ने भी अमरीका, यूरोप और रशिया से वैक्सीन के टीके प्राप्त करने की दिशा में गतिविधियाँ शुरू की हैं। ‘साउथ चायना सी’ के मुद्दे पर विवाद का सामना कर रहे वियतनाम ने चीन की वैक्सीन स्वीकारने से स्पष्ट इन्कार किया है। चीन के साथ अच्छे व्यापारी संबंध रखनेवाले सिंगापुर ने पश्‍चिमी देशों से वैक्सीन लेने पर जोर दिया है। मलेशिया और फिलिपाईन्स ने भी अपने मित्रदेशों के नक्शेकदम पर चलकर अन्य वैक्सीन को प्राथमिकता देना शुरू किया है।

खाड़ी क्षेत्र के यूएई और बहरीन ने चीनी वैक्सीन लेने से स्पष्ट इन्कार भले ही नहीं किया है फिर भी अन्य देशों के साथ बातचीत शुरू की है। श्रीलंका और म्यानमार जैसे देशों ने भारत से वैक्सीन प्राप्त करने को प्राथमिकता दी है। इसी बीच अफ्रीकी देशों ने ‘जॉन्सन ऐण्ड जॉन्सन’ नामक पश्‍चिमी कंपनी से कोरोना की वैक्सीन के लिए माँग दर्ज़ करने की खबर सामने आयी है।

एक के बाद एक कई देश चीन की वैक्सीन से इन्कार करके विकल्प की खोज कर रहे हैं, इससे कम्युनिस्ट हुकूमत की ‘वैक्सीन डिप्लोमसी’ को काफी झटके लगते हुए दिखाई दे रहे है।

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