कोरोनावायरस के संक्रमण से आग्नेय-एशियाई (साऊथ-ईस्ट) देशों में गरीबों की संख्या १ करोड़ से बढ़ेगी – जागतिक बैंक का दावा

जीनिव्हा – ‘कोरोनावायरस के संक्रमण से जागतिक अर्थव्यवस्था को जबरदस्त झटका लगा है। इसका सर्वाधिक परिणाम एशियाई देशों पर होकर, इन देशों की अर्थव्यवस्था ढह जाएगी और एक करोड़ से अधिक लोग गरीबी की खाई में धकेले जाएँगे’ ऐसी चेतावनी जागतिक बँक ने दी। इस संक्रमण के परिणाम विद्यमान वित्तीय वर्ष की तरह अगले वित्तीय वर्ष में भी महसूस होंगे, ऐसी संभावना जागतिक बँक ने जतायी। साथ ही, इस संक्रमण का उगमस्थान होनेवाले चीन का विकास दर आधे से कम होगा, ऐसा भी इस बैंक ने ज़ोर देकर कहा।

   

जागतिक बैंक ने सोमवार को कोरोनावायरस और ३ महीने की आर्थिक उथल-पुथल के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित किया। इस साल के अंत तक, चीन को छोड़कर पड़ोस के ‘ईस्ट-एशिया पॅसिफिक’ क्षेत्र के विकसनशील देशों का औसत विकासदर २.८ प्रतिशत इतना ही रहेगा, ऐसा उपरोक्त रिपोर्ट में कहा गया है। अगले कुछ महीनों में यदि इस संक्रमण के फैलाव को रोक सकें और उद्योगक्षेत्र को बढ़ावा मिला, तो ही इतना विकासदर हासिल करना मुमक़िन है। लेकिन यदि यह संक्रमण इसके आगे भी ऐसे ही जारी रहा, तो इस क्षेत्र के देशों का विकासदर और भी गिरेगा, ऐसा इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप में कहा गया है।

जागतिक बँक के ‘ईस्ट एशिया अँड पॅसिफिक’ क्षेत्र के वित्तविशेषज्ञ आदित्य मट्टू ने इस रिपोर्ट का हवाला देकर यह चेतावनी दी। ‘इस संक्रमण ने मचाये हाहाकार के कारण इस क्षेत्र के देशों का विकास ठप होकर इन देशों में गरीबी बढ़ेगी’ ऐसा मट्टू ने ज़ोर देकर कहा है। फिलहाल दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या लॉकडाउन में है। इसमें एशियाई देशों का बड़े पैमाने पर समावेश होने पर मट्टू ने ग़ौर फ़रमाया।

इस क्षेत्र के कम से कम १७ देशों की अर्थव्यवथा इस संक्रमण के लॉकडाउन में फँसने की संभावना है, ऐसा मट्टू ने कहा। इस लॉकडाउन के कारण इन देशों का उद्योगक्षेत्र ठंड़ा पड़ गया होकर, व्यापारी संपर्कव्यवस्था, आयात-निर्यात बंद हुई है। ऐसी परिस्थिति में ये लॉकडाउन हटाकर यदि इन देशों की अर्थव्यवथा को सँवारा ना गया और इन देशों का विकासदर यदि निगेटिव रूझान दर्शाता गया, तो कम से कम एक करोड़ दस लाख लोग गरीबी की खाई में धकेले जायेंगे, ऐसा मट्टू ने कहा।

उसी के साथ, ‘एक-दूसरे पर निर्भर होनेवालीं इस दुनिया के देशों की अर्थव्यवथाएँ एक-दूसरे पर निर्भर हैं। इस कारण एक देश की अर्थव्यवस्हा पर होनेवाला असर दूसरे देश पर भी प्रभाव डालनेवाला होगा’ ऐसा मट्टू ने कहा। यदि इस संक्रमण से बाहर निकलना है और अपनी अर्थव्यवस्था को सँवारना है, तो दक्षिण कोरिया का अनुसरण करना आवश्यक है, ऐसा मट्टू ने बताया। इस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए दक्षिण कोरिया ने परीक्षणों की व्याप्ति बढाई थी, इसपर मट्टू ने ग़ौर फ़रमाया।

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