कोरोना महामारी ने दुनिया एक-दूसरे पर निर्भर होने की बात दिखा दी – विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रिंगला

नई दिल्ली – दुनिया भर के प्रमुख देशों ने भारत को आवश्यक होने वाली वैद्यकीय सामग्री की सप्लाई शुरू की है। रशिया से भारत को लगभग २० टन इतनी वैद्यकीय सामग्री की आपूर्ति की गई होकर, इसमें ऑक्सिजन कॉंन्सट्रेटर्स, व्हेंटिलेशन के उपकरण, मॉनेटर्स और दवाइयों का समावेश है। साथ ही, १० करोड़ डॉलर्स मूल्य की वैद्यकीय सहायता लेकर अमरीका के विमान ने भारत के लिए उड़ान भरी है। इससे पहले भारत ने दुनिया को आवश्यक सहायता की आपूर्ति की थी, अब दुनिया से भारत को सहायता मिल रही है, यह बात यही दर्शा रही है कि दुनिया एक-दूसरे पर निर्भर है, ऐसा विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रिंगला ने कहा है।

corona-virusऑक्सिजन के ५५० प्लांटस्, चार हज़ार ऑक्सिजन कॉंन्सट्रेटर्स और दहा हज़ार ऑक्सिजन सिलेंडर्स समेत ४० हज़ार रेमडेसिविर इंजेक्शन्स प्राप्त करने की भारत की कोशिश है, ऐसी जानकारी विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रिंगला ने दी। सन २००४ ने तमिलनाडु में त्सुनामी का संकट आने के बाद भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को नकारा था। लेकिन अब कोरोना की महामारी की दूसरी लहर आई है, तब भारत अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग का स्वीकार कर रहा है। क्या इसका अर्थ यह है कि विदेशी सहायता के संदर्भ में भारत की नीति में बदलाव हुआ है, ऐसा सवाल माध्यमों ने उपस्थित किया था। उसके जवाब में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रिंगला ने स्पष्ट किया कि इसे नीति में बदलाव के रूप में देखा नहीं जा सकता।

कोरोना की महामारी आने के बाद भारत ने दुनिया भर के ४० देशों को बहुत बड़ी सहायता प्रदान की थी। इनमें अमेरिका, रशिया, जापान, फ्रान्स, जर्मनी और ब्रिटेन इन देशों का समावेश था। अब ये देश भारत से सहयोग कर रहे हैं। इससे यही साबित होता है कि यह दुनिया एक-दूसरे पर निर्भर है, ऐसा विदेश सचिव श्रिंगला ने कहा।

जागतिक स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना की महामारी के विरोध में भारत को सहायता का प्रस्ताव दिया था। लेकिन अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत है, ऐसा बताकर भारत ने यह सहायता लेने से इन्कार किया था। हमारा सहायता का प्रस्ताव अभी भी भारत के सामने है, ऐसा जागतिक स्वास्थ्य संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया। साथ ही, चीन जैसा देश भी, वह भारत की सहायता करने के लिए उत्सुक है ऐसा बार-बार कह रहा है। लेकिन इस संदर्भ में भारत बहुत ही सावधानी भरी भूमिका अपना रहा है।

१५ अप्रैल के बाद भारत में कोरोना की महामारी भारी मात्रा में बढ़ी और उसका बहुत बड़ा तनाव देश की स्वास्थ्य यंत्रणाओं पर पड़ा था। इससे ऑक्सिजन और अन्य आवश्यक सामग्री तथा दवाइयों की कमी महसूस होने लगी थी। लेकिन अब यह महामारी रोकने के लिए आवश्यक कदम तेज़ी से उठाए जा रहे हैं। इस मोरचे पर भारत से दुनियाभर के प्रमुख देश सहयोग करने लगे हैं।

पिछले साल जब कोरोना की महामारी हाहाकार मचा रही थी, तब भारत ने किए सहयोग का कृतज्ञतापूर्ण स्मरण रखकर ये देश यह मान रहे हैं कि वर्तमान समय में भारत को सहायता प्रदान करना यह अपनी ज़िम्मेदारी है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने भी इसकी क़बुली दी है।

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