रशियन सीमा के करीब जारी अमरीका-नाटो की लष्करी गतिविधियां चिंताजनक – रशियन रक्षाबलप्रमुख का आरोप

USA-nato-russiaमास्को – अमरीका के साथ नाटो सदस्य देशों ने रशियन सीमा के करीब २० से ३० किलोमीटर के दायरे में अपनी लष्करी गतिविधियां बड़ी मात्रा में बढ़ाई हैं, यह आरोप रक्षाबलप्रमुख ने किया है। रशियन सीमा के करीब स्थित बाल्टिक देशों के साथ ‘ब्लैक सी’ और ‘बैरेंट्स सी’ के क्षेत्र में यह गतिविधियां जारी हैं, यह बात रशियन रक्षाबलप्रमुख जनरल वैलेरी गेरासिमोव ने साझा की। अमरीका और नाटो सदस्य देशों के लड़ाकू विमान और युद्धपोतों की मौजूदगी भी यहां पर होने की बात रशियन अधिकारी ने कही है।

फिलहाल रशिया और पश्‍चिमी देशों के बीच बेलारूस के मुद्दे पर काफी तनाव निर्माण हुआ है। रशिया ने बेलारूस के राष्ट्राध्यक्ष के समर्थन में युद्धाभ्यास भी शुरू किया है और इसमें रशियन बॉम्बर्स का इस्तेमाल करना ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हुआ है। उसी समय रशिया ने आर्क्टिक क्षेत्र में नया रक्षा अड्डा स्थापित करके लष्करी तैनाती भी शुरू की है। दक्षिण रशिया में बहुद्देशीय युद्धाभ्यास भी हो रहा है और इसमें ८० हज़ार से अधिक सैनिक शामिल हैं।

USA-nato-russiaरशिया की इन गतिविधियों को प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका और नाटो सदस्य देशों ने भी जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। यह गतिविधियां रशिया के लिए परेशान करनेवाली साबित हुई हैं और जनरल वैलेरी गेरासिमोव का बयान भी इसी का हिस्सा होने की बात दिख रही है। इसी दौरान रशियन अधिकारी ने बीते कुछ दिनों में अमरीका और नाटो सदस्य देशों के ३० से अधिक विमानों ने रशियन सीमा के करीब उड़ान भरने का दावा भी किया है। इन विमानों में अमरीका के ‘बी-५२ बॉम्बर्स’, ‘आरसी-१२५’ गश्‍ती विमान और स्वीड़न के ‘गल्फस्ट्रीम विमानों का भी समावेश है। अमरीका और नाटो सदस्य देशों का पोलैंड़ के लिथुआनिया में युद्धाभ्यास भी हो रहा है और इसमें करीबन ८०० सैनिक शामिल हैं।

इन गतिविधियों पर नाराज़गी व्यक्त करते समय रक्षाबलप्रमुख जनरल वैलेरी गेरासिमोव ने यह दावा किया था कि, अमरीका और नाटो सदस्य देश रशिया की शिकायत पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। अमरीका और नाटो की गतिविधियां रशिया बर्दाश्‍त नहीं करेगी, लेकिन, साथ ही रशिया को संघर्ष करने की इच्छा भी नहीं है, यह बयान करके रशियन अधिकारी ने इशारा भी दिया है। साथ ही रशिया के खिलाफ़ हो रहे आक्रामकता के आरोप गलत होने की बात भी जनरल गेरासिमोव ने प्रत्युत्तर में कही है।

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