अफ़गान सुरक्षा बल और तालिबान के बीच संघर्ष भड़का

काबुल – अफ़गान सुरक्षा बल और तालिबान के बीच हुए संघर्ष के दौरान ४ अफ़गान सैनिक और १५ तालिबानी मारे जाने का वृत्त है। कुंदूज़ प्रांत में हुए इस संघर्ष में मारे गए अफ़गान सैनिकों की संख्या सरकार द्वारा साझा किए गए आँकड़ों से कई गुना अधिक होने की बात स्थानीय जनप्रतिनिधि कर रहे हैं। अफ़गान सुरक्षा बलों ने तालिबान के साथ हुई मुठभेड़ में कम से कम २५ सैनिक खोए हैं, यह दावा इन जनप्रतिनिधियों ने किया है। तालिबान के प्रवक्ता ने भी इस संघर्ष की पुष्टी की है और हमारी संगठन ने कुंदूज़ प्रांत के चेकपोस्ट से बड़ी मात्रा में बारूद और हथियार बरामद किए होने की बात कही है।

afghan-security-force-talibanकतार के दोहा में अफ़गान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत जारी है। ऐसा होते हुए भी अफ़गान सेना के साथ जारी तालिबान का संघर्ष अभी बंद नहीं हुआ है। बल्कि यहां पर रक्तपात अधिक बढ़ रहा है। अमरिकी सेना ने अफ़गानिस्तान से वापसी की है और इस देश में अब मात्र २,५०० अमरिकी सैनिक तैनात हैं। ऐसी स्थिति में तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्जा करने के लिए घनघोर युद्ध की तैयारी जुटाई होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। फिलहाल तालिबान अफ़गान सुरक्षा बलों पर कर रहे हमलें तालिबान की इसी योजना का हिस्सा होने की चिंता जताई जा रही है।

तालिबान के हमलों की वजह से अफ़गानिस्तान की जनता भयभीत है। हमारे देश पर तालिबान ने दुबारा कब्जा किया तो बीते कुछ दशकों में जो कुछ प्राप्त किया है, वह सबकुछ खोने का ड़र अफ़गान जनता को सताने लगा है। महिला वर्ग काफी हद तक असुरक्षित है और तालिबान फिरसे अपने अधिकार छिनेगी, यह चिंता अफ़गानीस्तान की महिलाएं व्यक्त कर रही हैं। इस मुद्दे पर ऑक्सफाम नामक संस्था ने रपट जारी की है इसमें अफ़गान महिलाओं को सता रहा ड़र बयान किया गया है।

अमरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान आक्रामकता दिखाकर राजधानी काबुल पर कब्जा करेगी। क्या तालिबान को रोकने की क्षमता अफ़गान सरकार और सेना में है? यह सवाल भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूछा जा रहा है। इसी बीच अफ़गान सरकार और तालिबान की चर्चा को ज्यादा कामयाबी प्राप्त होने की संभावना खत्म होने की बात तालिबान के हमलों से स्पष्ट हो रही है। इस वजह से निर्माण हुई अस्थिरता और अराजकता की वजह से अफ़गान जनता परेशान है। सोवियत रशिया ने अफ़गानिस्तान से वापसी करने के बाद इस देश पर तालिबान ने कब्जा किया था। उस दौर में तालिबान की कट्टरतावादी हुकूमत ने महिलाओं के बुनियादी अधिकार भी छीने थे। उस दौर की भयंकर यादे अफ़गानिस्तान में आज भी बयान होती हैं। ऐसी स्थिति में फिलहाल शिक्षा प्राप्त कर रही और नौकरी, कारोबार करने की मंशा रखनेवाली अफ़गान महिलाओं का भविष्य तालिबान की हुकूमत में क्या होगा, यह चिंता इस देश को सताए जा रही है।

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