सहकारी बैंक ‘आरबीआय’ के नियंत्रण में – केंद्र सरकार का अध्यादेश

नई दिल्ली – शासकीय बैंक, नागरी सहकारी बैंक तथा मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव्ह बैंक अब पूर्ण रूप से रिझर्व्ह बैंक की देखरेख में आनेवाले हैं। इस संदर्भ के अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंज़ुरी दी है। पिछले वर्ष में सहकारी बैंकों से बड़े घोटाले सामने आये थे। महाराष्ट्र में ‘पंजाब अँड महाराष्ट्र कॉ-ऑपरेटिव्ह बैंक’ (पीएमसी) में हज़ारों खातेदारों के पैसें फ़ँसे थे। ऐसे घोटालों को टालने के लिए सहकारी बैंकों को ‘आरबीआय’ की अधिकारकक्षा में लाने का फ़ैसला किया गया है। ‘इस निर्णय के कारण सहकारी बैंकों के खातेदारों को अपना पैसा सुरक्षित होने की गारंटी मिलेगी’, ऐसा केंद्रीय जानकारी और प्रसारणमंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है।

RBIअब तक सहकारी बैंक पूर्ण रूप से ‘आरबीआय’ की अधिकारकक्षा में नहीं थे। आरबीआय की कॉ-ऑपरेटिव्ह सुपरवायझरी टीम से हालाँकि इन बैंकों पर निगरानी की जाती थी, लेकिन छोटे कॉ-ऑपरेटिव्ह बैंकों का ऑडिट देर से होता होने के कारण इन बैंकों में होनेवाला दुरूपयोजन भी देर से सामने आता था। लेकिन अब शेड्यूल बैंकों के तरह ही सहकारी बैंकों पर ‘आरबीआय’ ठेंठ निगरानी रखनेवाला होकर, समय समय पर ऑडिट होगा; अत: ग्राहकों का पैसा डूबने का ख़तरा कम होनेवाला है।

इससे पहले ‘पीएमसी’ बैंक जैसे घोटाले टालने के लिए ‘बैंकिंग अधिनियम’ में सुधार करने को केंद्र सरकार ने मंज़ुरी दी थी। अर्थसंकल्पीय अधिवेशन में ‘बैंकिंग रेग्युलेशन बिल २०२०’ प्रस्तुत किया गया था। लेकिन वह पारित नहीं हो सका था। अब केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी करके, सहकारी बैंकों पर के आरबीआय के अधिकार बढ़ाये हैं।

इसके अनुसार, देश के १४८२ शासकीय बैंक और नागरी सहकारी बैंक और ५८ मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव्ह बैक ऐसे कुल १५४० बैंक ‘आरबीआय’ के संपूर्ण नियंत्रण में आये हैं। इन बैंकों में ८.६ करोड़ खातें होकर, तक़रीबन ४.८४ लाख करोड़ रुपये इन बैंकों में जमा हैं। इन करोड़ों खातेधारकों को अपना पैसा सुरक्षित होने का भरोसा इस फ़ैसले से मिलनेवाला है, ऐसा केंद्रीयमंत्री जावडेकर ने कहा।

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