अमरिकन गुप्तचर यंत्रणा ‘सीआयए’ की तालिबान विरोध मे विशेष मुहीम

वॉशिंगटन: अफगानिस्तान में वर्चस्व के लिए तालिबान से एक के पीछे एक आत्मघाती हमलों का सत्र शुरू होते हुए, अमरिका की गुप्तचर यंत्रणा ‘सीआयए’ द्वारा तालिबान के विरोध में विशेष मुहीम बनाने की जानकारी सामने आई है। अमरिका के प्रसार माध्यमो ने इस बारे में जानकारी उजागर की है और तालिबान के आतंकवादियों को खत्म करने के लिए चुनिंदा जवानों का समावेश होने वाले छोटे पथक तैनात किये जाने वाले है। अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने नए अफगान नीति में ‘सीआयए’ को दिए अधिकारों के अनुसार, यह तैनाती होने के संकेत दिए जा रहे हैं।

‘सीआयए’, मुहीम, तालिबान, आतंकवाद, संघर्ष, अमरिकापिछले ६ महीनों में तालिबान ने अफगानिस्तान में अपने हमलों की तीव्रता बढाई है और उनमें लगभग डेढ़ हजार लोगों की जान गई है। अफगानी सुरक्षा दल एवं प्रार्थना स्थलों में होने वाले इन आत्मघाती हमलों में बड़ी तादाद में बढ़त हुई है। अफगानिस्तान में लगभग एक तृतीयांश से अधिक भाग तालिबान के कब्जे में होने की बात कही जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान के बारे में नई नीति की घोषणा की थी।

इस नीति के अनुसार अमरिका अफगानिस्तान में अतिरिक्त लष्कर तैनात करेगा और आतंकवाद विरोधी मुहिम के लिए गुप्तचर यंत्रणा सीआयए अधिक अतिरिक्त अधिकार दिए जाने वाले हैं। सीआयए को मिले अतिरिक्त अधिकारों की पृष्ठभूमि पर, यह यंत्रणा अधिक आक्रामक नीति कार्यान्वित करेगी ऐसे संकेत सहायक संचालक माइक पोम्पियो ने दिए थे। अफगानिस्तान में तालिबान का विरोध करने के लिए नए पथक की तैनाती उसी नीति का हिस्सा होने की बात कही जा रही है।

इससे पूर्व सीआयए के अफगानिस्तान में मुहिम अल-कायदा को परास्त करने, अफगानिस्तान गुप्तचर यंत्रणा को प्रशिक्षण एवं सहायता और तालिबान विरोधी स्थानिक टोलियों के निर्माण इसके लिए मर्यादित थी। पर आगे चलकर सीआयए अधिक आक्रामक कारवाईयों पर जोर देगी ऐसे संकेत वरिष्ठ अमरिकी अधिकारी ने दिए हैं। सीआयए तालिबान के विरोध में तैनात होने वाले पथक को ‘काउंटर टेररिज्म परस्यूट यूनिट’ ऐसा नाम दिया गया है। ‘स्पेशल एक्टिविटीज डिवीजन’ में निम-लष्करी अधिकारी अमरिकी लष्कर के ‘ज्वाइंट ऑपरेशन कमांड’ में जवान, अफगानिस्तान के गुप्तचर यंत्रणा के सदस्य एवं स्थानीय अफ़गान टोलियों के विद्रोही इनका समावेश होने वाला है।

सन २००१ से अफगानिस्तान मे शुरू संघर्ष में सीआयए के १८ एजेंट एवं अधिकारियों की जान गई है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा ने तालिबान विरोध में किए सीधे संघर्ष में शामिल होने के बारे में लिया यह निर्णय ध्यान केंद्रित करने वाला है।

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