चीन के सैनिक मृत्यु से ना ड़रे – राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग का संदेश

बीजिंग – ‘मृत्यु को बिना ड़रे युद्ध में जीत हासिल करने के लिए तैयार हो’, यह संदेश चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने अपनी सेना को दिया हैं। चीन अधिकार जता रहें तैवान को अमरीका ने भारी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति करने की तैयारी की हैं। साथ ही अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के ‘क्वाड’ की वजह से चीन के सामने प्रबल लष्करी चुनौति खड़ी हुई हैं। तभी लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारतीय सेना को चुनौति देने का इरादा रखनेवाले चीन के सैनिक वहां की ठंड़ में जम जाने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। ऐसी स्थिति में मृत्यु और कठीन स्थिति का मुकाबला करने की तैयारी रखें, यह संदेश चीन के राष्ट्राध्यक्ष को अब अपनी सेना को देना पड़ा हैं।

‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ के कमांडर्स की बैठक राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने २५ नवंबर के दिन संबोधित की। इससे संबंधित समाचार अब सामने आ रहे हैं। इस दौरान राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने चीनी सैनिकों को मृत्यु को बिना ड़रे जीत प्राप्त करने के लिए तैयार रहने का संदेश दिया। बीते महीने में भी चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी सेना को युद्ध की तैयारी पर ध्यान केंद्रीत करने की सूचना की थी। जिनपिंग द्वारा लगातार दिए जा रही ऐसी सूचना अंतरराष्ट्रीय माध्यमों के चर्चा का विषय बनी हैं। फिलहाल अमरीका ने तैवान के साथ लष्करी सहयोग बढ़ाया हैं और अमरीका ने तैवान को करीबन ४.२ अरब डॉलर्स के हथियार और रक्षा सामान की आपूर्ति करने की तैयारी रखी हैं। इस वजह से चीन के राष्ट्राध्यक्ष युद्ध के इशारें देते होंगे, यह संभावना माध्यमों ने जताई हैं।

तैवान, चीन का ही क्षेत्र हैं और अमरीका तैवान के साथ सहयोग स्थापित करके चीन की संप्रभुता को चुनौती ना दें, यह इशारा चीन लगातार दे रहा हैं। लेकिन, अमरीका ने इस ओर अनदेखा किया हैं। साथ ही फिलिपाईन्स और वियतनाम जैसें देश भी अमरीका और भारत के साथ लष्करी सहयोग बढ़ाकर चीन के दबाव का मुकाबला कर रहे हैं। तभी, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत का ताकतवर ‘क्वाड’ संगठन चीन के सामने नई चुनौती खड़ी कर रहा हैं। इसके अलावा फ्रान्स, जर्मनी और ब्रिटेन ने भी ‘क्वाड’ से सहयोग करने के संकेत दिए थे। यह संगठन अपने खिलाफ ही हैं, ऐसा चीन का कहना हैं।

इसी पृष्ठभूमि पर चीन के राष्ट्राध्यक्ष युद्ध की तैयारी की भाषा कहने लगे हैं। ऐसे में लद्दाख की ‘एलएसी’ पर चीन के सैनिकों की स्थिति काफी खराब होने के समाचार प्राप्त हो रहे हैं। वहां की ठंड़ की आदत ना रखनेवाले चीन के सैनिक वहां पर बीमार हो रहे हैं। उनके लिए ‘रिक्रिएशन सेंटर’ स्थापित करने के साथ ही उन्हें आवश्‍यक अन्य सुविधा प्रदान करने के लिए चीन की बड़ी भागदौड़ हो रही हैं। लेकिन, इन चीनी सैनिकों का मनोबल टुटने के समाचार प्राप्त हो रहे हैं और यह ताकतवर एवं विशाल समझे जानेवाले चीन के लिए नामुष्की की बात साबित होती हैं। इसी कारण चीन की सेना पर्याप्त व्यावसायिकता नही रखती, यह सेना युद्ध का अनुभव भी नही रखती और साथ ही जान की बाज़ी लगाकर लड़ने की वृत्ती भी नही रखती, यही चर्चा अब सामरिक विश्‍लेषकों में होने लगी हैं।

चीन की ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ (पीएलए) की व्यवस्था अन्य देशों की तरह नही हैं। ‘पीएलए’ के सैनिक चीन नामक देश से नही बल्कि चीन पर हुकूमत करनेवाली ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना’ से एकनिष्ठ हैं। इसी कारण मातृभूमि की रक्षा करने के लिए जी-जान से लड़ने की ज़िद चीनी सैनिकों में नही हैं, इसके अलावा ‘एक ही बच्चा’ नीति की वजह से माता-पिता का एक मात्र वारिस होनेवाले चीनी सैनिकों को अपने पीछे अपने माता-पिता का क्या होगा, यह ड़र सता रहा हैं, ऐसें दावे भी किए जा रहे हैं। इसी कारण चीन के राष्ट्राध्यक्ष अब अपने सैनिकों को ‘मृत्यू से ना ड़रे’ यह संदेश देने के लिए मज़बूर हुए हैं।

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