चीन और रशिया अंटार्टिका वर्चस्व प्राप्त करने की तैयारी में – ऑस्ट्रेलियन दैनिक का दावा

कैनबेरा: पृथ्वी उत्तरी किनारे पर स्थित आर्क्टिक महासागर में युद्ध की चिंगारी भड़कने की चेतावनियाँ दी जा रही हैं, ऐसे में दक्षिणी किनारे वाले ‘अंटार्टिका’ क्षेत्र में भी वर्चस्व की लड़ाई शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं। लगबहग डेढ़ करोड़ वर्ग फूट इतने बड़े क्षेत्रफल वाले इस खंडीय इलाके पर ऑस्ट्रेलिया की तरफ से प्राकृतिक रूपसे हक़ जताया जाता है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के इस दावे को नकारकर दक्षिण अमरिकी देशों के साथ साथ चीन और रशिया ने भी अंटार्क्टिका पर वर्चस्व के लिए जोरदार कोशिशें शुरू की हैं।

इंधन, खनिज, शुद्ध पानी और प्राकृतिक साधन संपत्ति के प्रचंड भंडार वाला ‘अंटार्क्टिका’ द्वीप पिछले कुछ सालों में विश्व के प्रमुख देशों को आकर्षित कर रहा है। ऐसे में प्रकृति साधन संपत्ति के साथ साथ विज्ञान और तकनीक की खोज के लिए महत्वपूर्ण जगह के तौर पर अंटार्क्टिका का बढ़ता महत्व यह महत्वपूर्ण घटक साबित हुआ है। वर्तमान में दुनिया के लगभग ४० देशों ने इस इलाके में अपने १०० से अधिक रिसर्च स्टेशन्स और अड्डे निर्माण किए हैं। उसमें ऑस्ट्रेलिया, अमरिका, रशिया, चीन और यूरोपीय देशों का समावेश है।

चीन, रशिया, अंटार्टिका वर्चस्व, प्राप्त, तैयारी, ऑस्ट्रेलियन दैनिक, दावा, कैनबेरालेकिन पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया ने अंटार्क्टिका की तरफ नजरअंदाज करने का दावा देश के विश्लेषक और विशेषज्ञों की तरफ से किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया सरकारं ने अंटार्क्टिका के लिए आरक्षित निधि में कटौती की है और उसका फायदा चीन और रशिया जैसे देशों ने उठाना शुरू किया है, ऐसा आरोप किया जा रहा है। चीन और रशिया ने पिछले वर्ष ही आर्क्टिक और अंटार्क्टिका इन दोनों क्षेत्रों के संयुक्त सहकार्य के लिए स्वतंत्र सामंजस्य अनुबंध किया है।

इस अनुबंध के अंतर्गत चीन रशिया की सहायता से संयुक्त अभियान बनाने वाला है और दोनों देश एक दूसरों के अड्डों का और संशोधन केन्द्रों का इस्तेमाल करने वाले हैं। उसी समय दोनों देश उनके ‘उपग्रह संचार यंत्रणा’ के लिए अंटार्क्टिका का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे हैं और उसके लिए बड़े पैमाने में निवेश किया जा रहा है। चीन ने अंटार्क्टिका पर स्वतंत्र रन वे निर्माण करने की भी तयारी शुरू की है और आने वाले दो सालों में चीन यह काम पूरा करने वाला है। ऐसा कहा जाता है।

चीन ने आर्क्टिक और अंटार्क्टिका के लिए स्वतंत्र रचना भी तैयार की है और आने वाले दशक में दोनों इलाकों में प्रमुख देश के तौर पर स्थान पाने के लिए गतिविधियाँ शुरू की हैं। न्यूझिलंड के वरिष्ठ विशेषज्ञ ‘एन मेरी ब्रैडी’ ने चीन ने अंटार्क्टिका का इस्तेमाल गुप्त रूपसे लष्करी गतिविधियों के लिए करने की योजना बनाने का भी दावा किया है।

सन १९५९ में किए गए अंटार्क्टिका अनुबंध के अनुसार इस क्षेत्र में लष्करी गतिविधियों पर पूरी तरह से बंदी है। लेकिन चीन और रशिया यह दोनों देश एकतरफा निर्णय और कार्रवाइयों के लिए पहचाने जाते हैं। उनका बढ़ता प्रभाव अंटार्क्टिका अनुबंध भविष्य खतरे मे लाने वाला साबित होगा, ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.