चीन के विमानों की सालभर में तैवान की सीमा में ३८० बार घुसपैंठ

तैपेई – १९९० के दशक के बाद पहली ही बार चीन और तैवान के बीच तनाव चरमसीमा तक पहुँचा होकर, चीन के विमानों द्वारा सालभर में लगभग ३८० बार घुसपैंठ की गयी, ऐसी जानकारी रक्षामंत्री येन दे-फा ने दी। पिछले कुछ हफ़्तों में चीन के विमानों द्वारा, दो देशों के बीच के ‘बफर झोन’ में भी घुसपैंठ की कोशिशें शुरू हुईं हैं और उससे तैवान पर दबाव बढ़ा होने की चिंता भी रक्षामंत्री ने ज़ाहिर की।

कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ ने अपनी हरक़तों की व्याप्ति बढ़ानी शुरू की है, ऐसा सामने आया है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी और लष्करी अधिकारी खुले आम, तैवान पर आक्रमण करके कब्ज़ा करने की धमकियाँ दे रहे हैं। चीन के विमानवाहक युद्धपोतों के साथ विध्वंसक और पनडुब्बियाँ तैवान की सागरी दीमा के नज़दीक लगातार अभ्यास कर रहे हैं। तैवान पर हमलें करने के लिए चीन ने अपने रक्षाअड्डे सिद्ध रखे हैं, ऐसा भी कहा जाता है।

उसी समय, चीन का हवाईदल तैवानी रक्षाबलों पर दबाव बढ़ाने के लिए लगातार हवाईसीमा में चक्कर लगा रहा है। चीन द्वारा लड़ाक़ू विमानों के साथ ही, बॉम्बर्स तथा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर के लिए सिद्ध होनेवाले विमान भी तैवान की सीमा में बार बार भेजे जा रहे हैं। नया साल शुरू होने के बाद महज़ पाँच दिनों में, चीन के विमानों ने दो बार घुसपैंठ की होने की जानकारी दी गयी है। गत वर्ष में चीन के विमानों ने लगभग ३८० बार घुसपैंठ की कोशिशें कीं।

चीन के विमानों को रोकने के लिए तैवान के विमानों को तक़रीबन तीन हज़ार बार उड़ानें भरनी पड़ीं और उसके लिए लगभग ९० करोड़ डॉलर्स खर्च हुए होने की जानकारी रक्षामंत्री दे-फा ने साझा की। तैवान ने चिनी विमानों को खदेड़ देने के लिए क्षेपणास्त्र यंत्रणा का इस्तेमाल किया होने की ख़बरें भी जारी हुईं थीं। चीन से की जानेवालीं ये घुसपैंठ की कोशिशें, तैवान के रक्षाबलों को हैरान करने की नीति का भाग होने के दावें तैवानी तथा पश्‍चिमी विश्‍लेषकों द्वारा किये गये हैं।

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