चीन के रक्षामंत्री नेपाल और श्रीलंका के दौरे पर; भारत के लिए ख़तरे के संकेत

बीजिंग, दि. १९: चीन के रक्षामंत्री चँग वॅनक्कॅन नेपाल और श्रीलंका के दौरे के लिए रवाना हुए हैं| चीन के रक्षामंत्री के इस दौरे की ओर भारतीय निरीक्षकों का ध्यान लगा हुआ है| पिछले साल से इन दोनों देशों पर भारत का जो स्वाभाविक प्रभाव है, उसे चुनौती देकर इन देशों को अपनी तरफ मोडने के लिए चीन जानतोड़ कोशिशें कर रहा है| रक्षामंत्री चँग वॅनक्वॅन अपने इस दौरे में इन कोशिशों को और अधिक तीव्र बना देंगे, ऐसे संकेत पहले से ही मिल रहे है|

रक्षामंत्री चँग वॅनक्कॅन

नेपाल में फिलहाल अंतर्गत संघर्ष जारी है| नेपाल के नये संविधान पर उठा विवाद अबतक थमने का नाम नहीं ले रहा हैं| खास तौर पर, मधेसी और अन्य समुदाय, नेपाल के नये संविधान में हमें स्थान नहीं है, ऐसी शिकायत करते हुए इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं| वहीं, इन प्रदर्शनों को भारत उत्तेजन दे रहा है, ऐसा इल्ज़ाम नेपाल लगा रहा है| इंधन और अन्य ज़रूरी चीजों की सप्लाई के लिए नेपाल अबतक भारत पर निर्भर था| लेकिन चीन ने तिबेट और नेपाल को रेलमार्ग से जोड़कर नेपाल की भारत पर की निर्भरता कम करने के लिए बड़ी तेज़ी से कदम उठाए हैं| इसी वजह से, नेपाल-चीन में नज़दीकियाँ बढ़ने के आसार दिखायी देने लगे हैं|

चिनी रक्षामंत्री के नेपाल दौरे के लिए यह पृष्ठभूमि है| सांस्कृतिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से नेपाल भारत के काफी नज़दीक है| लेकिन नेपाल को बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता और अन्य मदद करके चीन नेपाल की पारंपरिक नीति बदलने की कोशिश कर रहा है| नेपाल ने भी चीन के इस प्रस्ताव को प्रतिसाद दिया है, ऐसा सामने आ रहा है| इस साल के दिसंबर महीने में नेपाल की सेना चीन की सेना के साथ संयुक्त रूप में युद्धाभ्यास करनेवाली है|

दोनों देशों के बीच आयोजित किया गया यह युद्धाभ्यास भारत के लिए ख़तरे की घंटी है, ऐसा माना जा रहा है| नेपाल की राजनीति पर चीन का बढ़ता प्रभाव भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है| नेपाल ने हालाँकि चीन से सहायता ली, तब भी नेपाल भारत के खिलाफ रूख़ नहीं अपनाएगा, ऐसा विश्‍वास नेपाल के नेता दिला रहे हैं| लेकिन नेपाल की परिस्थिति को देखते हुए नेपाल के इस भरोसे पर पूरी तरह निर्भर रहना सही नहीं होगा| भारत और नेपाल की सीमा पर तनाव निर्माण हुआ है और इसके लिए नेपाल भारत को दोषी क़रार दे रहा है|

इसी दौरान, चीन के रक्षामंत्री श्रीलंका के दौरे पर भी जानेवाले हैं| इस दौरे की ओर जानकार गंभीरतापूर्वक देख रहे हैं| श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष सीरिसेना की सरकार चीन को अनुकूल नहीं है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं| लेकिन पहले की सरकार ने किए समझौतों की वजह से सीरिसेना की सरकार असहाय है और इन समझौतों को निभाना सीरिसेना सरकार के लिए अनिवार्य हो गया है, ऐसा दिखाई दे रहा है| इसीलिए पहले हंबंटोटा बंदरगाह की विकास परियोजना चीन के हाथ से निकालने की तैयारी करनेवाली सीरिसेना सरकार को, इस परियोजना को पुनः चीन के हवाले करना पड़ा है|

राष्ट्राध्यक्ष सीरिसेना सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाकर चीन श्रीलंका में फिर से ड़ेरा जमाने की कोशिश कर रहा है| यह भी भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है| श्रीलंका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंद राजपक्षे के कार्यकाल में श्रीलंका के बंदरगाह पर चिनी पनडुब्बियों की आवाजाही बढ़ी थी| इस बात पर भारत ने अपना ऐतराज़ जताया था| लेकिन राष्ट्राध्यक्ष राजपक्षे की सरकार ने भारत के ऐतराज़ की ओर अनदेखा कर दिया था| श्रीलंका में फिलहाल की सरकार से भी सहयोग प्राप्त करने के लिए चीन काफी कोशिशें कर रहा है| चीन के रक्षामंत्री अपने श्रीलंका दौरे में इसके लिए ज़ोरदार कोशिश करेंगे, ऐसा दिखाई दे रहा है|

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