चिनी कंपनी ‘अलिबाबा’ के विरोध में हुए ‘फेक न्यूज़’ के आरोप – गुरूग्राम की अदालत ने जारी किया समन्स

नई दिल्ली – भारतीय अदालत ने ‘ई-कॉमर्स’ क्षेत्र की नामांकित चिनी कंपनी अलिबाबा और इस कंपनी के संस्थापक जॅक मा के नाम समन्स निकाला है। कंपनी ने भारत में एक कर्मचारी को गलत तरीके से हटाने के मामले में यह समन्स दिया गया हैं। सेन्सॉरशिप एवं झूठी ख़बरों का विरोध करने के लिए कंपनी ने इसे हटाया है, यह दावा संबंधित कर्मचारी कर रहा हैं। इस कंपनी के विरोध में कार्रवाई करने पर, चीन के लिए यह एक जोरदार झटका होगा।

‘अलिबाबा’

दो सप्ताह पहले भारत ने चीन के ५९ ॲप्स पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया था। इसमे ‘अलिबाबा’ के ‘यूसी ब्राउझर’ और ‘यूसी न्यूज़’ इन ॲप्स का भी समावेश हैं। भारत ने ॲप्स पर पाबंदी लगाने के बाद कंपनी ने भारत में अपना कारोबार समेटना शुरू किया हैं और तभी इस कर्मचारी ने दर्ज़ की हुई शिक़ायत पर अदालत ने यह समन्स जारी किया हैं। कंपनी ॲप्स के माध्यम से झूठी ख़बरें फ़ैला रही हैं। साथ ही कंपनी चीन के विरोध में होनेवाली सभी जानकारी ‘सेन्सॉर’ करके हटाती हैं। इसके विरोध में आवाज़ उठाने पर, कंपनी ने काम से हटाने का आरोप पुष्पेंद्रसिंग परमार ने लगाया हैं।

इस मुद्दे पर परमार ने २० जुलाई के रोज़ गुरूग्राम के ज़िला अदालत में याचिका दाखिल की थी। चीन से संबंधित जानकारी सेन्सॉर करने के लिए कंपनी संवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल करती हैं। उनके ‘ॲप्स’ ‘युसी ब्राउझर’ और ‘यूसी न्यूज़’ सामाजिक एवं राजनीतिक अस्थिरता निर्माण करने के लिए झुठी ख़बरें फ़ेला रहे हैं, यह मुद्दा भी शिक़ायत में दर्ज़ हैं।

इसके बाद गुरूग्राम ज़िला अदालत के न्या.सोनिया शियोकंद ने अलिबाब कंपनी एवं कंपनी के संस्थापक जॅक मा के नाम समन्स जारी किया हैं। इस मामले में 30 दिनों में लिखित ज़वाब देनें को भी अदालत ने कहा हैं।

पुष्पेंद्रसिंग परमार गुरूग्राम स्थित ‘यूसी वेब’ के दफ़्तर में असोसिएट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे थे। परमार ने कंपनी से हर्ज़ाने के तौर पर २.६८ लाख डॉलर्स की माँग की हैं। भारतीय बाज़ार को लेकर कंपनी कटिबद्ध है और स्थानिय कर्मचारियों के हित के लिए कंपनी कटिबद्ध हैं और अपनी नीति स्थानिय नियमों के अनुसार होने की बात कंपनी ने निवेदन में कही हैं। लेकिन, कंपनी ने अदालत के समन्स के बारे में बयान नहीं किया हैं।

लद्दाख के गलवान वैली में भारतीय सैनिकों पर हुए कायराना हमले के बाद भारत ने चीन को आर्थिक स्तर पर जोरदार प्रत्युत्तर देना शुरू किया हैं। चीनी ऊर्जा उपकरणों की आयात करने पर पाबंदी लगाने के साथ बुनियादी सुविधा और ‘एमएसएमई’ क्षेत्र में चीन का निवेश रोकने के लिए सरकार ने नई नीति बनाना शुरू किया हैं। साथ ही चीनी कंपनियों से पेश हुए निवेश के ५० प्रस्तावों का जायज़ा भी सरकार ले रही हैं। ‘बीएसएनएल’ और ‘एमटीएनएल’ इन सरकारी कंपनियों ने चीनी कंपनियों से उपकरणों की ख़रीद ना करने का निर्णय किया हैं। तभी, देश में शुरू हो रहे ‘५-जी’ सेवा से भी चीन को निकाल बाहर किया गया है।

अलिबाबा कंपनी के साथ चीन की अन्य कंपनियों ने भारत में बड़ा निवेश किया हैं। लेकिन, इन कंपनियों का चीन की सेना से सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध होने की रिपोर्ट भारतीय गुप्तचर संस्था ने रखी होने के समाचार हाल ही में प्राप्त हुए थे। इस पृष्ठभूमि पर अलिबाबा कंपनी पर भारत में ‘फेक न्यूज़’ फ़ैलाने के आरोप हुए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.