महामार्ग परियोजना और ‘एमएसएमई’ क्षेत्र में भी चिनी कंपनियों पर पाबंदी – केंद्रीयमंत्री नितीन गडकरी

नई दिल्ली – ५९ चिनी अ‍ॅप्स पर पाबंदी लगाने के बाद, केंद्र सरकार चीन को आर्थिक स्तर पर एक और झटका देने की तैयारी में है। बुनियादी सुविधाएँ और ‘एमएसएमई’ क्षेत्र में चीन का निवेश रोकने के लिए सरकार नीति तय कर रही है, ऐसा केंद्रीय परिवहन और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगमंत्री नितीन गडकरी ने घोषित किया है। चिनी कंपनियाँ संयुक्त साझेदारी में भी महामार्ग परियोजनाओं में प्रवेश नहीं कर सकेंगी, इसका ख़याल सरकार रखनेवाली है, ऐसा गडकरी ने कहा। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के सोशल मीडिया प्लँटफॉर्म ‘विबो’ पर का अकाउंट बंद किया होकर, इसके ज़रिये प्रधानमंत्री ने चीन को चेतावनी दी, ऐसा कहा जा रहा है।

'एमएसएमई' क्षेत्र

लद्दाख में गलवान वैली के संघर्ष में भारत के २० सैनिक शहीद होने के बाद, भारतीय जनता समेत भारत सरकार से आनेवाली प्रतिक्रिया देखकर चीन के पैरों तले की ज़मीन खिसकी हुई दिख रही है। भारतीय जनता द्वारा चिनी उत्पादों का बहिष्कार तीव्र होते समय, चिनी कंपनियों के काँट्रॅक्ट्स भी रद हो रहे हैं। चिनी अ‍ॅप्स पर पाबंदी लगाकर, लद्दाख से पीछे न हटनेवाले चीन के संदर्भ में सख़्त से सख़्त फ़ैसलें इसके आगे किये जानेवाले होने के स्पष्ट संकेत भारत सरकार ने दिये थे। इसी के हिस्से के रूप में, सरकार ने अब सड़क परियोजना और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र (एमएसएमई) में भी चिनी निवेश रोकने का फ़ैसला किया है।

चिनी कंपनियों को महामार्ग परियोजना में इसके आगे काँट्रॅक्ट्स नहीं दिये जायेंगे। साथ ही, जिन महामार्ग परियोजनाओं के लिए निविदाएँ मँगायीं गयीं थीं, वहाँ यदि चिनी कंपनियों की निविदाएँ आयीं होंगी, तो वह प्रक्रिया रद करके फिर से नयीं निविदाएँ मँगायीं जायेंगी, ऐसा केंद्रीयमंत्री गडकरी ने घोषित किया है। साथ ही, पहले से शुरू परियोजनाओं के लिए भी यह फ़ैसला लागू होगा, ऐसा भी गडकरी ने स्पष्ट किया। केवल इसी क्षेत्र में नहीं, बल्कि ‘एमएसएमई’ क्षेत्र में भी किसी भी मार्ग से प्रवेश नहीं कराया दिया जायेगा। स्थानीय उद्योगों को सहूलियतें प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके लिए सरकार नयी नीति निर्धारित कर रही होने की जानकारी गडकरी ने दी है।

चिनी अ‍ॅप्स पर पाबंदी लगाने के बाद चीन ग़ुस्सा हुआ होकर, भारत को आंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों की याद दिला रहा है। वहीं, दूसरी तरफ़ भारत के फ़ैसले का मज़ाक भी उड़ाया जा रहा है। भारत ने चिनी अ‍ॅप्स पर लगाई पाबंदी के कारण संबंधित कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ेगा, लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था को झटका दे सकें इतना भारत शक्तिशाली नहीं है, ऐसा ‘ग्लोबल टाईम्स’ के लेख में से भारत को नीचे दिखाया गया है। उसी समय, चीन के इस सरकारी मुखपत्र में छपे एक और लेख में, भारत की इस कार्रवाई के बाद व्यापार युद्ध की धमकी दी गयी है। भारत सालभर पहले तक चिनी निवेशकों के लिए बड़ा मार्केट था। लेकिन अब संबंध बिगड़े हैं, यह भी इस लेख में मान्य किया गया है। एक तरफ़, भारत के निर्णय से कुछ भी बड़ा फ़र्क़ नहीं पड़ेगा, ऐसा दिखानेवाला चीन, दूसरी तरफ़ भारत को व्यापार युद्ध की धमकी देता है। इससे यह स्पष्ट रूप से दिखायी दे रहा है कि भारत द्वारा आर्थिक मोरचे पर किये जा रहे फ़ैसले के कारण चीन कितना बेचैन हुआ है, इसपर विश्लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं।

इसी बीच, ‘ग्लोबल टाईम्स’ के संपादक हू शिजीन ने, सोशल मीडिया पर भारत में शुरू हुई, चिनी वस्तुओं का बहिष्कार करने की मुहिम का ज़िक्र करके, पाबंदी के फ़ैसले पर भारत का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की। चीन के नागरिक यदि भारतीय उत्पादों पर पाबंदी लगाने का फ़ैसला करना चाहें भी, तो भी भारत में ऐसा कुछ भी नहीं बनता, जिसपर पाबंदी लगाई जा सकें, ऐसा ताना शिजीन ने भारत को मारा है। साथ ही, भारतीय दोस्त राष्ट्रवाद से भी अधिक महत्त्वपूर्ण ऐसा कुछ करें, ऐसी उपरोधिक सलाह भी शिजीन ने दी। भारतीय उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इसका मुँहतोड़ जवाब दिया है। ‘यह प्रतिक्रिया भारतीय उद्योगों के लिए प्रेरणादायक साबित होगी। हमें उक़साने के लिए धन्यवाद! इससे हम और भी मज़बूत हो जायेंगे”, इन शब्दों में महिंद्रा ने, चीन की चुनौती का स्वीकार किया होने का एहसास करा दिया।

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