चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने जनतांत्रिक एवं मानव अधिकार के कार्यकर्ताओं को कारागार में बंद किया

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरबीजिंग – उघुरवंशियों पर हो रहे अत्याचार और हॉंगकॉंग के प्रदर्शनों पर की कार्रवाई के कारण आलोचना का लक्ष्य बनी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने अपनी दमन नीति कायम रखी है| चीन में जनतंत्र और मानव अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे कार्यकर्ताओं के विरोध में कडी कार्रवाई की जा रही है और कई लोगों को जबरन गिरफ्तार किया गया है| इसमें देश के प्रमुख स्वयंसेवी गुट चायना ह्युमन राईटस् डिफेन्डर्सके समदस्यों का समावेश है|

चीन में राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने वर्ष २०१२ में सत्ता का नियंत्रण हाथ में लिया था| इसके बाद उन्होंने अंदरुनि विरोधकों के साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता, जनतंत्र और मानव अधिकारों की मांग करनेवालों के विरोध में कडी कार्रवाई शुरू की थी| चीन की यंत्रणाओं को कार्रवाई करना अधिक सहज हो इसलिए कानून में अधिक आक्रामक प्रावधान किए गए है| इसके साथ ही मानव अधिकार और जनतंत्र की मांग करनेवालों के विरोध में देशद्रोह के अपराध दर्ज करके कार्रवाई की जा रही है

पिछले सात वर्षों में चीन में सैकडों जनतंत्रवादी और मानव अधिकार कार्यकर्ता लापता हुए है और उन्हें कारागार में बंद किया गया है, यही समझा जा रहा है| इनमें से कई लोगों की मौत होने का आरोप किया गया है| पर, चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत ने कुछ गिनेछुने अपवाद छोडकर किसी को किसी भी बात की भनक भी लगने नही दी है| जिनपिंग सरकार से हो रही कार्रवाई में मार्क्सवादका प्रसार और मांग करनेवाले कार्यकर्ताओं का भी समावेश होने से इस कार्रवाई पर सवाल किया जा रहा है|

दिसंबर महीने के आखिर में चीन के झिंजिआंग, हेबेई एवं फुजिआन प्रांत की सुरक्षा यंत्रणाओं से कार्यकर्ता एवं वकिलों को बडी संख्या में गिरफ्तार किया गया है| इनमें से कुछ कार्यकर्ता एवं वकील स्वयंसेवी गुट चायना ह्युमन राईटस् डिफेन्डर्सके सदस्य है| इनमें डिंग जिआशी, शु झियॉंग, तांग जिंगलिंग, दाई झेन्या का भी समावेश है| इनमें से कुछ सदस्यों के विरोध में सीधे देशद्रोह का आरोप रखा गया है, यह जानकारी स्थानिय सूत्रों ने साझा की|

चीन के विदेश विभाग एवं सुरक्षा यंत्रणाओं ने इस विषय में पुछी जानकारी पर किसी प्रकार से जवाब दिया नही है, यह बात प्रसार माध्यमों ने कही है| पिछले वर्ष से उघुरवंशियों पर हुए अत्याचार और हॉंगकॉंग में प्रदर्शनकारियों पर हुई कार्रवाई की वजह से चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का विषय बनी थी| शासक कम्युनिस्ट दल ने इन बातों का लगातार समर्थन किया है, फिर भी राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग इस मुद्दे पर मुश्किलों में फंसे होने के दावे हो रहे थे|

इस पृष्ठभूमि पर चीन की हुकूमत ने मानव अधिकार और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर नीति में बदलाव होगा, यह दावा पश्‍चिमी माध्यम कर रहे थे| पर, असलियत में जिनपिंग ने कार्रवाई की तीव्रता और भी बढाने की बात नई घटनाओं से स्पष्ट हो रही है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.