चीन के सुरक्षा अड्डों का निर्माण अमरिका के लिए चिंताजनक- अमरिकी गुप्तचर अधिकारीयों का दावा

वॉशिंगटन/बीजिंग: दो महीनों पहले चीन ने अफ्रीका के ‘जिबौती’ क्षेत्र में अपना पहला विदेशी सुरक्षा अड्डा निर्माण किया था। ‘जिबौती’ में स्थित यह सुरक्षा अड्डा चीनी रक्षा दलों के जागतिक विस्तार की शुरुआत है और यह विस्तार अमरिका के हितसंबंधों में रुकावट निर्माण कर सकता है, ऐसी चिंता अमरिका के गुप्तचर अधिकारीयों ने जताई है। जिबौती के बाद चीन ने अधिकृत रूप से दुनिया के अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा अड्डे निर्माण करने के संकेत दिए नहीं हैं, फिर भी दक्षिण आशिया, आशिया-प्रशांत और अफ्रीका के अन्य इलाकों में उस तरह की तैयारियां शुरू हैं, ऐसा माना जा रहा है।

आधुनिकीकरण

अगस्त महीने में जिबौती में सुरक्षा अड्डा शुरू करने वाले चीन ने सिर्फ एक महीने में लश्करी अभ्यास का भी आयोजन किया था। यह घटना चीन अपने रक्षा दल के आधुनिकीकरण और विस्तार की तरफ गंभीरता से देख रहा है और उस मामले में गतिविधियों को तेज कर रहा है, इस के संकेत माने जाते हैं। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी गुप्तचर अधिकारियों ने व्यक्त की चिंता ध्यान आकर्षित करने वाली साबित होती है।

‘चीन अमरिका के बाद सबसे तेजी से रक्षा दल के आधुनिकीकरण की तरफ कदम बढाने वाला देश साबित हुआ है। लश्करी स्तर के साथ ही आर्थिक स्तर पर भी चीन प्रभाव बढाने की कोशिश कर रहा है। साऊथ चाइना सी, ताईवान, वन बेल्ट वन रोड के मुद्दे पर चीन की ओर से ली जानेवाली आक्रामक भूमिका इस के संकेत हैं। जिन जगहों पर अमरिका के साथ हितसंबंधों में संघर्ष निर्माण हो सकता है, ऐसी जगहों पर चीन अमरिका का प्रभाव करने की कोशिश कर रहा है’, इन शब्दों में अमरिकी गुप्तचर अधिकारीयों ने चीन की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

दोनों देशों के हितसंबंधों के मामले में बोलते हुए अमरिकी अधिकारीयों ने चीन के विदेश में स्थित सुरक्षा अड्डों के निर्माण की तरफ निर्देश किये हैं। चीन की तरफ से आगामी काल में निर्माण किये जाने वाले सुरक्षा अड्डे अमरिका और चीन के बिच हितसंबंधों में तनाव बढ़ानेवाले साथ ही संघर्ष भडकाने वाले साबित हो सकते हैं, ऐसा इशारा गुप्तचर अधिकारियों ने दिया है। इस मुद्दे पर केवल अमरिका के साथ ही नहीं बल्कि अमरिका के मित्र देशों के साथ भी चीन का संघर्ष हो सकता है, ऐसा भी उन्होंने इशारा दिया है।

अमरिका ने दुनिया भर में अपना प्रभाव निर्माण करने के लिए विविध क्षेत्र में निर्माण किये जाल और उस मे से अमरिकी मूल्यों का होने वाला प्रसार, यह चीजें चीन के उदय के लिए रुकावटें डालने वाली हैं, ऐसी भूमिका चीनी नेताओं ने ली थी। इस वजह से अमरिका के प्रभाव को जवाब देने के लिए चीन की ओरसे विविध माध्यम से अपना वर्चस्व निर्माण करने वाले जाल बिछाए जा रहे हैं। इस में सुरक्षा अड्डा महत्वपूर्ण घटक साबित हुआ है।

जिबौती में सुरक्षा अड्डा शुरू करने वाले चीन ने पाकिस्तान के ‘ग्वादर’ बंदरगाह में भी अड्डा निर्माण करने की तैयारी शुरू की है, ऐसा कहा जा रहा है। इस के अलावा श्रीलंका में स्थित ‘हंबंटोटा’, हिन्द महासागर में स्थित मालदीव, सेशल्स बंदरगाह, अफ्रीका के नामीबिया में स्थित ‘वाल्विस बे’ और यूरोप में स्थित ‘पिरेस’ जैसे बंदरगाहों का इस्तेमाल भी सुरक्षा अड्डों जैसा करने का प्लान चीन ने बनाया है। ‘साउथ चाइना सी’ में भी कृत्रिम बंदरगाह के रूप में चीन ने सुरक्षा अड्डे निर्माण करने की बात सामने आई है।

कुछ महीनों पहले चीन के ‘झिन्हुआ’ वृत्तसंस्था में प्रसिद्द हुए एक लेख में चीन की नौसेना को विदेश में १८ नाविक अड्डे निर्माण करने की सुचना दी गई थी।

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