‘दक्षिण एशिया में शांति के लिए ‘संतुलन’ चाहिए’ – ‘अग्नी ५’ के परीक्षण के बाद चीन की सूचक प्रतिक्रिया

बीजिंग, दि. २७:  ‘अग्नी-५’ इस आन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र के सफल परीक्षण के बाद चीन ने इस पर नापतोलकर प्रतिक्रिया दर्ज की है| एशिया खंड में सामरिक संतुलन बनाये रखा, तो इस क्षेत्र में स्थिरता एवं शांति बनी रहेगी और यहाँ के देशों में संपन्नता बढ़ेगी, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा| चीन की दृष्टि से ‘इस क्षेत्र में सामरिक संतुलन’ का मतलब, भारत और पाकिस्तान को तराज़ू के एक ही पलड़े में रखने जैसी बात है| चीन ने भले ही स्पष्ट शब्दों में भारत का नाम नहीं लिया हो, लेकिन भारत को ‘संतुलित’ करने के लिए चीन पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है, ऐसे संकेत इस प्रतिक्रिया के माध्यम से मिल रहे हैं|

‘अग्नी ५’सोमवार को भारत द्वारा किये गए ‘अग्नी-५’ आन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र के दायरे में, चीन का बडा भूभाग आता है| इस बात पर एक पत्रकार परिषद में प्रतिक्रिया देते समय चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने काफ़ी सँभलकर और गिनेचुने शब्दों में अपने देश की भूमिका प्रस्तुत की| ‘प्रक्षेपास्त्र के परीक्षण के सिलसिले में संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के क़ानून स्पष्ट हैं| दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन बना रहेगा, तो यहाँ पर स्थिरता और शांति कायम रहेगी और इस वजह से इस क्षेत्र के देशों की समृद्धी बढेगी, ऐसी चीन की भूमिका है’ ऐसा चुनयिंग ने कहा| अलग शब्दों में कहा जाये तो, भारत के साथ साथ यदि पाकिस्तान का भी सामर्थ्य बढ़ेगा, तो इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता प्रस्थापित होगी, ऐसा चीन कह रहा है| ‘इसके लिए पाकिस्तान को हम सहायता करेंगे’ ऐसी घोषणा हालाँकि चीन ने नहीं की है, मग़र इसके लिए चीन कोशिश किये बिना नहीं रहेगा, यह संदेश चुनयिंग के विधान से मिल रहा है|

‘क्या भारत ने यह परीक्षण चीन को सामने रखते हुए किया है?’ इस सवाल के जवाब में चुनयिंग ने, ‘इस सवाल का जवाब भारत ने देना चाहिए’ ऐसी टिप्पणी की है| ‘लेकिन चीन के बारे में कहा जाये तो, चीन भारत को प्रतिद्वंदी के तौर पर नहीं, बल्कि साझेदार देश के तौर पर देखता है’ ऐसा दावा चुनयिंग ने किया|

लेकिन ‘अग्नी-५’ के परीक्षण पर भारतीय और जापान की मीडिया ने जारी की खबरों को चीन ने दर्ज किया है, ऐसा कहते हुए चुनयिंग ने इसपर नाराज़गी जताई है| परमाणु विस्फोटकों का वहन कर ले जाने की क्षमता रखनेवाले इस प्रक्षेपास्त्र की रेंज में चीन का लगभग पूरा भूभाग आता है, इस बात पर भारतीय मीडिया ने ग़ौर फ़रमाया था| इससे भारत की रक्षासिद्धता और बढी है, ऐसा निष्कर्ष भी भारतीय मीडिया ने दर्ज किया था| साथ ही, जापान की वृत्तसंस्था ने भी, ‘भारत को मिली यह बड़ी कामयाबी है’ ऐसा कहा है|

कुछ ही महिने पहले भारत को ‘प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था’ (एमसीटीआर) इस संगठन में प्रवेश मिला था| इस संगठन की सदस्यता मिलने के बाद भारत को अतिप्रगत प्रक्षेपास्त्र का तंत्रज्ञान (टेक्नॉलॉजी) आसानी से उपलब्ध हुआ है| चीन अभी भी इस संगठन का सदस्य देश नहीं है| लेकिन चीन का प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और चीन के पास १३ हज़ार किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्य को भेदनेवाले प्रक्षेपास्त्र है| ‘एमसीटीआर’ की सदस्यता मिलने के बाद भारत का प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम बहुत तेज़ हो जायेगा| इसीलिए, यह सदस्यता मिलने से भारत ने किये हुए ‘अग्नी-५’ के परीक्षण को बडी अहमियत मिली है, ऐसा दिख रहा है| लेकिन फिलहाल तो चीन ने इसपर नापतोलकर प्रतिक्रिया दी है, ऐसा दिखाई दे रहा है| अधिकृत स्तर पर चीन ने यह चौकन्नी भूमिका अपनाई है, लेकिन चीन की सरकारी मीडिया, भारत की कड़ी आलोचना करते हुए, सरकार की असली भूमिका ही दुनिया के सामने रख रही है|

भारत, अमरीका और जापान का सागरी युद्धअभ्यास चीन के खिलाफ : चीन की सरकारी मीडिया की आलोचना

बीजिंग, दि. २७ (वृत्तसंस्था) – भारत, अमरीका और जपान के बीच आयोजित किया जानेवाला ‘मलबार’ सागरी युद्धअभ्यास, यह चीन की पणडुब्बियों को निशाना बनाने के लिए किया गया है, ऐसा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है| चीन के सरकारी मुखपत्र रहनेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने यह टीका की है| इससे पहले भी, यह त्रिपक्षीय सागरी युद्धअभ्यास यानी चीनविरोधी कार्रवाई का हिस्सा है, ऐसे इल्जाम चीन ने लगाये थे|

भारत और अमरीका की नौसेनाएँ हर साल मलाबार युद्धअभ्यास का आयोजन करती हैं| पिछले साल से जपान भी इस युद्धअभ्यास में शामिल हुआ होकर, इस युद्धअभ्यास में जपान के सहभाग पर चीन ने हमेशा ऐतराज़ जताया है| सन २०१७ के आरंभ में होनेवाले इस युद्धअभ्यास में पणडुब्बीविरोधी जंग को अहमियत दी जायेगी| यह अभ्यास चिनी पणडुब्बियों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है, ऐसी आलोचना ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने की है|

अमरिकी नौसेना के व्हाईस ऍडमिरल जोसेफ पी. अकॉईन के वक्तव्यों का दाखिला देते हुए ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने यह इल्ज़ाम लगाया है| चीन की नौसेना में पणडुब्बियों की तादाद काफ़ी बड़ी है और यह चिनी नौसेना के सामर्थ्य का अहम हिस्सा माना जाता है| इन हालातों में, यह पनडुब्बीविरोधी युद्धअभ्यास का आयोजन चीन को मद्देनज़र रखते हुए ही किया गया है, ऐसा इल्ज़ाम इस दैनिक ने लगाया है। लेकिन यह युद्धअभ्यास किसी एक देश के खिलाफ नहीं है, ऐसा स्पष्टीकरण भारत, अमरीका और जपान ने इससे पहले भी समय समय पर दिया है|

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