अमरिकी माध्यमों पर चीन का प्रभाव घातक साबित होगा – अमरिकी कॉलमिस्ट गॉर्डन चँग की चेतावनी

वॉशिंग्टन – चीन पर एकाधिकारशाही जतानेवाली कम्युनिस्ट पार्टी का सौ वाँ वर्धापन दिन हाल ही में संपन्न हुआ। उसे अमरिकी माध्यमों ने दी पब्लिसिटी, यह बहुत बड़ी चिंता की बात है, ऐसी चेतावनी विख्यात अमरिकी कॉलमिस्ट गॉर्डन चँग ने दी है। कम्युनिस्ट पार्टी चीन पर जता रही तानाशाही का उदात्तीकरण करने की यह कोशिश बहुत ही घातक साबित होगी, ऐसा बताकर चँग ने, इसके पीछे अमरिकी माध्यमों के व्यवसायिक हेतु होने का दोषारोपण किया। इन आरोपों की पुष्टि करनेवाली जानकारी अमरीका के विधि विभाग ने जारी की। पिछले छः महीनों की अवधि में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत से जुड़े ‘चायना डेली’ इस अखबार ने, अमरिकी माध्यमों को लाखो डॉलर्स की निधि प्रदान की होने की रिपोर्ट अमरीका के कानून विभाग ने दी है।

अमरीका समेत पश्चिमी माध्यमों पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन नियोजनबद्ध कोशिशें कर रहा है, ऐसी बात इससे पहले भी सामने आई थी। कुछ विश्लेषकों ने इस संदर्भ में सावधानी बरतने की चेतावनी दी थी। खासकर पश्चिमी माध्यमों के सामने खड़े हुए आर्थिक संकट का, चीन ने मौके के रूप में इस्तेमाल करके पश्चिमी माध्यमों में बड़े पैमाने पर निवेश शुरू किया था। इसी कारण मानवाधिकारों का हनन करनेवाली और जनता की आकांक्षाओं को पैरों तले कुचलनेवाली चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में, पश्चिमी जगत के माध्यम नर्म रवैया अपना रहे हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के १०० साल पूरे होने के बाद, अमरिकी माध्यमों में कम्युनिस्ट पार्टी के उदात्तीकरण की कोशिश हुई, ऐसा बताकर कॉलमिस्ट गॉर्डन चँग ने उसपर खेद ज़ाहिर किया।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने चीन के दुश्मनों को दी चेतावनी को भी अमरिकी माध्यमों ने गैर वाजिब महत्व दिया। कम्युनिस्ट पार्टी की हुकूमत के बारे में उचित जानकारी देने के बजाय उसका विपर्यस्त चित्रण अमरिकी माध्यमों ने किया, उसके पीछे उनके व्यवसायिक हेतु होने का आरोप चँग ने किया। अमरिकी माध्यमों के चीन में व्यवसायिक हितसंबंध उलझे हुए हैं, उसके प्रभाव से यह सब घटित हो रहा है, ऐसा आरोप चँग ने किया। अमरीका के विधि विभाग ने दी रिपोर्ट में, चँग के आरोपों की पुष्टि करनेवाली जानकारी नमक की गई है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत द्वारा चलाए जानेवाले ‘चायना डेलि’ इस अखबार द्वारा पिछले ६ महीनों में, अमरिकी अखबार तथा नियतकालिक पत्रिकाओं को लाखों डॉलर की निधि प्रदान की गई होने की बात यह रिपोर्ट बताता है। इस निधि का स्वीकार करनेवालों की सूची में अमरीका के अग्रसर अखबार तथा मासिक और अन्य नियतकालिकों का समावेश है।

इनमें से कुछ अखबारों तथा नियतकालिकों ने पिछले कुछ महीनों में भारत को लक्ष्य किया होने की बात सामने आई थी। खासकर कोरोना की दूसरी लहर से भारत की यंत्रणा ढह गई, इस प्रकार के विपर्यस्त दावे करके इन अमरिकी अखबारों ने भारत की छवि मलिन करने की हर संभव कोशिश की थी। कश्मीर के मसले पर और मानवाधिकारों के मुद्दे पर लगातार इन अमरिकी अखबारों द्वारा भारत को लक्ष्य किया जा रहा है। इसके पीछे चीन का प्रभाव होने के स्पष्ट संकेत मिलने लगे होकर, इससे इन अमरिकी माध्यमों की विश्‍वासार्हता खत्म हुई है।

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