ताइवान के मुद्दे पर अमरीका और जापान के विरोध में चीन द्वारा गुस्सा प्रदर्शित

तैपेई/वॉशिंग्टन/बीजिंग – अमरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के दो युद्धपोतों ने शुक्रवार को ताइवान के सागरी क्षेत्र में गश्त लगाई। उसी समय जापान और ताइवान की सत्ताधारी पार्टियों के बीच पहली ही बार ‘सिक्युरिटी डायलॉग’ संपन्न हुआ होकर, उसमें चीन से बने खतरे के मुद्दे पर प्राथमिकता से चर्चा हुई बताई जाती है। अमरीका और जापान द्वारा ताइवान के साथ किए जा रहे इस बढ़ते सहयोग के कारण चीन बेचैन हुआ होकर, उसने दोनों देशों के विरोध में गुस्सा प्रदर्शित करना शुरू किया है। अमरिकी युद्धपोत ने लगाई गश्त उकसानेवाली साबित होने का दोषारोपण चीन के रक्षा मंत्रालय ने किया है। वहीं, जापान और ताइवान के बीच हुई चर्चा यानी जापान अमरीका के प्यादे के तौर पर काम कर रहा होने का निदर्शक है, ऐसी आलोचना चिनी प्रसार माध्यमों ने की है।

taiwan-issue-us-japan-china-1पिछले कुछ महीनों में चीन ताइवान के मुद्दे पर अधिक से अधिक आक्रामक होता हुआ दिख रहा है। चीन की इस आक्रामकता को प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका ने भी मित्र देशों की सहायता से आग्रही भूमिका अपनाई होकर, गतिविधियां अधिक ही तेज़ कीं हैं। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ताइवान के मुद्दे पर चीन की घेराबंदी करने के लिए कदम उठाए थे। नए राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने भी यही नीति कायम रखी दिख रही है। कुछ दिन पहले ही बायडेन प्रशासन ने, ताइवान को तोपों समेत प्रगत रक्षा यंत्रणा की सप्लाई करने का ऐलान किया था। उसके बाद अमरिकी युद्धपोतों की ताइवान के नजदीक गश्त, यह अमरीका की आग्रही नीति का भाग साबित होती है।

अमरीका के सातवें बेड़े का भाग होनेवाले ‘युएसएस किड’ और ‘युएसजीएस मन्रो’ ने शुक्रवार को ताइवान के नजदीकी सागरी क्षेत्र में गश्त लगाई। यह गश्त मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए अमरीका ने दी वचनबद्धता का भाग है, ऐसा निवेदन सातवें बेड़े द्वारा जारी किया गया। युएस नेव्हल इन्स्टिट्यूट ने, साऊथ चाइना सी में चीन द्वारा जारी अभ्यास की पृष्ठभूमि पर अमरिकी नौसेना की गश्त अहम साबित होती है, ऐसा दावा किया है।

अमरिकी नौसेना की इस मुहिम पर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया आई। ‘ताइवान यह चीन का अविभाज्य भाग है और उसके अंदरूनी मामलों में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अमरिकी नौसेना की गश्त यह चीन को उकसानेवाली घटना है। इस क्षेत्र की शांति और स्थिरता को अमरीका से ही सर्वाधिक खतरा है यही बात यह घटना दर्शाती है। हम इस घटना की तीव्र शब्दों में निंदा करते हैं’, ऐसा चीन के रक्षा मंत्रालय ने डटकर कहा है।

taiwan-issue-us-japan-china-2एक तरफ अमरिकी युद्धपोतों की गश्त जारी है और दूसरी तरफ शुक्रवार को जापान और ताइवान की सत्ताधारी पार्टियों के बीच ‘सिक्युरिटी डायलॉग’ संपन्न होने की बात सामने आई है। यह चर्चा, ताइवान के साथ राजनीतिक सहयोग मज़बूत करने के प्रयासों का भाग मानी जाती है। इस चर्चा में जापान की ‘एलडीपी’ और ताइवान की ‘डीपीपी’ इन पार्टियों के दो-दो सांसद सहभागी हुए थे। चीन से खतरा, सागरी सहयोग, रक्षा और व्यापार इन मुद्दों पर लगभग डेढ़ घंटा चर्चा होने की जानकारी माध्यमों ने दी है। चीन के मुद्दे पर जापान ने पहली ही बार ताइवान के साथ इस प्रकार स्वतंत्र रूप में चर्चा की है।

जापान का ताइवान के साथ यह बढ़ता सहयोग चीन को बहुत ही चुभनेवाला साबित हुआ है। चिनी प्रसार माध्यमों ने इस मुद्दे पर जापान को आड़े हाथ लिया है। ताइवान के साथ हुई यह चर्चा यानी जापान यह अमरीका के प्यादे के रूप में काम कर रहा होने का निदेशक है, ऐसी आलोचना ‘ग्लोबल टाईम्स’ सरकारी मुखपत्र ने की है। उसी समय, ताइवान के मुद्दे पर अगर जापान ने चीन के विरोध में कदम उठाए, तो उसका अंजाम अच्छा नहीं होगा, ऐसी धमकी भी दी है। जापान-ताइवान के बीच बढ़ती नजदीकियाँ, यह युद्ध छेड़नेवाला घटक साबित हो सकती है, ऐसा भी चिनी प्रसार माध्यमों ने जताया। यहाँ चिनी माध्यम यह धमकी दे रहे हैं कि तभी चीन के दो गश्तीपोतों ने जापान के सेन्काकू आयलंड की नजदीकी क्षेत्र में घुसपैंठ की होने की घटना सामने आई है।

इसी बीच, चीन के बढ़ते खतरे की पृष्ठभूमि पर ताइवान ने अपने रक्षा खर्च में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। सन २०२२ में ताइवान रक्षाबलों के लिए १६.८९ अरब डॉलर्स खर्च करेगा, ऐसा सत्ताधारी पार्टी द्वारा बताया गया। इस संदर्भ में रखे गए प्रस्ताव में, लड़ाकू विमानों के बेड़े में वृद्धि करने के संकेत दिए गए होकर, युद्धपोत, पनडुब्बियाँ तथा क्षेपणास्त्रों की राशि में भी बढ़ोतरी की जानेवाली है।

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