चीन ने ऑस्ट्रेलिया के विरोध में किये हुए निर्णय, यह प्रतिशोध की भावना का हिस्सा – ऑस्ट्रेलिया के राजदूत का आरोप

कैनबेरा/बीजिंग – चीन ने ऑस्ट्रेलिया के उत्पादनों पर लगाए प्रतिबंध और इससे संबंधित चलाई मुहिम चीन के प्रतिशोध की भावना का हिस्सा हैं, ऐसा ज़ोरदार आरोप चीन में नियुक्त ऑस्ट्रेलिया के राजदूत ग्रैहम फ्लेचर ने किया है। ऑस्ट्रेलिया व्यापारी साझेदार के तौर पर चीन पर भरोसा नहीं कर सकेगा, यह बात चीन के निर्णयों से स्पष्ट हुई है, इन शब्दों में राजदूत फ्लेचर ने चीन को फटकार लगाई है। बीते वर्ष से चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात हो रहें बार्ली, कोयला, लकड़ियों समेत कई उत्पादनों पर प्रतिबंध लगाए हैं। चीन ने कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के साथ अहम आर्थिक समझौता करने की चर्चा अनिश्‍चित काल के लिए स्थगित करने का ऐलान किया था। इस पृष्ठभूमि पर राजदूत फ्लेचर ने लगाए आरोप ऑस्ट्रेलिया की आक्रामक भूमिका के संकेत दे रहे हैं।

‘ऑस्ट्रेलिया-चायना बिझनेस कौन्सिल’ के एक कार्यक्रम के दौरान राजदूत फ्लेचर ने, चीन ने थोंपे हुए व्यापार युद्ध के मुद्दे पर अपनी भूमिका रखी। ‘चीन ने किए निर्णयों की वजह से, ऑस्ट्रेलिया के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन का किस हद तक नुकसान हो रहा है, इसका उसे अहसास नही हुआ हैं। सज़ा सुनाने की तरह चीन ने एक के बाद एक लगाए प्रतिबंधों के बाद, ऑस्ट्रेलिया को कई देशों से सहानुभूति एवं सहयोग के संदेश प्राप्त हुए। साथ ही, जागतिक समुदाय का चीन की ओर देखने का नज़रिया अधिक से अधिक सख्त होता हुआ दिख रहा है’, ऐसा बयान ऑस्ट्रेलिया के राजदूत ने किया।

इस दौरान फ्लेचर ने ऑस्ट्रेलियन उद्यमियों को सावधानी बरतने का इशारा भी दिया। ‘अगले दिनों में चीन की हुकूमत ऑस्ट्रेलिया को उचित संदेश देने के लिए नए कदम उठा सकती है। सिर्फ इसी कारण से, चीन के मार्केट्स पर निर्भर रहनेवाले ऑस्ट्रेलिया के उद्यमी ये मार्केट्स गँवा सकते हैं’, ऐसी चेतावनी चीन में नियुक्त ऑस्ट्रेलिया के राजदूत ने दी है। दो हफ्ते पहले चीन ने, ऑस्ट्रेलिया से आयात हो रहीं र्इंधन वायु की मात्रा कम करने का निर्णय किया था और इसके बजाय सेंट्रल एशिया के तुर्कमेनिस्तान से जारी आयात बढ़ाने का ऐलान किया था। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया से सबसे अधिक आयात हो रहें कच्चे स्टील के लिए भी चीन ने नए विकल्पों की तलाश शुरू करने का वृत्त सामने आया है।

चीन फिलहाल आवश्‍यक ८० प्रतिशत स्टील की आयात करता हैं। कुल आयात में से ६० प्रतिशत आयात ऑस्ट्रेलिया से होती है। ऑस्ट्रेलिया से आयात हो रहें स्टील का दर्जा अच्छा है और इसका विकल्प तलाशना चीन को अभी मुमकिन नहीं हुआ है। लेकिन, अगले दिनों में मंगोलिया, रशिया, सेंट्रल एशियाई देश, अफ्रीका और लैटिन अमरीका से स्टील की आयात बढ़ाने की कोशिश चीन ने शुरू की है।

चीन की ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े व्यापारी साझेदार देश के तौर पर पहचान बनी है। वर्ष २०१९ में ऑस्ट्रेलिया के कुल व्यापार में चीन का हिस्सा कुल २९ प्रतिशत था। इसके पीछे, वर्ष २०१५ में इन दोनों देशों के बीच हुआ व्यापारी समझौता और चीन ने की हुई कोशिश कारण बनी थी। इसी दौर में चीन ने ऑस्ट्रेलिया के अलग अलग क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ाया और इसी बलबूते पर दखलअंदाज़ी करना भी शुरू किया। इस दखलअंदाज़ी को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और उनकी सरकार ने आक्रामक निर्णय करने का सिलसिला शुरू किया है।

ऑस्ट्रेलिया की संसद में चीन के विरोध में कई विधेयक पारित किए गए हैं और इनमें चीन से होनेवाले खतरों का स्पष्ट ज़िक्र किया गया है। मॉरिसन की सरकार द्वारा जारी इन कार्रवाइयों की वजह से चीन काफी बेचैन हुआ है और अपनी आर्थिक और व्यापारी ताकत का इस्तेमाल करके ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। इसी कारण बीते कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंध बिगड़ने शुरू हुए हैं और चीन की नई कोशिश इसी का हिस्सा होने की बात दिख रही है।

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