एशिया संबंधित आक्रामक नीति के कारण चीन की शस्त्र निर्यात में गिरावट

बीजिंग – चीन द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाली हथियारों की निर्यात में गिरावट आने लगी है। दुनिया के अग्रसर शस्त्र आयातक होनेवाले चार देशों ने चीन की आयात पर लगाए प्रतिबंध, यह इसका प्रमुख कारण है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। इन देशों में भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया तथा वियतनाम का समावेश है। वियतनाम ने चीन को मात देने के लिए हाल ही में जापान के साथ रक्षा सहयोग समझौता किया है।

china-dronesयुरोपियन अभ्यासगुट ‘सिप्री’ ने शस्त्रनिर्यात के संदर्भ में जारी की रिपोर्ट में, रशिया और चीन इन देशों की निर्यात में गिरावट आयी होने का दावा किया था। उसके बाद अब अमरीका से प्रकाशित होनेवाले ‘द नॅशनल इंटरेस्ट’ इस रक्षा विषयक नियतकालिक में लिखे लेख में, चीन की घटती शस्त्रनिर्यात का ज़िक्र किया गया है। मायकल पेक इस विश्लेषक ने लिखे लेख में, चीन की एशिया विषयक आक्रामक नीति को शस्त्र निर्यात में गिरावट आने का मुख्य कारण बताया गया है।

‘चीन की शस्त्र निर्यात अब मर्यादित हुई है। एशिया महाद्वीप में चीन अमल कर रहे आक्रामक विदेश नीति के कारण चीन की निर्यात को झटके लगे हैं। दुनिया के १० अग्रसर शस्त्र आयातक देशों में से कई देश अब चीन से आयात नहीं करते। भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और वियतनाम ने राजनीतिक कारणों की वजह से चीन से हथियार तथा रक्षा सामग्री की आयात करने पर पाबंदी लगाई है’, ऐसा पेक ने कहा। उसी समय, जागतिक स्तर पर ड्रोन्स की निर्यात में चीन ने बढ़त ली होने का दावा भी पेक ने किया। सन २०१८ की जानकारी के अनुसार, चीन ने १३ देशों को १५० से अधिक ड्रोन्स की बिक्री की है।

Japan-Vietnam-sign-defence‘सिप्री’ इस अभ्यास गुट ने दी जानकारी के अनुसार, चीन का समावेश पाँच शीर्ष शस्त्र निर्यातक देशों में होता है। लेकिन सन २०११ से १५ इन पाँच सालों की तुलना में, सन २०१६ से २०२० इस कालावधि में चीन की शस्त्र निर्यात घटी है। इस कालावधी में चीन की निर्यात लगभग ७.८ प्रतिशत से घटी है। अमरीका और युरोपीय देशों ने एशिया महाद्वीप में किए हुए बड़े रक्षा समझौते इसके लिए कारणीभूत साबित हुए हैं। चिनी शस्त्रास्त्रों के अग्रसर आयातकों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जिरिया का समावेश है।

चीन ने पिछले कुछ सालों में साउथ चाइना सी समेत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के वर्चस्ववादी कारनामें भारी मात्रा में तेज़ किए हैं। साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी पर पूरी तरह कब्ज़ा करने की महत्वाकांक्षा इसके पीछे है। चीन के इन कारनामों को रोकने के लिए आग्नेय एशिया के देशों ने बड़े पैमाने पर शस्त्र खरीद शुरू की होकर, उसके लिए जापान, कोरिया, भारत समेत अमरीका और युरोपीय देशों को प्राथमिकता दी है।

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