चीन के कारनामे ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक – ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरिस पेन

नई दिल्ली – भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया को भी स्थिर और सभी देशों की सार्वभौमिकता का आदर करने वाला इंडो-पैसिफिक क्षेत्र अपेक्षित है, ऐसा ‘टू प्लस टू’ चर्चा के दौरान ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरिस पेन ने कहा। हालांकि ठेंठ उल्लेख नहीं किया गया है, फिर भी चीन की इस क्षेत्र में चल रहीं हरकतें अन्य देशों की सार्वभौमिकता को चुनौती देनेवालीं और अस्थिरता मचानेवालीं हैं, ऐसे संकेत विदेश मंत्री पेन ने इस चर्चा में दिये। लेकिन इससे पहले संपन्न हुए एक अभ्यास गुट के कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने अपने देश की चीन विषयक भूमिका अधिक स्पष्ट रूप में रखी। चीन की कुछ हरकतें ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक बनी होने का दोषारोपण इस समय विदेश मंत्री पेन ने किया।

मरिस पेनऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंध तनावपूर्ण बने हैं। इसके लिए चीन की मगरूरी कारणीभूत है। चीन के कुछ कारनामें ऑस्ट्रेलिया के सुरक्षा विषयक हितसंबंधों को चुनौती दे रहे हैं, ऐसा विदेश मंत्री पेन ने स्पष्ट किया। इतना ही नहीं, बल्कि चीन की वर्चस्ववादी तथा अन्य देशों की सार्वभौमिकता का आदर ना करनेवालीं नीतियों के कारण, आनेवाले समय में भी चीन और ऑस्ट्रेलिया के संबंध तनावपूर्ण ही रहेंगे, ऐसे संकेत पेन ने इस अभ्यास गुट ने आयोजित किए अपने व्याख्यान के दौरान दिए। पिछले कुछ महीनों से ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारी भी, चीन से अपने देश को संभव होनेवाले खतरे का स्पष्ट रूप से एहसास करा दे रहे हैं। इस पर खौले हुए चीन ने ऑस्ट्रेलिया को इसके गंभीर परिणामों की चेतावनियाँ सार्वजनिक रूप में दीं थीं।

ऑस्ट्रेलिया स्थित चीन के दूतावास ने माध्यमों के सामने सार्वजनिक रूप में की आलोचना का उल्लेख करके, ऑस्ट्रेलिया में माध्यमों पर पाबंदियाँ ना होने के कारण चीन का दूतावास ऐसी आलोचना कर सका, इस पर विदेश मंत्री मरिस पेन ने गौर फरमाया। ऑस्ट्रेलिया यह माध्यमों को, यूनिवर्सिटीज् को आज़ादी देनेवाला देश है। ऐसा देश जब अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने की बात बताकर फैसला करता है, उस समय वह बहुत ही ज़िम्मेदारी से बात कर रहा होता है, ऐसे व्यंगोक्तिपूर्ण बयान करके ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री ने चीन को फटकार लगाई।

पिछले कुछ सालों से ऑस्ट्रेलिया की अंदरूनी राजनीति से लेकर यूनिवर्सिटीज् और माध्यम क्षेत्र में चीन ने घुसपैंठ करने की बात सामने आई थी। सामरिक क्षेत्र में निवेश करके चीन ऑस्ट्रेलिया की घेराबंदी करने की कोशिश कर रहा था। चीन की इन साज़िशों के विरोध में ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने स्पष्ट रूप से आवाज उठाने की शुरुआत की। वहीं, स्कॉट मॉरिसन ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री पद पर विराजमान होने के बाद, उन्होंने चीन के कारनामों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की। इतना ही नहीं, बल्कि चीन का पर्दाफाश करनेवाली जानकारी सार्वजनिक करके उसके विरोध में उन्होंने चीन को चेतावनी भी दी थी।

अपनी बंदिस्त राजनीतिक व्यवस्था में अन्य देशों को किसी भी प्रकार की सहूलियत देने की उदारता चीन नहीं दिखाता। लेकिन ऑस्ट्रेलिया और अन्य लोकतंत्रवादी देशों की खुली व्यवस्था का पूरा फायदा उठाकर चीन इन देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करता आया है। इसके विरोध में ऑस्ट्रेलिया की स्कॉट मॉरिसन की सरकार ने कठोर भूमिका अपनाई।

सके बाद चीन ने ऑस्ट्रेलिया को गंभीर परिणामों की धमकियाँ देने का सत्र शुरू किया। ऑस्ट्रेलिया स्थित चीन के दूतावास ने राजनीतिक मर्यादा तोड़नेवाली जहाल भाषा का इस्तेमाल करना शुरू किया। वहीं, द्विपक्षीय चर्चा में भी चीन के प्रतिनिधियों ने ऑस्ट्रेलिया को धमकाया था। इन सारी बातों की मिसाल ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री ने, भारतीय अभ्यासगुट ने आयोजित किए अपने व्याख्यान में दी दिख रही है।

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