उद्योग क्षेत्र पर चीन की कार्रवाई इस देश के आर्थिक- महासत्ता-पद के लिए खतरनाक साबित होगी – अमरिकी विश्‍लेषक की चेतावनी

china-restrictions-trade-2वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुकूमत ने अपनी ही बड़ी कंपनियों के विरोध में शुरू की कार्रवाई, चीन के ‘आर्थिक महासत्ता’ स्थान को झटका देनेवाली साबित होती है, ऐसी चेतावनी अमेरिकी विश्लेषक रॉन इन्साना ने दी है। चीन दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था होकर, वह स्थान पाने के लिए कारणीभूत बने ‘बिझनेस मॉडेल’ को ही सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुकूमत खतरे में डाल रही है, ऐसा इन्साना ने जताया है। दुनिया भर में चीनी कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट जारी होकर, चार अग्रसर कंपनियों को महज महीने भर में ३०० अरब डॉलर्स से ज्यादा नुकसान हुआ है।

china-restrictions-trade-1रॉन इन्साना हेज फंड के पूर्व व्यवस्थापक और पत्रकार होकर, ‘सीएनबीसी’ वेबसाईट पर लिखे लेख में उन्होंने चिनी हुकूमत की कार्रवाई की आलोचना की है। सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुकूमत ने शुरू की कार्रवाई के कारण, चीन से विदेशी निवेश बड़े पैमाने पर बाहर जाने की शुरुआत होगी, ऐसा इन्साना ने चेताया। पिछले कुछ दशकों में चीन के लाखों नागरिक गरीबी से बाहर निकले होकर, उनका जीवनस्तर ऊंचा उठा है। इसके पीछे बड़ी चिनी कंपनियाँ, उनका प्रदर्शन, शेयर बाजार में निवेश यह घटक भी कारणीभूत है। अगर उन्हें झटका लगा, तो उससे चिनी नागरिकों का आत्मविश्वास डाँवाडोल होगा, इसपर इन अमरिकी विश्लेषक ने गौर फरमाया है।

china-restrictions-trade-3चीन के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डेंग शाओपिंग ने देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की थी। आज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक सत्ता बना चीन, शाओपिंग की नीतियों का परिणाम होकर राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की कार्रवाई उसे ही झटका दे रही है, ऐसी चेतावनी इन्साना ने दी। जिनपिंग सत्ता और पार्टी को आर्थिक संपन्नता से अधिक ज्यादा महत्व देने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसा दावा अमेरिकी विश्लेषक ने किया। इन कोशिशों के कारण ही चीन के ‘आर्थिक महाशक्ति’ स्थान को जबरदस्त झटका लग रहा है, ऐसा इन्साना ने चेताया।

पिछले कुछ महीनों से चीन की सत्ताधारी हुकूमत ने अपनी कंपनियों पर, अमरिकी शेयर बाजार से किनारा करने के लिए दबाव डालने की शुरुआत की है। आईटी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के विरोध में चीन ने कार्रवाई का पैंतरा अपनाया है। पिछले कुछ महीनों में ‘अलिबाबा’, ‘दिदी’, ‘टेन्सेंट’ इन जैसी कंपनियों के विरोध में कार्रवाई का फैसला करके, चीन ने आईटी क्षेत्र समेत अन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों को भी बड़ा झटका दिया है। इस झटके की तीव्र गूँजें शेयर बाजारों में सुनाईं दीं। अमरीका में चिनी कंपनियों के शेयरों में गिरावट होने के साथ ही, चीन तथा हांगकांग के शेयर बाजारो में भी बड़ी गिरावट हुई है।

इस गिरावट के बाद अन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों में प्रचंड बेचैनी फैली होकर, कई बड़े हेज फंड्स ने चीन में निवेश कम करने की शुरुआत की है। चीन की हुकूमत पहले से ही, मानवाधिकार, हॉंगकॉंग के लिए किया कानून, साऊथ चाइना सी में चल रहे कारनामे, जासूसी, साइबर हमले इन जैसे मुद्दों के कारण अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का लक्ष्य बनी है। इस पृष्ठभूमि पर, निवेश क्षेत्र ने भी अगर चीन से किनारा करने के संकेत दिए, तो चीन की अर्थव्यवस्था मुश्किल में फँस सकती है। चीन यह दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था होने के कारण, उसमें निर्माण हुई मुश्किलें अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी असर कर सकतीं हैं। इस कारण इन अमरिकी विश्लेषक ने दी चेतावनी गौरतलब साबित हो रही है।

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