मध्य एशियाई देशों में चीन अपनी ‘प्राइवेट आर्मी’ का विस्तार करेगा

वॉशिंग्टन – अफगानिस्तान से अमरीका की सेनावापसी के कारण निर्माण हुए अंतराल को भर देने के लिए चीन ने ज़ोरदार गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। अफगानिस्तान में वर्चस्व स्थापित करके, उसके ज़रिए मध्य एशियाई देशों में प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन ने अहम फ़ैसला किया। मध्य एशियाई देशों में चीन अपनी ‘प्राइवेट आर्मी’ का यानी कॉन्ट्रैक्ट लष्कर का विस्तार करनेवाला है।

china-private-army-1पिछले हफ्ते में मध्य एशियाई देशों के दौरे पर होने वाले चीन के विदेश मंत्री वँग यी ने यह घोषणा की। मध्य एशियाई देशों में चीन कर रहा प्राइवेट लष्कर का विस्तार, यह रशिया की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगा, ऐसा दावा एक विख्यात अमरिकी अभ्यासगुट ने किया है।

अफगानिस्तान की गतिविधियों पर चर्चा करने के लिए पिछले हफ्ते में ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में विशेष बैठकों का आयोजन किया गया था। इस उपलक्ष्य में चीन के विदेश मंत्री वँग यी ने ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान के साथ तुर्कमेनिस्तान का दौरा किया था। इस दौरे में चीन के विदेश मंत्री ने मध्य एशियाई देशों के सामने प्राइवेट लष्करी कंपनियाँ यानी ‘प्राइवेट मिलिट्री कंपनीज्’ (पीएमसी) का विस्तार करने का ऐलान किया।

पिछले कुछ सालों से अपने महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट अँड रोड इनिशिएटीव्ह-बीआरआय’ प्रोजेक्ट की सुरक्षा के लिए चीन ने मध्य एशियाई देशों में ‘पीएमसी’ का निर्माण किया है। इन कंपनियों का विस्तार करने की यानी मध्य एशियाई देशों में चीन के प्राइवेट जवानों की अर्थात कॉन्ट्रैक्ट जवानों की संख्या बढ़ाने की घोषणा वँग ई ने की। इससे आतंकवादी हमलों से ‘बीआरआय’ प्रोजेक्ट की सुरक्षा होगी और संबंधित देशों पर प्रोजेक्ट की सुरक्षा का बोझ नहीं आएगा, ऐसा खुलासा चीन के विदेश मंत्री ने किया है। उसी के साथ ये प्राइवेट जवान मध्य एशियाई देशों के लष्कर के नेतृत्व को प्रशिक्षण भी प्रदान करेंगे, ऐसा वँग ई ने कहा है।

china-private-army-2एशियाई देशों को खाड़ी क्षेत्र तथा युरोप के साथ जोड़नेवाले इस ‘बीआरआय’ प्रोजेक्ट में चीन ने अरबों डॉलर्स का निवेश किया होने का दावा किया जाता है। इनमें से युरोप को जोड़नेवाला बीआरआय का अहम मार्ग मध्य एशियाई देशों से होकर जाता है। इनमें से किरगिझिस्तान में बीआरआय प्रोजेक्ट को कड़ा विरोध हो रहा है। अन्य मध्य एशियाई देशों में भी बीआरआय के विरोध में नाराज़गी बढ़ने का दावा किया जाता है। इससे खतरा बढ़ने के कारण, अपने प्रोजेक्ट की सुरक्षा के लिए चीन मध्य एशियाई देशों में प्राइवेट जवानों की तैनाती बढ़ा रहा है।

मध्य एशियाई देशों में चीन के प्राइवेट जवानों की बढ़ती तैनाती अमरीका, रशिया तथा तुर्की को चुनौती देनेवाली होने का दावा ‘द जेम्सटाऊन’ इस अमरिकी अभ्यास गुट ने किया। किसी जमाने में सोवियत रशिया का भाग होनेवाले इन मध्य एशियाई देशों में चीन की तैनाती, रशिया की चिंताएँ बढ़ानेवाली साबित होगी, ऐसा इस अमरिकी अभ्यासगुट का कहना है। किरगिझिस्तान और ताजिकिस्तान इन दोनों देशों की सरकारें दुर्बल होकर, इन देशों की अर्थव्यवस्थाएँ खोखली हो चुकीं हैं। ऐसी परिस्थिति में, चीन का प्राइवेट लष्कर इन देशों की अंतर्गत और विदेश नीतियों पर ज़बरदस्त प्रभाव डालेगा, ऐसी चेतावनी इस अमरिकी अभ्यासगुट ने दी है। अब तक रशिया के प्रभाव में होनेवाले इन देशों पर चीन का वर्चस्व, रशिया की सुरक्षा के लिए घातक साबित होगा, ऐसा इस अमरिकी अभ्यासगुट ने जताया है।

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