‘तवांग तक रेल लाने के भारत के फैसले पर भारत के चीन के साथ संबंध बिगडेंगे’ : चीन की नई चेतावनी

इटानगर/बीजिंग, दि. २ : केंद्र सरकार ने व्यूहरचनात्मक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माने जानेवाले तवांग के साथ अरुणाचल प्रदेश में तीन नये रेल मार्ग शुरू करने का फैसला किया है| इस प्रकल्प के लिए ज़रूरी सर्वेक्षण को शनिवार को केंद्र सरकार द्वारा हरी झंडी दिखायी गयी| केंद्रीय गृहराज्यमंत्री किरेन रिजीजू और केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने अरुणाचल प्रदेश यात्रा में इसका ऐलान किया और इस रेल मार्ग के लिये ५ ह़ज़ार ८८६ करोड़ रुपये का प्रावधान घोषित किया| इसपर चीन द्वारा तीव्र प्रतिक्रिया दी गयी है| ‘तवांग में रेल मार्ग शुरू करने का इकतरफ़ा फ़ैसला दोनों देशों के बीच के सीमाविवाद की गुत्थी को और उलझायेगा,’ ऐसी चेतावनी चीन ने दी है|

‘तवांग तक रेलअरुणाचल प्रदेश में तीन रेल मार्ग के निर्माण के फ़ैसले की व्यवहारिकता जाँचने के लिए केंद्रीय गृहराज्यमंत्री और केंद्रीय रेलराज्य मंत्री शनिवार को अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर आये थे| इटानगर में इस रेल प्रकल्प के मामले में एक महत्त्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया था| इस बैठक के बाद बात करते समय रेल राज्यमंत्री सिन्हा ने, सन २०२० तक देश के सभी राज्य रेल से जोड़ने का केंद्र सरकार का संकल्प है, ऐसा घोषित किया| इसके तहत, अबतक पिछड़े रहे और व्यूहरचनात्मक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण ऐसे अरुणाचल प्रदेश में तीन ब्रॉड गेज रेल मार्गों का निर्माण किया जाने वाला है|

तवांग’ और असम के सीमावर्ती इलाक़े का शहर ‘भलूकपॉंग’ के दरमियान रेलमार्ग बनाने का प्रस्ताव है| यह रेल मार्ग ३७८ किलोमीटर का रहेगा| इसके कारण तवांग से असम के गुवाहाटी तक की यात्रा में बहुत कम समय लगेगा| इसके अलावा उत्तर ‘लखीमपुर-बामे-सिलपत्थ’ इस २४९ किलोमीटर के रेल मार्ग का भी निर्माण किया जायेगा| साथ ही, ‘पासिघाट-तेझू-परशूराम कुंड-रुपाई’ इस २२७ किलोमीटर के रेल मार्ग का निर्माण करने की योजना है| इससे पहले भी भारत ने, अरुणाचल में भारत-चीन नियंत्रण रेखा तक मार्गों का जाल बिछाने का ऐलान किया था| उसे चीन ने कड़ा विरोध जताया था| तवांग तक के रेल मार्ग पर भी चीन ने ऐतराज़ जताया है| ‘चीन की पूर्व सीमा के मामले में स्पष्ट राय है| वर्तमान में दोनो देश सीमाविवाद सुलझाने के लिये चर्चा के माध्यम से कोशिश कर रहे हैं| ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार का इकतरफ़ा फैसला सीमावाद की गुत्थी उलझा सकता है,’ ऐसी प्रतिक्रिया चीन के विदेश मंत्रालय ने दी है| सीमाविवाद में और ज्यादा कटुता उत्पन्न न हों इसलिए भारत सावधानी बरतेगा और संयम रखेगा, ऐसी उम्मीद चीन के विदेशमंत्रालय ने जतायी है|

अरुणाचल प्रदेश के तवांग का ज़िक्र चीन ‘दक्षिण तिबेट’ ऐसा करता है| यह तवांग तिबेट का हिस्सा है और तिबेट चीन का| इसलिए भारत इस भूभाग पर से अपना कब्ज़ा छोड़ दें, ऐसी माँग चीन कर रहा है| अरुणाचल में चिनी सेना ने कई बार भारतीय सीमा में घुसपेंठ करने का प्रयास किया था| साथ ही, कुछ सालों से चीन ने, अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले लोगों को ‘स्टेपल विसा’ देते हुए, यह भूभाग विवादास्पद भूभाग होने के संकेत दिये थे| साथ ही, अन्य देश के राजनयिक अधिकारियों ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की, तो चीन उसपर निषेध भी व्यक्त करता आ रहा है|

लेकिन भारत ने, ‘अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य अंग है’ यह बात हमेशा ज़ोर देकर चीन से कही है| उसी समय, अरुणाचल प्रदेश और भारत के अन्य सीमावर्ती इलाक़ों में चीन ज़ोरदार लष्करी सिद्धता बढ़ा रहा होकर, भारत ने यह बात बहुत गंभीरता से ली है| इसके कारण इस क्षेत्र में भारतीय रक्षादल की क्षमता बढ़ाने के लिये योजनाबद्ध कोशिशें शुरू हुईं हैं| अरुणाचल प्रदेश और ईशान्य के अन्य राज्यों में सड़कें और रेलमार्गों का जाल और अन्य बुनियादी ढ़ाँचे का विकास करने के लिए भारत ने की पहल, यह इसी योजनाबद्ध कोशिश का हिस्सा माना जाता है| इसके कारण चीन इस मसले को लेकर भारत को धमकियाँ और चेतावनियाँ देता रहता है, ऐसा दिखता है| अबतक चीन ये चेतावनियाँ और धमकियाँ देने के लिये अपनी सरकारी मीडिया का इस्तेमाल करता था| लेकिन अब चीन का विदेशमंत्रालय भारत को खुलेआम चेतावनी देता नजर आ रहा है| आनेवाले समय में, इस मामले में चीन की भूमिका और भी आक्रामक बनेगी, ऐसा दिख रहा है|

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