चीन ‘वेदर मॉडिफिकेशन’ योजना का विस्तार करेगा

बीजिंग – चीन ने ‘वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम’ अर्थात् मौसम में कृत्रिम रूप में परिवर्तन कराने की योजना विस्तारित करने की लक्षवेधी घोषणा की है। इस योजना के तहत चीन ५५ लाख वर्ग किलोमीटर के भूभाग में कृत्रिम बारिश अथवा हिमवर्षाव करनेवाला है। भारत के कुल क्षेत्रफल के डेढ़ गुना अधिक भूभाग पर चीन यह प्रयोग करनेवाला है। इस कारण, चीन का यह ‘वेदर मॉडिफिकेशन’ भारत के साथ ही, चीन के अन्य प्रतिस्पर्धी देशों के लिए भी ख़तरे की घंटी होने की बात स्पष्ट रूप में दिखाई देने लगी है। बल्कि अपने विरोध में जानेवाले देशों को चेतावनी देने के लिए चीन ने यह घोषणा की होने की गहरी संभावना सामने आ रही है।

china-weather-modificationचीन की ‘स्टेट काऊन्सिल’ ने इस हफ़्ते में बड़ी घोषणा की। पिछले दशक भर में चीन जिसमें प्रयोग कर रहा है, वह ‘वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम’ अगले चरण में ले जा रहे हैं, ऐसा ‘स्टेट काऊन्सिल’ ने घोषित किया। सन २०२५ तक अपना यह कार्यक्रम पूरी तरह विकसित हो चुका हुआ होगा, ऐसा दावा चीन ने किया। इन पाँच सालों की कालावधि में, चीन ५५ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कृत्रिम बारिश अथवा हिमवर्षाव करनेवाला है। साथ ही, ५,८०,००० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ओलों की बरसात करायी जायेगी, ऐसा चीन की ‘स्टेट काऊन्सिल’ ने कहा है।

इससे कृषी उत्पादन बढ़ाना मुमक़िन है। साथ ही, दावानल का शमन करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जायेगा। उच्च तापमान अथवा सूखे की परिस्थिति को भी मात दी जा सकती है, ऐसा दावा चीन कर रहा है। इसके लिए, चीन के मुखपत्र ने जारी की हुई ख़बर का हवाला दिया जाता है। पिछले साल इस ‘वेदर मॉडिफिकेशन’ की मदद से झिंजियांग प्रांत की ख़ेतज़मीन पर गिरनेवाली ओलों की बरसात को ७० प्रतिशत रोकने में सफलता मिली होने का दावा चीन कर रहा है।

पिछले दशक भर से अधिक समय से चीन ‘वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम’ संबंधित अलग अलग प्रयोग कर रहा है। सन २००८ की बीजिंग ऑलिंपिक में कोहरा और कुदरती बारिश को टालने के लिए चीन ने ‘क्लाऊड सिडिंग’ का इस्तेमाल किया था। पिछले दशक भर से चीन इस ‘क्लाऊड सिडिंग’ का इस्तेमाल कर रहा है। कुछ दिन पहले चीन के संशोधकों ने सॅटेलाईट्स और रॉकेट्स का इस्तेमाल करके कृत्रिम बरसात गिराने का तंत्रज्ञान विकसित किया होने का दावा भी किया था। साथ ही, यांग्त्झे नदी पर होनेवाला अतिरिक्त बाष्प चीन के सूखाग्रस्त इलाक़े में मोड़ने की ख़बर भी प्रकाशित हुई थी।

china-weather-modificationचीन का ‘वेदर मॉडिफिकेशन’ संबंधित तंत्रज्ञान, मान्सून पर निर्भर होनेवाले कृषिप्रधान भारत के लिए ख़तरे की घंटी होने का दावा किया जा रहा है। चीन ने इस वेदर मॉडिफिकेशन का इस्तेमाल अपने देश तक ही मर्यादित रखने का ऐलान किया है। लेकिन अपने आर्थिक एवं लष्करी बल का विदेशनीति में आक्रामक रूप से इस्तेमाल करने के लिए कुख्यात होनेवाला चीन, अपने ‘वेदर मॉडिफिकेशन’ के तंत्रज्ञान का भारत के विरोध में इस्तेमाल करने की संभावना को कोई भी नकार नहीं सकता। इस कारण भारत के लिए यह बात खतरे की घंटी साबित हो रही है।

वेदर मॉडिफिकेशन यानी मौसम में बदलाव कराने के तंत्रज्ञान का इस्तेमाल करके अन्य देशों में अतिवृष्टि, तेज़ बाढ़, भूकंप इन जैसीं आपत्तियों का निर्माण किया जा सकता है, ऐसा आरोप इससे पहले किया गय था। अपने विरोध में गये देशों को सबक सिखाने के लिए इस तंत्रज्ञान का इस्तेमाल किया जाता है, ऐसा ‘कॉन्स्पिरसी थिएरिस्ट्स’ का कहना है। इस वजह से, चीन द्वारा किये जानेवाले इन दावों की गंभीरता अधिक ही बढ़ी है। पिछले कुछ दिनों से चीन, ब्रह्मपुत्रा नदी पर बांध का निर्माण कराने की घोषणा करके भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इस कारण ‘वेदर मॉडिफिकेशन’ के संदर्भ में चीन ने की यह घोषणा भी इस देश के दबावतंत्र का हिस्सा होने की गहरी संभावना है।

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