कश्मीर विवाद में चीन किसी का भी पक्ष नहीं लेगा : चीन के सरकारी समाचारपत्र का दावा

बीजिंग, दि. १६ (पीटीआय) – कश्मीर मसले को लेकर भारत और पाक़िस्तान में तनाव बढ़ रहा है| ऐसे में चीन को, किसी एक देश का समर्थन करने मे दिलचस्पी नहीं है, ऐसा इस देश के सरकारी समाचार पत्र ने कहा है| पाक़िस्तान और चीन में विकसित हो रहे ‘इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ प्रकल्प को भारत का विरोध है| लेकिन इस विरोध का विचार कर चीन यह प्रकल्प छोड़नेवाला नहीं है, ऐसा इस समाचार पत्र ने स्पष्ट किया| लेकिन उपरोक्त समाचार पत्र ने, इस विवादास्पद भूभाग का ज़िक्र पहली ही बार ‘पाक़िस्तान के क़ब्जेवाले कश्मीर’ (पीओके) ऐसा किया होकर, यह बात महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है| इससे पहले इस भूभाग का ज़िक्र चीन की मीडिया, ‘पाक़िस्तान ऍडमिनिस्ट्रेट कश्मीर’ ऐसा करती थी|

कश्मीरपिछले कुछ दिनो से, ‘कश्मीर’ को लेकर भारत और पाक़िस्तान के बीच तीव्र मतभेद हुए हैं| जम्मू-कश्मीर की गतिविधियों में नाक घुसेड़नेवाले पाक़िस्तान को भारत द्वारा क़रारा जवाब दिया जा रहा है| इस मामले में भारत ने आक्रामक रवैय्या अपनाया है| ऐसे में चीन, इस विवाद में किसी भी देश का समर्थन न करने की ‘समंजसता’ दिखा रहा है, ऐसा चित्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने खड़ा किया है| भारत ने इस प्रकल्प में ध्यान देने के बजाय, कश्मीर मसले का हल ढूँढ़ने के लिए प्रयास करने चाहिए, ऐसा ताना इस समाचार पत्र ने मारा| राजनीति बाजू में रखकर भारत ने इस प्रकल्प में शामिल होना चाहिए, इससे भारत को बहुत बड़ा लाभ होगा, ऐसी सलाह इस समाचारपत्र ने दी है| उसी समय, भारत और पाक़िस्तान के साथ चीन के आर्थिक हितसंबंध जुड़े हुए हैं, ऐसा कहकर ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, भारत जैसा ही चीन के लिए पाक़िस्तान भी महत्त्वपूर्ण है, ऐसे संकेत दिए हैं|

वास्तविक रूप में, भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार में चीन को सालाना ४० अरब डॉलर्स का लाभ होता है। इसकी तुलना चीन और पाक़िस्तान के बीच के व्यापार से नहीं हो सकती| फिर भी चीन लगातार भारत और पाक़िस्तान को एक ही लाईन में बिठाने की कोशिश कर रहा है| लेकिन ‘पाक़िस्तान के कब्ज़ेवाले कश्मीर’ का ज़िक्र ‘पीओके’ ऐसा करके ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने अपनी भूमिका में कुछ मामूली बदलाव लाने के संकेत दिये हैं| फिलहाल चीन भारत की सहायता लेने की कोशिश कर रहा है| ख़ास तौर पर ‘जी-२०’ समिट से पहले, ‘साऊथ चायना सी’ मामले में भारत अपने खिलाफ भूमिका ना अपनायें, इसलिए चीन की कोशिशें जारी हैं| ‘ग्लोबल टाईम्स ’ में ‘पीओके’ ऐसा ज़िक्र किया जाना, यह इन्हीं कोशिशों का भाग हो सकता है|
इसी दौरान, पिछले हफ़्ते चीन के विदेश मंत्री ‘वँग ई’ भारत दौरे पर आए थे| उस वक़्त हुई चर्चा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने, ‘कॉरिडॉर प्रकल्प पर भारत को रहनेवाले ऐतराज़ का मुद्दा फिर एक बार उपस्थित किया था| इसको भारतीय मीडिया ने विशेष रूप में प्रकाशित किया था| इसपर ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दूसरी एक ख़बर में नारा़ज़गी जतायी है| भारत-चीन संबंधों में भारतीय मीडिया हमेशा नकारात्मक पहलू ही ढूँढती है। भारतीय मीडिया पर रहनेवाला पश्‍चिमी देशों का असर, यह इसका प्रमुख कारण है, ऐसा ताना ग्लोबल टाईम्स ने इस ख़बर में मारा है|

भारत और चीन के संबंधों का इस प्रकार के नकारात्मक चित्रण ना दिखायें, ऐसा आवाहन ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारतीय मीडिया को किया है| पश्‍चिमी देशों को भारत और चीन में झगड़ा शुरू करना है| भारतीय मीडिया पश्‍चिमियों के हाथ की क़ठपुतली ना बनें, ऐसी सलाह ‘ग्लोबल टाईम्स’ने दी है| वँग ई के दौरे से पहले – ‘चीन ‘साऊथ चायना सी’ मामले पर भारत की सहायता प्राप्त करने के प्रयास कर रहा है’ इस प्रकार की न्यूज भारतीय मीडिया में थी| ‘एनएसजी’की सदस्यता के लिए भारत को सहायता ना करनेवाला चीन, अब भारत से सहायता की उम्मीद रख रहा है, ऐसा ताना भारतीय मीडिया ने मारा था|

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