आर्थिक स्थिरता के लिए बन रहे खतरों से बचने के लिए चीन तुरंत कदम उठाए – अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का इशारा

वॉशिंग्टन/बीजिंग – ‘कोरोना की महामारी के दौर में चीन की अर्थव्यवस्था में कर्ज़ का भार काफी बड़ी मात्रा में बढ़ा है और छोटी बैंकें और स्थानीय प्रशासन पर बड़ा दबाव निर्माण हुआ है। इसी बीच निजी क्षेत्र की विश्‍वासार्हता भी कम होने लगे हैं’, इस ओर ध्यान आकर्षित करके अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने चीन को आर्थिक स्थिरता को बन रहे खतरों से बचने के लिए तुरंत कदम उठाने का इशारा दिया है। अमरीका के एक अभ्यास गुट ने बीते महीने में ही यह इशारा दिया था कि, चीन की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के लिए अधिक समय लगेगा।

China-Economy-IMFशुक्रवार के दिन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने ‘आर्टिकल ४’ नामक रपट जारी किया। इस रपट में वर्ष २०२१ के दूसरे छमाही में चीन की अर्थव्यवस्था गति प्राप्त करेगी और वर्ष के अन्त तक करीबन आठ फिसदी दर प्राप्त करेगी, यह दावा किया है। लेकिन, इसके बाद अर्थव्यवस्था में गिरावट शुरू होगी और वर्ष २०२५ तक चीनी अर्थव्यवस्था का विकासदर पांच प्रतिशत तक गिरेगा, ऐसा अनुमान मुद्राकोष ने जताया है। चीन में निजी क्षेत्र का उत्पादन और माँग में गिरावट होने की ओर भी इस रपट में ध्यान आकर्षित किया गया है।

अगले दौर में चीन ने बुनियादी सुविधाओं का खर्च कम करके नागरिकों की खरीद क्षमता बढ़ाने के साथ सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए अधिक रकम का प्रावधान करना होगा, ऐसी सलाह भी मुद्राकोष ने दी है। देश में अल्प आय के गुट के हाथ अधिक पैसा देनेवाली प्रभावी व्यवस्था अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए फायदेमंद होगी, यह बात भी वर्णित रपट में कही गई है। चीन की अर्थव्यवस्था पर बढ़ रहे कर्ज़ के भार का ज़िक्र भी इस रपट में है। वर्ष २०२५ तक चीन में मात्र सरकारी कर्ज़ का आँकड़ा ‘जीडीपी’ के ११३ प्रतिशत तक जा सकता है, ऐसी चिंता भी मुद्राकोष ने व्यक्त की है।

China-Economy-IMFकोरोना की महामारी का विश्‍वभर में दुबारा संक्रमण होना शुरू हुआ है और तभी चीन ने इस महामारी को नियंत्रित करने के दावे किए हैं। इस महामारी के इलाज़ का प्रावधान करके अर्थव्यवस्था पहले के स्तर पर पहुँचाने की कोशिश सफल होने की बात भी चीन कह रहा है। लेकिन, यह दावे गुमराह करनेवाले होने की बात नई जानकारी से सामने आ रही है। बीते सप्ताह में ही चीन की अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा होनेवाले उत्पाद क्षेत्र का कारोबार धीमा होने की बात सामने आयी थी। उससे पहले चीन के निजी एवं सरकारी उपक्रम कर्ज़ का भुगतान करने में नाकाम होने की घटनाएं लगातार सामने आ रही थी।

दूसरी ओर चीन की हुकूमत ने आर्थिक सुधारों के नाम से नाकाम कंपनियों को सहायता करना बंद करने का निर्णय किया था। इस वजह से चीन में निवेषकों में चिंता का माहौल बना है और धीरे धीरे निवेश भी कम हो रहा है। इसके साथ ही अमरीका की एक के बाद एक हो रही कार्रवाईयों के कारण चीनी कंपनियों को जागतिक स्तर पर भी बड़े झटके लग रहे हैं। इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर हो रहा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का इशारा यही संकेत दे रहा है।

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